Asaduddin Owaisi Moves Supreme Court: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 के कार्यान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। ओवैसी ने कहा कि लंबित अवधि के दौरान नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6 बी के तहत नागरिकता का दर्जा देने की मांग करने वाले किसी भी आवेदन पर सरकार द्वारा विचार या कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
सीएए को दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित किया गया था। हालांकि, केंद्र सरकार ने 11 मार्च को इसे नोटिफाई किया। इस कानून का उद्देश्य गैर मुस्लिम शरणार्थियों को तेजी से नागरिकता प्रदान करना है। नागरिकता उन्हें मिलेगी, जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए थे।
AIMIM president Asaduddin Owaisi approaches the Supreme Court seeking to stay the implementation of the Citizenship Amendment Act (CAA), 2019 and the Rules, 2024.
— ANI (@ANI) March 16, 2024
Owaisi says no applications seeking grant of citizenship status be entertained or processed by the government under… pic.twitter.com/w8uQii4lyn
200 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित
2019 से शीर्ष अदालत में दायर 200 से अधिक संबंधित याचिकाओं में विभिन्न सीएए प्रावधानों को चुनौती दी गई है। सुप्रीम कोर्ट 19 मार्च को याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। विपक्ष सीएए के मुद्दे पर सरकार पर हमलावर है। इसे असंवैधानिक, भेदभावपूर्ण करार दिया है। साथ ही कहा कि यह कानून संविधान में निहित नागरिकता के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत का उल्लंघन है।
धर्म के आधार पर कानून नहीं बन सकता
ओवैसी का तर्क है कि मोदी सरकार का कानून संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि चार साल पहले मोदी सरकार द्वारा बनाया गया यह कानून संविधान के खिलाफ है। आप धर्म के आधार पर कानून नहीं बना सकते। इस पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं। सीएए समानता के अधिकार के खिलाफ है।
इस कानून से मुस्लिम प्रवासियों को बाहर रखा गया है। विपक्ष का तर्क है कि मुसलमानों को नागरिकता संशोधन अधिनियम के दायरे से बाहर रखकर और नागरिकता को धार्मिक पहचान से जोड़कर, संविधान को कमजोर करने की कोशिश की गई है।
हालांकि, केंद्र ने कहा है कि देश के किसी भी नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा है कि सीएए कभी वापस नहीं लिया जाएगा और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार इसके साथ कभी समझौता नहीं करेगी।