हिंदी दिवस: (मधुरिमा राजपूत )। मैं विदेशी होकर हिंदी में बात कर रही हूं, आप अपनी ही मातृभाषा की अवहेलना कर रहे हैं, राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान 2022 से सम्मानित अतिला कोतलावल, श्रीलंका ने कहा कि मैं 24 सालों से हिंदी से जुड़ी हुई हूं और 2000 से ही हिंदी को भाषा के रूप में सीख रही हूं। 2000 में मैंने भारत में एक साल के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान में हिंदी सीखी, तब मैं लोगों से कहती थी कि जब आप मुझसे अंग्रेजी में क्यों बात करते हैं, मुझे बहुत फख्र महसूस होता है हिंदी में बात करके। मैं विदेशी होकर हिंदी में बात कर रही हूं और आप अपनी ही मातृभाषा की अवहेलना कर रहे हैं।
बीस हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को पढ़ा चुकी हूं हिंदी
उन्होंने कहा कि इसके अलावा जब शिवराज सिंह चौहान श्रीलंका में आए थे तब मैं द्विभाषीय के रुप में उनके साथ रही। अब मेरी आशा है कि मैं प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात करूं और उनसे हिंदी में ही बात करूं। 2000 में भारत से हिंदी सीखने के बाद मैंने श्रीलंका में हिंदी पढ़ाना शुरू किया। वहां पर हिंदी के सार्वजनिक पुस्तकालय की भी स्थापना की और अभी करीब बीस हजार से भी ज्यादा विद्यार्थियों को मैं हिंदी पढ़ा चुकी हूं। जिनमें से कई विद्यार्थी अलग-अलग यूनिवर्सिटी में हिंदी के लेक्चरर हैं। श्रीलंका के हालातों पर उन्होंने कहा कि श्रीलंका में जो क्राइसिस हुआ था वह अभी भी अप्रत्यक्ष रूप से मौजूद है क्योंकि लोगों की आमदनी तो बड़ी नहीं लेकिन चीजों के दाम बहुत बढ़ गए हैं। ऐसे में कई लोगों का सर्वाइवल मुश्किल है।
हॉलीवुड की फिल्म द ममी रिटर्न मूवी का किया हिंदी अनुवाद
करीब 20 सालों से यूनिवर्सिटी आफ टोरंटो में कई सालों से हिंदी पढ़ा रहीं और राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान 2022 से सम्मानित डॉ.हंसा दीप टोरंटो कनाडा ने हॉलीवुड की फिल्म द ममी रिटर्न मूवी का हिंदी में तो लगान का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। हरिभूमि से बातचीत में उन्होंने कहा कि वहां के लोगों को हिंदी पढ़ाने के लिए एक अलग ही शैली का प्रयोग करना पड़ता है। क्योंकि अहिंदी भाषियों को पहले ध्वनि फिर शब्दों का परिचय कराना अपने आप में ही चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कई भारतीय मूल के बच्चों में हिंदी बोलने के प्रति सकुचाहट भी होती है।
कहीं दिन तो कहीं रात होगी लेकिन हिंदी का सूरज हमेशा जगमगाता रहेगा
उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से मैंने हजारों बच्चों को हिंदी सिखाई है और यह क्रम आज भी जारी है। उन्होंने कहा कि कनाडा एक सांस्कृतिक देश है जहां हर देश के लोगों का, हर व्यक्ति का हर मजहब का सम्मान किया जाता है। मेरा मानना है कि हिंदी का सूरज कभी अस्त नहीं होगा कहीं दिन तो कहीं रात होगी लेकिन यह सूरज हमेशा ऐसे ही जगमगाता रहेगा।
कई लोग पूछते हैं आईटी प्रोफेशनलिस्ट होकर हिंदी लेखन क्यों
राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान 2023 से सम्मानित डॉ. अनुराग शर्मा, पेंसिलवेनिया (अमेरिका) ने कहा कि मैं एक आईटी प्रोफेशनलिस्ट हूं और हिंदी पर करीब 6 पुस्तकें लिख चुका हूं। भारत में रहते हुए यह कार्य नहीं कर सका क्योंकि यहां पर काफी रिस्ट्रिक्शन थे। लेकिन हिंदी लिखने का कार्य मन ही मन में करता। लोगों ने पूछा कि आईटी प्रोफेशनलिस्ट होकर हिंदी लेखन क्यों, मैंने कहा कि हिंदी मेरी मातृभाषा है जिसे बोलकर मैं गौरान्वित महसूस करता हूं। वहीं अमेरिका के लिए उनका कहना है कि अमेरिका एक ऐसा देश है जहां पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है और इसी वजह से मैं वहां अपने काम के साथ-साथ हिंदी लेखन का भी कार्य कर पाया।
अमेरिका के गन कल्चर के पीछे है एक छिपा हुआ कारण
अमेरिका की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उन्होंने कहा कि यदि आप किसी व्यक्ति के विरुद्ध बोलते हैं तो आपके ऊपर मानहानि का मुकदमा भी हो सकता है लेकिन भारत में आप जानवरों को किसी भी तरह से प्रताड़ित कर रहे हैं तो आप पर कोई कारवाई नहीं होगी। विकसित और विकासशील देश में मुख्य अंतर यही है और यदि इन सारी चीजों पर भारत में नियंत्रण रखें तो भारत को विकसित देश बनने से कोई नहीं रोक सकता। वहीं अमेरिका के गन कल्चर पर उनका कहना है कि इसके पीछे एक छिपा हुआ कारण है। यदि कारण नहीं होगा तो गन कल्चर अपने आप समाप्त हो जाएगा।
अतिला कोतलावल, श्रीलंका
डॉ.हंसा दीप टोरंटो
अनुराग शर्मा, पेंसिलवेनिया