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Yoga for Depression: बारिश के मौसम में कुछ लोग सीजनल टेंपरेरी डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। इसे मानसून ब्लूज कहते हैं। हालांकि यह कंडीशन कुछ टाइम के लिए होती है। लेकिन अगर आप कुछ योगासनों का अभ्यास करें तो इससे बचे रह सकते हैं।

Yoga Tips for Depression: मानसून अवसाद को मानसून ब्लूज भी कहते हैं। यह रियल डिप्रेशन नहीं होता बल्कि थकान, सुस्ती, चिड़चिड़ापन, भूख ना लगना और कुछ-कुछ डिप्रेशन जैसा ही होता है। यह एक सीजनल इमोशनल डिजीज है। जब लगातार बारिश हो रही होती है, वातावरण में घटाओं से हल्का अंधेरा छाया होता है तो कुछ लोगों का किसी भी काम में मन नहीं लगता क्योंकि सब कुछ ठहर गया लगता है। इसे ही मानसून ब्लूज कहते हैं। इससे उबरने के लिए कुछ योगासनों का सहारा ले सकते हैं, वरना इस मानसून डिप्रेशन से बहुत स्थाई किस्म की बीमारियां पैदा होने की आशंका रहती है।

स्टडी से हुआ प्रूफ
कुछ समय पहले राजधानी दिल्ली में स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने 12 वीक्स की एक रिसर्च के जरिए यह साबित किया कि नियमित सूर्य नमस्कार और कुछ अन्य योगासन करने से ना केवल 60 से 70 फीसदी तक डिप्रेशन में कमी आती है बल्कि शरीर को कई तरह के दूसरे फायदे भी मिलते हैं। रिसर्च में पाया गया कि जो लोग बिना योगासनों के डिप्रेशन से बचाव के लिए दवाइयां ले रहे थे, उन दवाइयों ने सिर्फ 20 से 30 फीसदी तक ही फायदा पहुंचाया, लेकिन जो लोग साथ में योग भी कर रहे थे, उन्हें दवाओं ने 60 फीसदी से ज्यादा फायदा पहुंचाया। यह स्टडी एम्स दिल्ली के एनाटॉमी विभाग और साइकिएट्रिक विभाग ने मिलकर किया था और इस रिसर्च का विश्लेषण एनाटॉमी विभाग की तत्कालीन प्रो. डॉक्टर रीमा दादा ने किया था। उनके मुताबिक योग में साबित हुआ है कि ये तनाव और एंजाइटी को दूर करने में बेहद कारगर है।

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ये आसन हैं कारगर
जहां तक मानसून डिप्रेशन से राहत की बात है तो इसके लिए अधोमुख श्वानासन, सेतुबंधासन, शवासन, चक्रासन और उत्तानासन सबसे प्रभावी माने जाते हैं।

अधोमुख श्वानासन(Adho Mukha Svanasana): इसे अंग्रेजी में डाउनवर्ड डॉग पोज भी कहते हैं। मानसून के डिप्रेशन वाले मौसम में इसे करने से दिमाग शांत रहता है। सिरदर्द नहीं होता। कंधा, हाथ और पैर मजबूत बनते हैं। फेफड़ों की क्षमता भी बढ़ती है, जिससे इस नकारात्मक मौसम में हम अपने शरीर में ऊर्जा और प्रेरणा महसूस करते हैं।

सेतुबंधासन(Setubandhasana): जो लोग नियमित तौर पर मानसून के मौसम में डिप्रेशन में चले जाते हों, उन्हें यह आसन जरूर करना चाहिए। सेतुबंध आसन करने से मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है। इससे गर्दन का दर्द दूर होता है और तनाव तथा अवसाद से राहत मिलती है। वैसे चर्बी घटाने में भी यह आसन बहुत कारगर है। इसे हर दिन दो बार करना चाहिए और करते हुए बीच-बीच में आराम भी करना चाहिए।

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शवासन(Shavasana): शवासन भी इस मानसून ब्लूज में हमें ऊर्जा और सकारात्मकता से भरपूर करता है। इससे हमारा फोकस सिर्फ हम पर रहता है। शवासन प्रतिदिन सुबह-शाम करने से शरीर रिलैक्स महसूस करता है। इससे शरीर की ऑक्सीजन लेबल सुधरती है। सिरदर्द और अनिद्रा दूर होती है, बढ़ा ब्लड प्रेशर सामान्य होता है। इस सबसे मानसून अवसाद में कमी आती है।

चक्रासन(Chakrasana): चक्रासन भी मानसून अवसाद से बाहर निकालने में बहुत कारगर है। इसे करने से हृदय रोगों का खतरा घटता है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। नियमित रूप से चक्रासन करने से मानसून के मौसम में हम बुझे-बुझे और थके-थके नहीं रहते।

उत्तानासन(Uttanasana): उत्तानासन करना थोड़ी कठिन प्रक्रिया है, लेकिन एक बार इसे करना शुरू करने से यह बहुत सहज हो जाता है। इस आसन को मानसून के दौरान नियमित रूप से करने से सिरदर्द और अनिद्रा दूर हो जाती है। पाचन क्रिया मजबूत होती है। ब्लड प्रेशर पर कंट्रोल रहता है, जांघ और घुटनों पर भी इसका सकारात्मक असर होता है।

यहां बताए गए किसी भी आसन को करने से पहले योग प्रशिक्षक से अच्छी तरह सीख लें।

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