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सर्दी के मौसम में कई लोग घुटनों के दर्द से परेशान रहते हैं। इससे बचाव और राहत के लिए आप बालासन का अभ्यास कर सकते हैं। लेकिन ऐसा योग विशेषज्ञ के निर्देशन में ही करें, तभी पूरा लाभ मिलेगा।

Benefits of balasan yoga: बालासन यानी चाइल्ड पोज एक ऐसा योगासन है, जिसे नियमित करने से जोड़ों के दर्द से, खासकर सर्दियों में राहत मिलती है। इसे नियमित करने से जांघों, कूल्हों और टखनों में खिंचाव पैदा होता है। यह आसन चिंता, तनाव, अवसाद और नींद संबंधी परेशानियों को भी दूर करता है। जानिए इसे कैसे करें और फायदे?
 
आसन की सही विधि
बालासन करने के लिए पहले योगा मैट या जमीन पर चादर बिछाकर वज्रासन की मुद्रा में बैठ जाएं। धीरे-धीरे श्वांस अंदर लेते हुए दोनों हाथों को सीधा सिर के ऊपर उठाएं, लेकिन ध्यान रखें, इस दौरान हथेलियां नहीं जोड़नी है। कुछ क्षणों के बाद अब श्वांस बाहर की तरफ धीरे-धीरे छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें और झुकने के दौरान इस बात का ध्यान रखें कि कूल्हे के जोड़ों से झुकना है, ना कि कमर के जोड़ से। आहिस्ता-आहिस्ता आगे की ओर झुकते रहें, जब तक कि आपकी हथेलियां जमीन पर नहीं टिक जातीं। अब सिर को जमीन पर टिका लें। अब आप बालासन की मुद्रा में हैं। पूरे शरीर को रिलैक्स करें और लंबी श्वांस अंदर बाहर छोड़ें। अब दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में सख्ती से जोड़ लें और इनके बीच अपने सिर को रखकर उसे सहारा दें। इसके बाद सिर को दोनों हथेलियों के बीच में धीरे से रखें और सांस सामान्य रखें। बालासन की मुद्रा में शुरू में 30 सेकेंड रहें। इसके बाद जैसे-जैसे अभ्यास बढ़ता जाए, इस मुद्रा में अपने रहने की स्थिति को क्रमशः एक मिनट से पांच मिनट तक बढ़ाएं।

आसन से पहले और बाद में
बालासन एक बहुत ही सामान्य मुद्रा है, इसमें किसी भी तरह की जटिलता नहीं है। इसलिए बालासन करने के पहले या उसके बाद कोई भी आसन कर सकते हैं। इसमें किसी तरह का नुकसान नहीं होगा बशर्ते सहजता के साथ करें, जब तक कि शरीर को कोई विशेष परेशानी ना हो। इसी तरह बालासन के बाद भी कोई आसन किया जा सकता है। लेकिन बालासन करते हुए कुछ सावधानी बरती जानी चाहिए।
 
बालासन के फायदे
सर्दियों में नियमित बालासन करने से घुटनों का दर्द दूर रहता है, साथ ही थकान से भी राहत मिलती है। इसके अलावा भी इस आसन के कई और फायदे हैं। बालासन करने से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, इसलिए अगर सीने में दर्द हो रहा हो और गर्दन में भी दर्द रहता हो तो इन परेशानियों से भी बालासन राहत दिलाता है। नियमित रूप से बालासन करने पर पीठ दर्द और पीठ के निचले हिस्से की मांसपेशियों में होने वाला दर्द यानी कूल्हों के दर्द से भी राहत मिलती है। वास्तव में कोरोना महामारी के बाद दुनिया के ज्यादातर हिस्सों में वर्क फ्रॉम होम की प्रवृत्ति बढ़ी है, जिससे लंबे समय तक लोग कुर्सियों में एक ही मुद्रा में बैठे रहते हैं, ऐसी दिनचर्या वालों को बालासन करने के फायदे हैं। हृदय की बीमारियों मसलन हृदय की अनियमित गति, सिस्टोलिक रक्तचाप और डायस्टोलिक रक्तचाप में भी बालासन फायदेमंद होता है। लेकिन हृदय की बीमारियों की स्थिति में बालासन तभी करना चाहिए, जब डॉक्टर इसकी इजाजत दें। डॉक्टर से बिना पूछे यह आसन हृदय रोग से पीड़ित लोगों को नहीं करना चाहिए।

बरतें सावधानी
वैसे बालासन एक आराम की मुद्रा है, इसलिए अगर कोई दूसरा आसन कर रहे हैं, तो भी आसन करने के बाद रिलैक्स करने के लिए बालासन किया जा सकता है। अगर घुटनों में चोट लगी है या पेट खराब है और दस्त आ रहे हैं तो यह आसन नहीं करना चाहिए। अगर आप शीर्षासन करते हैं तो बालासन जरूर करें। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि कभी भी अपनी शारीरिक क्षमताओं से ज्यादा जोर ना लगाएं। अगर आप उच्च रक्तचाप से पीड़ित हैं या गर्भवती महिला हैं तो बालासन करने से बचें। अगर आपको जरूरी ही लगे तो पहले किसी योग विशेषज्ञ से और संबंधित परेशानियों के डॉक्टर से परामर्श जरूर कर लें। ध्यान रखें, इस आसन के दौरान कई बार सांस लेने में परेशानी होती है और लोगों को घुटन महसूस हो सकती है। इसलिए अगर आपको उच्च रक्तचाप की समस्या है या सांस लेने में किसी तरह की परेशानी है तो अधिक देर तक सिर को जमीन पर ना रखें। स्लिप डिस्क, घुटने की चोट या स्पोंडिलाइटिस के मरीजों को बालासन करने से बचना चाहिए।

दिव्यज्योति ‘नंदन’

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