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Acharya Pramod Krishnam expulsion: आचार्य प्रमोद कृष्णम ने रविवार को अपने निष्काषन के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा। पूछा कि क्या राम का नाम लेना और अयोध्या जाना कांग्रेस के लिए पार्टी विरोधी गतिविधि है। मैं एक रामभक्त हूं मेरी अभिलाषा है कि मुझे 6 साल के लिए नहीं 14 साल के लिए निष्काषित कर दिया जाए।

Acharya Pramod Krishnam expulsion: आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस से निष्काषित किए जाने के बाद रविवार को पहली बार इसे लेकर चुप्पी तोड़ी। कृष्णम ने कहा कि 'राम' और 'राष्ट्र' के मुद्दे पर किसी तरह का समझौता नहीं होगा। वरिष्ठ नेता ने कहा कि भगवान राम को 14 वर्ष के लिए वनवास दिया गया था, ऐसे में एक रामभक्त को सिर्फ 6 साल के लिए क्यों निकाला जा रहा है। मेरे निष्काषन की अवधि भी बढ़ाकर 14 वर्ष कर दी जानी चाहिए। 

'मेरे कांग्रेस से कुछ सवाल हैं'
कृष्णम ने कहा कि मुझे कल रात न्यूज चैनलों के माध्यम से यह पता चला कि कांग्रेस पार्टी ने एक चिट्ठी जारी की है। कांग्रेस पार्टी की ओर से जनरल सेक्रेटरी केसी वेणु़गोपाल ने चिट्ठी जारी की गई है। इस चिट्ठी में लिखा है कि मैं पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। मैं मल्लिकार्जुन खड़गे और केसी वेणुगोपाल से पूछना चाहता हूं कि मेरा कौन सा बयान या काम पार्टी विरोधी थी।

'मुझे आजाद करने के लिए धन्यवाद'
वरिष्ठ नेता ने पूछा कि क्या राम का नाम लेना पार्टी विरोधी है, क्या अयोध्या जाना पार्टी विरोधी है, क्या अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा में जाने का न्यौता स्वीकार करना पार्टी विरोधी गतिविधि था। क्या श्री कल्कि धाम की आधारशिला रखना या फिर प्रधानमंत्री मोदी से मिलना पार्टी के खिलाफ था। क्या भारती संस्कृति, सनातन और संस्कार की बात करना पार्टी विरोधी है। मैं कांग्रेस नेतृत्व से इन सवालों का जवाब चाहता हूं। उन्हें (कांग्रेस नेतृत्व) यह बताना चाहिए कि इनमें से कौन सा काम पार्टी विरोधी गतिविधि माना गया। मैं कांग्रेस नेतृत्व को मुझे आजाद करने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।

मैं छात्र जीवन से कांग्रेस के साथ था
मैं छात्र जीवन में, जब मेरी उम्र 16-17 साल थी, 1981- 82 में स्वर्गीय राजीव गांधी से मिला था। जब संजय गांधी के निधन के बाद सांसद बने थे। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थे। जब इंदिरा गांधी की हत्या हो गई और राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने तो हमने उनसे वादा किया था कि मैं मरते दम तक कांग्रेस नहीं छोडूंगा। मुझे राजीव गांधी से राजेश पायलट ने मिलवाया था। तब से लेकर अब तक मैं कांग्रेस पार्टी था। 

'मैं कांग्रेस के कई फैसलों से सहमत नहीं था'
मैं कांग्रेस के कई फैसलों से सहमत नहीं था। धारा 370 को हटाने का फैसला जब प्रधानमंत्री ने लिया तो यह देश हित में था, कांग्रेस को इसका विरोध नहीं करना चाहिए था। जब तीन तलाक को हटाने का फैसला मुस्लिम महिलाओं के हक में था, इसका कांग्रेस सरकार को विरोध नहीं करना चाहिए था। जब डीएमके के नेताओं ने सनातन के बारे में टिप्पणी की, सनातन धर्म को डेंगू , मलेरिया बताते हुए इसे मिटाने की बात कही, तो कांग्रेस को इसका समर्थन नहीं करना चाहिए था। जब मैंने इन फैसलों पर सवाल उठाए तो मेरा अपमान किया जाने लगा। कई बार मैं सोचता था कि मैं आपमान का घूंट पीकर भी कांग्रेस में क्यों रहा। फिर मैं बस राजीव गांधी को दिए गए वचनों के कारण वहां रुका रहा। 

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