Single Youth Lifestyle: आज के दौर में करियर को नई उड़ान देने के सपने लिए बड़ी संख्या में सिंगल यंगस्टर्स अपने घरों से दूर शहरों, मेट्रो सिटीज में रह रहे हैं। इनकी लाइफस्टाल ऊपरी तौर पर देखने में कूल और बिंदास लगती है, लेकिन वास्तव में आज के युवा अपनी मैच्योर सोच और प्रैक्टिकल अप्रोच के जरिए जीवन को शानदार तरीके से जी रहे हैं।
वे हमेशा उत्साह से भरे होते हैं। चाहे क्लब में हों या कैफे में। वे टेनिस, बैडमिंटन या मनचाहा कोई और गेम खेलते हैं। पार्टियों में मस्ती करते हैं। उनकी शर्ट-पैंट पर कड़क क्रीज दिखती है और शूज में हमेशा चमकती हुई क्रीम पॉलिश। वे अधिकतर हंसते, मुस्कुराते और चहकते रहते हैं। जी, हां! ये युवाओं की दुनिया है। लेकिन आप सोच रहे होंगे कि ये किन घरों के युवा हैं, जहां इन्हें मौज-मस्ती करने का इतना टाइम मिलता है, क्या इन्हें ऑफिस नहीं जाना होता? जी नहीं, जनाब आपका अनुमान गलत है। ये काम-काजी युवा ही हैं, लेकिन सिंगल हैं। हैरान न होइए, सिंगल होना हमेशा परेशानियों से ऊबे रहना ही नहीं है। सिंगल रहना खुशियों से भरा होना भी हो सकता है।
पिछली पीढ़ी के युवाओं से अलग
आज के इन युवाओं ने, पुरानी पीढ़ियों से सुने उन युवाओं को टाटा, बाय-बाय कह दिया है, जो जब तक अकेले रहते थे, घर या हॉस्टल का कमरा ऐसा दिखता था, जहां हर चीज बेतरतीब पड़ी होती थी। अखबार, फर्नीचर या फर्श को झाड़ें तो धूल की परत जमी होती थी। जहां अव्वल न तो खाने-पीने के बर्तन होते थे और न ही रसोई में तुरंत कुछ बना लेने की सुविधा। पिछली सदी के अंतिम के दशकों में उनके लिए कुछ ऐसे संबोधन हुआ करते थे, जैसे-‘ये एक नंबर के लापरवाह, आलसी और बेतरतीब हैं।’
स्टाइल को लेकर रहते हैं कॉन्शस
आज हम जिन युवाओं की बात कर रहे हैं, उनकी दुनिया पूरी तरह से बदल चुकी है। ये बिंदास जीने वाले सिंगल युवा हैं। इन्हें अपना घर खुद ही मैनेज करना होता है, दफ्तर भी और करियर ऑप्शंस भी, फिर भी इनमें थकान ढूंढ़े नहीं मिलती है। आज अकेले रहने वाले तमाम युवा पूरी तरह से व्यवस्थित रहते हैं। ये परफ्यूम लगाए बिना दफ्तर नहीं जाते। इनके चेहरे पर आप दो दिन की पुरानी शेव नहीं देख सकते। ये अपने बालों के लिए बाजार में जितने भी मुफीद उत्पाद हैं, उन सबके बारे में अच्छी तरह से जानते हैं।
आज के युवा अपने लुक और स्टाइल को लेकर हर समय सजग रहते हैं। घर से बाहर अपने बॉडी लैंग्वेज को लेकर कॉन्शस रहते हैं, इसमें अपना एक स्टाइल होता है ताकि कहीं से यह न लगे कि उनमें चलने-बोलने, उठने-बैठने या खाने-पीने की तमीज नहीं है। व्यवस्थित रहना, सजग रहना, स्मार्ट दिखना और स्टाइल की छाप छोड़ना, आज के यंगस्टर्स की खास खूबी बन चुकी है।
जीते हैं मैनेज्ड-कंफर्टेबल लाइफ
युवाओं की जितनी व्यवस्थित जिंदगी परिवार के साथ होती है, लगभग उतनी ही व्यवस्थित जिंदगी वह अकेले में भी बिताते हैं। इसका अंदाजा उनके अकेले के समृद्ध रहन-सहन से भी लगाया जा सकता है। आज का तेजी से कमाने वाला युवा सिर्फ अच्छी ड्रेसेस भर नहीं पहनता, न ही वह पार्टियों में जाने के लिए उत्सुक रहता है। सच्चाई तो यह है कि वह अपने घर में भी पूरे सुख-सुविधाओं के साथ रहता है।
