Teacher's Day Special Story: सरस्वती रमेश: हमारे जीवन में स्कूली शिक्षा देने के अलावा आस-पास भी बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जिनका मार्गदर्शन किसी शिक्षक से कम नहीं होता। स्कूली जीवन से इतर ये लोग जीवन की पाठशाला में ऐसी व्यावहारिक शिक्षा देते हैं, जो जीवन की कठिन डगर पर चलने के लिए जरूरी है। इनकी शिक्षाएं हमारे व्यक्तित्व का विकास भी करती हैं। छोटी-छोटी बातों के लिए मिला इनका मार्गदर्शन, जीवन में बहुत मायने रखता है। इसके अलावा जीवन में समय-समय पर घटने वाली घटनाएं या अनुभव और समय का बदलाव भी हमें बहुत बड़ी सीख दे जाता है, जो एक अनुभवी शिक्षक ही अपने उद्धरणों से दे सकता है। हमारे आस-पास शिक्षकों के समान ऐसी सीख कौन देते हैं, इनका जीवन में क्या महत्व है, हमारे लिए यह जानना-समझना जरूरी है ताकि इन्हें हम अपना सम्मान दें।
घर-परिवार के प्रथम शिक्षक
बच्चों के भीतर सीखने का बीजारोपण घर-परिवार से ही होता है। एक बच्चे का पहला शिक्षक उसके माता-पिता, दादा-दादी और भाई-बहन होते हैं। यही लोग बच्चे को जीवन की मूलभूत बातों से परिचित कराते हैं। इनके बिना शर्त प्यार और संरक्षण तले बच्चे के व्यक्तित्व के निर्माण की नींव पड़ती है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, परिवार के अन्य सदस्यों और रिश्तेदारों के संपर्क में आता है। इनकी सहायता से चलना, बोलना और अच्छी-बुरी चीजों पर रिएक्ट करना सीखता है। फिर थोड़ा और बड़ा होता है तो समाज के संपर्क में आता है। वह दोस्तों से भी तरह-तरह की बातें सीखता है। इस तरह वह जीवन की पाठशाला में अनेक शिक्षकों से मिलता है, उसके सीखने की यात्रा अनवरत चलती रहती है।
छोटे-बड़े सभी हो सकते हैं शिक्षक
जरूरी नहीं कि हमें कुछ सिखाने वाला हमसे उम्र में बड़ा हो या उसका कद हमसे ऊंचा हो। कई बार हमारे बच्चे भी हमें नई-नई जानकारी देते हैं। नई तकनीक के बारे में बताते हैं। वह हमें कंप्यूटर, लैपटॉप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक गेजैट्स चलाना सिखाते हैं। इसी तरह हमारे घर के बुजुर्गों के पास अनुभवों का खजाना होता है। हम चाहें तो उनके अनुभवों से अनेक बातें सीख सकते हैं। घर की बहू-बेटियों की मां, दादी-नानी और सास असली शिक्षक होती हैं, जिनसे परिवार चलाने के गुर सीखे जा सकते हैं। बहू-बेटियों को घर की परंपराओं, तीज-त्योहारों, रीति-रिवाजों की शिक्षा इन्हीं बुजुर्गों से मिलती है।
हमारे देश में तो सदियों तक पारंपरिक भोजन और कलाओं को जीवित रखने का एकमात्र जरिया हमारे घर की बड़ी-बूढ़ी ही रही हैं। इसके अलावा हमारे घर काम करने वाली बाई, प्रेस वाला, दूध वाला, सब्जी वाला भी अपने जीवन अनुभव और कौशल में हमसे बड़े हो सकते हैं, हमें जीवन का कोई बहुमूल्य पाठ पढ़ा सकते हैं। सिखाने के मामले में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता है। इस बारे में एक लोककथा भी प्रचलित है- एक बार एक पंडितजी नदी पार करने के लिए नाव पर बैठे। उन्होंने नाविक से पूछा, ‘क्या तुमने कभी कोई किताब पढ़ी है?’ नाविक ने कहा, ‘नहीं।’ पंडितजी ने मन ही मन सोचा। यह नाविक तो अनपढ़-गंवार है। इसका जीवन बेकार है। तभी नदी की तेज धारा में नाव हिचकोले खाने लगी। थोड़ी ही देर में नाव पलट गई। नाविक तैरना जानता था पर पंडितजी तेज धारा में बहने लगे। तब नाविक ने पंडितजी को डूबने से बचाया। अब उनको अहसास हुआ कि नाविक के पास जो ज्ञान है, वह उनके पास नहीं है। नाविक उन्हें तैरना सिखा सकता है। उनका गुरु बन सकता है।
समय है सबसे बड़ा शिक्षक
कहते हैं, समय के साथ सब कुछ बदल जाता है। हमारी सोच, समझ और व्यवहार भी। जो बातें हमें कल तक ठीक लगती थीं, हो सकता है, वो आज गलत लगने लगें। या जो बातें अब तक गलत लगती थीं, आगे सही लगने लगें। कारण, समय हमें सही -गलत में फर्क करना सिखा देता है। समय के साथ हमारा अनुभव बढ़ता है। अनुभव से हम पुरानी गलतियां दोहराने से बच जाते हैं। इस तरह समय एक शिक्षक की भांति हमें सही रास्ता दिखाता है। समय हमारी सोच को परिपक्व बनाकर हमें सही निर्णय लेने में मदद करता है।
घटनाएं भी होती हैं शिक्षक
एक बार मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन हवाई जहाज से सफर कर रहे थे। हवाई जहाज में उनके आस-पास बैठे लोग इतनी बड़ी शख्सियत को अपने करीब पाकर बहुत खुश हुए। कोई उनका ऑटोग्राफ ले रहा था तो कोई उनकी फिल्मों के लिए अपनी दीवानगी के बारे में बता रहा था। लेकिन अमिताभ के बिल्कुल बगल में बैठे शख्स पर उनकी उपस्थिति का कोई असर नहीं दिख रहा था। यह देखकर अमिताभजी थोड़ा हैरान हुए। आखिर में उन्होंने ही उस शख्स से बातचीत शुरू की। उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा, ‘मेरा नाम अमिताभ बच्चन है। मैं फिल्म एक्टर हूं।’ यह सुनकर पास बैठे उस व्यक्ति ने कहा, ‘मेरा नाम रतन टाटा है। मैं एक बिजनेसमैन हूं।’ अमिताभजी को अब तक यही लग रहा था कि इस हवाई जहाज में उनसे बड़ा और खास व्यक्ति कोई दूसरा नहीं है। लेकिन रतन टाटा से इस मुलाकात ने उन्हें यह सिखाया, आप कितने भी बड़े हों, आपसे भी बड़ा कोई हो सकता है। कहने का तात्पर्य यही है कि कई बार कोई सामान्य-सी लगने वाली घटना भी हमें कोई बड़ी सीख दे जाती है।