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Family Relationship: हालिया वर्षों में जिस तरह करीबी रिश्तों में दूरियां आने लगी हैं, वह सही नहीं है। परिवार में एक-दूसरे के प्रति प्रेम होना बहुत जरूरी है। पारिवारिक प्रेम हमें जीने की ताकत देता है, जिंदगी को आसान और खुशहाल बनाता है।

Family Relationship: परिवार की खुशहाली सबसे बड़ा सुख होती है। अपनों के चेहरों पर खिली खुशी की रौनक हर उम्र के लोगों के लिए बहुत ही सुकून भरा एहसास होता है। मिल-जुलकर सुख के लम्हे जीने की बात हो या दुःख-तकलीफ साझा करने का भाव, हर परिस्थिति में अपनों का साथ अनमोल होता है। इस अपनेपन से हर मुश्किल आसान हो जाती है, सुख की उजास कई गुना बढ़ जाती है। बावजूद इसके हालिया बरसों में करीबी रिश्तों में भी दूरियां आने लगी हैं। साझेपन की यह सोच सिमट रही है। ऐसे में आम-सी बातों का खयाल, इस खास जुड़ाव को मजबूत बनाए रख सकता है। 

एक-दूसरे के प्रति प्रेम का भाव जरूरी
परिवार के सदस्यों में एक-दूसरे के प्रति प्रेम का भाव होना सबसे जरूरी है। कहते हैं कि अपनों के जुड़ाव और जज्बातों में कोई मिलावट नहीं होती है। होनी भी नहीं चाहिए, क्योंकि बहुत कुछ बदल जाने के बावजूद रिश्तों की यही कड़ी सबसे अहम है। आपसी प्रेम है तो एक-दूसरे की संभाल-देखभाल से लेकर मन को समझने तक, सब कुछ किया जा सकता है। परिवार के सदस्यों के बीच अंतरंगता बनी रहती है। असल में देखा जाए तो स्नेह की बुनियाद पर ही रिश्तों के सारे भाव-चाव टिके होते हैं। स्नेह के खाद-पानी से ना केवल आपसी तालमेल का भाव पोषण पाता है, बल्कि पारिवारिक अपनेपन की सोच को भी बल मिलता है।

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जिससे परिवार के हर सदस्य को सुरक्षा, अच्छी सेहत और आत्मविश्वास की सौगात मिलती है। अपने परिजनों से प्रेम करना और उनका प्यार पाना हर मोर्चे पर जीवन को खुशहाल बनाता है। अध्ययन बताते हैं कि अपनों का प्यार मस्तिष्क में उन रसायनों को बढ़ावा दे सकता है, जो इंसान को आशावादी और खुश महसूस कराते हैं। यह खुशी और उम्मीद भरी सोच, तन-मन की सेहत सहेजने वाली होती है।

कहने-सुनने का परिवेश
इंसानी मन की भावना से लेकर व्यावहारिक व्यवहार-बर्ताव तक, सब कुछ संवाद की धुरी पर टिका होता है। कहने-सुनने का परिवेश परिवार के सदस्यों के स्वस्थ संबंधों का आधार होता है। बच्चे हों या बड़े, खुलकर राय दे पाने का माहौल पारिवारिक खुशहाली के लिए आवश्यक है। कुछ भी दबा-छुपा रखने के हालात एक ही परिवार में कई खांचे बना देते हैं। साथ होकर भी सब बंटे-बंटे से रहने लगते हैं। इसीलिए घर के हर सदस्य के लिए शिकायत, सराहना या सलाह देने का खुलापन होना चाहिए। आज के दौर में यह सहजता और आवश्यक हो चली है। समझाइश हो या स्नेह, बिना कुछ बताए, जताए अपनों तक कैसे पहुंच सकता है। इसीलिए कभी प्यार भरी बातें कहकर तो कभी गले लगाकर एक-दूसरे को साथ का भरोसा दिलाना जरूरी है। बच्चों के लिए तकलीफ में बड़ों की एक थपकी और बड़ों के लिए बच्चों का हाथ थामकर आश्वस्ति देना, रिश्तों को मजबूत बनाता है। इतना ही नहीं, ऐसे खुशहाल परिवेश में बच्चे अपनी बड़ी पीढ़ी से बहुत से लाइफ स्किल्स सीखते हैं तो बड़े भी बच्चों के साथ जिंदगी के जीवंत भावों से जुड़े रहते हैं।

आपसी गलतफहमियों को दूर करना चाहिए
हमारे पारिवारिक परिवेश में दिखता है कि निंदा या आलोचना केवल पराए ही नहीं, अपने भी करते हैं। नकारात्मक रहकर स्थिति को ना समझने की गलती अपने भी कर बैठते हैं। बहुत से घरों में रिश्तों के बिखराव की बड़ी वजह यही नकारात्मक बर्ताव भी है। इससे समस्याएं सुलझने के बजाय उलझती हैं, विवाद बढ़ते हैं, शिकायतें बढ़ती हैं। साथ बैठकर हंसने-खिलखिलाने का माहौल नहीं बनने की जगह दूरियां बढ़ने लगती हैं। मतभेद बढ़ाने वाली बातों से परवाह का भाव कम होता है। ऐसे में सही समय और परिस्थिति देखकर आपसी गलतफहमियों को दूर करना चाहिए। जरूरी हो तो स्पष्ट शब्दों में सवाल पूछकर अपनी शंका दूर करने का प्रयास होना चाहिए। हर औपचारिकता से परे परिवार के सदस्यों को एक-दूजे पर इतना अधिकार तो होता ही है। ऐसे हक दबदबा बनाने से नहीं बल्कि दिल खोलकर अपनी बात कहने से बनते हैं, जो कहीं ना कहीं परिवार की खुशहाली को बनाए रखते हैं।

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साथ बैठकर बात करना जरूरी
परिवार के सदस्यों का एक साथ बैठकर बात करना नहीं हो पाता, लेकिन समय-समय पर एक साथ जरूर होना चाहिए। त्योहार इसके लिए सबसे अच्छा अवसर है। परंपरागत उत्सव साथ मनाएं। छुट्टियों की प्लानिंग सभी का शेड्यूल देखते हुए करें ताकि साथ समय बिताया जा सके। साल में किसी खास अवसर पर मिलने का नियम बनाएं। एक ही शहर में हैं तो नियमित मिलते-जुलते रहें। किसी भी संकट या समस्या को लेकर दूर रह रहे अपनों से चर्चा जरूर करें। छोटे सदस्य हक से सलाह मांगें और बड़े अधिकारपूर्वक समझाइश दें ताकि जीवन की जरूरतें जुटाने के लिए दूर जा बसने के हालात दिलों में दूरियां ना ला पाएं।

आभासी सेतु के माध्यम से बनाए रखें जुड़ाव 
बहुत से परिवारों में काम-काजी जरूरतों और दूसरे कई  व्यावहारिक कारणों से घर के सभी सदस्यों का साथ रहना नहीं हो पाता। लेकिन सुखद यह है कि तकनीक के साथ ने जुड़े रहना आसान किया है। यह आभासी सेतु भी संबंधों के जुड़ाव को कायम रखने में मददगार है। इन माध्यमों के जरिए परिवारजन एक दूसरे के संपर्क में रहें, आत्मीयता बनाए रखें। 

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