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New classical languages: मोदी कैबिनेट ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया। अब भारत में शास्त्रीय भाषाओं की संख्या 11 हो गई है।

New classical languages: मोदी सरकार ने देश की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पांच नई भाषाओं—मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली—को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया है। इस फैसले के बाद शास्त्रीय भाषाओं की कुल संख्या 11 हो गई है। इससे पहले तमिल, संस्कृत, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और ओड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त था। ओड़िया को 2014 में शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिला था। इस नई सूची में शामिल भाषाओं को उनके समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक योगदान के आधार पर चुना गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने फैसले की तारीफ की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस फैसले की तारीफ की और इसे देश की समृद्ध संस्कृति और इतिहास का सम्मान बताया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर पोस्ट किया, "असमिया, बंगाली, मराठी, पाली और प्राकृत को शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने पर मुझे बेहद खुशी हो रही है। ये सभी सुंदर भाषाएं हमारी विविधता को प्रदर्शित करती हैं।"

भाषाओं की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण
सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस कहा कि यह फैसला 'ऐतिहासिक' है। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि केंद्र सरकार का  यह कदम भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में उठाया गया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में देश की दूसररी  भाषाओं को भी इसी प्रक्रिया के तहत वैज्ञानिक साक्ष्य और शोध के आधार पर परखा जाएगा।

शास्त्रीय भाषा की मान्यता के लिए नई प्रक्रियाएं
कैबिनेट की ओर से शास्त्रीय भाषाओं की मान्यता के लिए पात्रता मापदंडों को भी अपडेट किया गया है। इन भाषाओं को मान्यता देने की प्रक्रिया केंद्र सरकार के भाषा विशेषज्ञ समिति द्वारा तय की जाएगी, जो ऐतिहासिक साक्ष्य और सांस्कृतिक योगदान पर आधारित होगी। बता दें कि मोदी सरकार ने क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने की हमेशा वकालत की है। सरकार का दावा है कि यह फैसला न केवल भाषाओं की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करेगा, बल्कि इन भाषाओं के अध्ययन और शोध को भी बढ़ावा मिलेगा। 

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