बेंग्लुरु में अकेले रहने वाले 70 फीसदी से ज्यादा युवा अपना किराए का फ्लैट लेकर रहते हैं, जिसमें वह या तो अकेले या अपने किसी एक दोस्त के साथ शेयर कर रहे होते हैं। इनके फ्लैटों में वो तमाम सुख-सुविधाएं मौजूद होती हैं, जो एक जमाने में एक दशक का दांपत्य जीवन गुजार चुके जोड़ों के यहां होता था। मसलन टीवी, रेफ्रिजरेटर, शानदार किचेन और किचेन में तमाम तरह के इस्तेमाल होने वाले उपकरण। खाने पीने में भी आज के युवाओं की रुचियां विस्तृत हैं।
रिलेशन-प्रोफेशन में प्रैक्टिकल सोच
आज 81 फीसदी युवक और 76 फीसदी युवतियां, किसी से यह कहने में जरा भी नहीं हिचकते कि उन्हें वह अच्छा लगता है या अच्छी लगती है, जबकि पिछली सदी के 80 और 90 के दशक में ऐसी हिम्मत जुटा पाना बहुत कम युवाओं के ही बस में होता था। आज बड़ी तादाद में ऐसे युवा एक साथ दो पार्टनर के साथ डेटिंग कर रहे होते हैं और बिना किसी अपराधबोध में आए बड़ी सहजता से दो शख्सियतों के बीच जरूरी तुलना कर रहे होते हैं।
फिर सोच-समझकर यह किसी एक के साथ बिना किसी संकोच के रिलेशन बनाए रखने का डिसीजन करते हैं। यही नहीं जिसके साथ रिलेशन बनाए रखने में इन्हें जरा भी अनकंफर्ट फील होता है, उससे ब्रेकअप करने में देर भी नहीं करते हैं। आज के युवाओं की बातचीत में एक ठहराव और मैच्योरिटी दिखती है। साथ ही उनमें तमाम व्यावहारिक बदलावों ने अपनी जगह बनाई है, जैसे-आज के युवा 61 फीसदी से ज्यादा मौकों पर किसी से मिलने के लिए उसके वर्कप्लेस पर ही जाना पसंद करते हैं ताकि छुट्टी होने के बाद के समय को काम-काज संबंधी रूटीन मीटिंग्स में न वेस्ट किया जाए।
व्हाइट कॉलर जॉब बढ़ने के कारण युवाओं में एक विशेष किस्म का आत्मविश्वास बढ़ा है। आज व्हाइट कॉलर जॉब करने वाले लगभग 90 फीसदी से ज्यादा युवाओं के पास अपना लैपटॉप होता है, जिससे वे न सिर्फ अपने विस्तृत संपर्कों की दुनिया से लगातार जुड़े रहते हैं बल्कि मनोरंजन और अपनी दूसरी भावनात्मक जरूरतों को भी इसके जरिए पूरा करते हैं।
टेक्नो-ट्रेडिशन का कॉम्बिनेशन
आज का युवा कुछ दशक पहले के युवाओं से भिन्न जहां भी जाता है, अपने घर-परिवार के वैल्यूज और ट्रेडिशंस को नहीं भूलता है। आज का युवा एक तरफ जहां इंटरनेट के जरिए पूरी दुनिया से जुड़ा है, साइबर नेटवर्किंग के चलते जहां उसकी सोच, समझ और परिचय के दायरे में पूरी दुनिया आ गई है, वहीं उसमें अपनी जड़ों को जानने और परंपराओं को समझने की भी ललक बढ़ी है। यही वजह है कि आज का युवा पहले के मुकाबले घर से दूर रहने पर भी न तो विद्रोही बनता है और न घर-परिवार को भूल जाता है। सच, युवाओं के अकेले की दुनिया कभी भी इतनी शानदार नहीं थी।
नहीं चूकते एंज्वॉयमेंट का चांस
आज के युवाओं की दुनिया, इनके काम-काज के ढंग, इनकी लाइफस्टाइल में तड़क-भड़क ने किस तरह से इंट्री की है, इसका अंदाजा, जीवनशैली उजागर करने वाले कुछ सर्वेक्षणों को देखकर लगाया जा सकता है। दिल्ली और मुंबई में हुए एक सर्वे के मुताबिक इन शहरों के 77 फीसदी से ज्यादा युवा अकेले रहने को अभिशाप नहीं मानते। अकेले रहने पर भी ये अपने दोस्तों के साथ पार्टियां मिस नहीं करते। वीकेंड पर अपने कुलीग्स या फ्रेंड्स के साथ डिनर या हैंगआउट करने का मौका कभी नहीं छोड़ते। यानी आज के युवा एंज्वॉयमेंट का कोई भी चांस नहीं चूकते हैं।
कवर स्टोरी
शैलेंद्र सिंह