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Helicopter Parenting: हर मां-बाप अपने बच्चे को हर मुसीबत से बचाना चाहते हैं, लेकिन अनजाने में ही वे बच्चे को हैलीकॉप्टर पैरेंटिंग देने लगते हैं।

Helicopter Parenting: हर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा दुनिया में सफलता के झंडे गाड़े। इसके लिए उसकी शुरुआत से ही बेहतर परवरिश की जाने की कोशिश होती है। मां-बाप अपने बच्चे को मुसीबतों से भी बचाए रखना चाहते हैं, ऐसे में कई पैरेंट्स बच्चे को प्रोटेक्ट करने की कोशिश में उससे जुड़े सारे निर्णय खुद लेने लगते हैं। उसे गलतियां करने से रोकते हैं और उसे हर वक्त बचाने की कोशिश में लगे रहते हैं।

मां-बाप अगर बच्चे की जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारी लेने लगते हैं तो ये रवैया बच्चे में एंजाइटी और आत्मविश्वास की कमी पैदा कर सकता है। ओवर कंट्रोलिंग और ओवर प्रोटेक्शन बच्चे के लिए काफी नुकसानभरा हो सकता है। 

क्या है हैलीकॉप्टर पैरेंटिंग?
बच्चे के हर डिसीजन खुद लेने की पैरेंट्स की आदत बच्चे को धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बनने की राह से हटा देती है। पेरेंट वेबसाइट के मुताबिक बच्चा पूरी तरह से मां-बाप के निर्णयों पर आधारित हो जाता है। पैरेंटिंग की इस स्टाइल को ही हैलीकॉप्टर पैरेंटिंग कहा जाता है। इस पैरेंटिंग स्टाइल से समय के साथ बच्चे का आत्मविश्वास भी पूरी तरह से खत्म हो सकता है। 

परवरिश में करें बदलाव

गलतियों से सीखने दें - कोई भी बच्चा हमेशा हर काम एकदम सही और परफेक्ट नहीं कर सकता है। बच्चे को गलतियां करने दें और उसे उन गलितयों से सीखने भी दें। इससे बच्चे को हालातों को समझने और उससे उबरने की आदत बनेगी। 

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खुला संवाद - पैरेंट्स होने के नाते आपको अपने बच्चे को अपनी बात रखने का पर्याप्त मौका देना चाहिए। बच्चों से खुला संवाद करें और उन्हें भी ऐसा करने का मौका दें। इससे वे अपनी बातों के सही ढंग से रखना सीखेंगे और अपनी जरूरतों को भी आपसे साझा कर सकेंगे। 

आत्मनिर्भर बनाएं - बच्चे को जीवन में सफलता दिलाना है तो ये माता-पिता की जिम्मेदारी है कि उसे आत्मनिर्भर बनाएं। उसे अपना काम खुद करने दें और छोटे-छोटे काम में हाथ न बटाएं। अपनी प्लेट उठाकर रखना, सुबह बेड साफ करना जैसी आदतें बच्चे को इंडिपेंडेंट बनाएंगी। 

निर्णय लेने दें - बच्चे के लिए जरूरी है कि वो सही और गलत के बारे में समझे और उसे लेकर खुद निर्णय ले। बच्चों को प्लानर भी बनाएं और उन्हें अगले दिन का रूटीन बनाने के लिए कहें। साथ ही उस रूटीन को फॉलो करने के लिए प्रोत्साहित भी करें। इससे बच्चा चीजों को मैनेज करना सीखेगा।

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प्राइवेसी भी दें - बच्चे को खुद के लिए समय निकालने का भी मौका दें। हर वक्त उसके साथ रहने के बजाय उसे थोड़ी प्राइवेसी भी दें। उसे दोस्त चुनने, लोगों से मेल मुलाकात का भरपूर मौका दें। इससे बच्चे के आत्मविश्वास में इजाफा होगा। 

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