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Medical Student Murder: कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पिछले दिनों एक जूनियर डॉक्टर की हत्या कर दी गई। पीएम रिपोर्ट में उसके साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है।

Medical Student Murder: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। इम मुद्दे पर देशभर में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने विरोध जताया है। पीड़ित जूनियर डॉक्टर को जल्द न्याय दिलाने की मांग बुलंद हो चुकी है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर दुष्कर्म और हत्या की घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। डॉक्टरों ने 26 एकड़ में फैले इस अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर खामियां उजागर की हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में CCTV कैमरों की कमी, दलालों की सक्रियता, और रात में बाहरी व्यक्तियों की जांच नहीं होना सुरक्षा को लेकर बड़ी लापरवाही है।

1) CCTV कवरेज की कमी
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का आरोप है कि जहां डॉक्टर की लाश मिली, वहां (इमरजेंसी बिल्डिंग) के सेमिनार रूम में कोई CCTV कैमरा नहीं है। यहां तक कि बिल्डिंग की गैलरी और वार्डों में भी CCTV नहीं है। सिर्फ मेन गेट पर CCTV है। हॉस्पिटल में लगे अधिकांश CCTV बंद पड़े हैं। साथ ही क्विक रिएक्शन टीम का भी अभाव है। आर जी कर अस्पताल में काम कर चुके सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर शुभेंदु मलिक और हॉस्पिटल अथॉरिटी ने इन आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

2) हॉस्पिटल में आराम के लिए कोई रूम नहीं 
जूनियर डॉक्टरों के मुताबिक, अस्पताल में दरिंदगी का शिकार हुई पीड़ित छात्रा को थोड़ी देर आराम करने के लिए सेमिनार हॉल का यूज करना पड़ा, क्योंकि यहां महिलाओं के लिए आराम करने की कोई जगह नहीं है। सेमिनार हॉल में कोई वॉशरूम नहीं है। एक इंटर्न डॉक्टर ने बताया कि उन्हें ड्यूटी के दौरान कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अस्पताल में बड़ी संख्या में ट्रॉमा मरीज पहुंचते हैं, इस रेश्यो में डॉक्टरों की संख्या कम है। अगर कोई हमें गाली भी देता है, तो मदद के लिए कोई नहीं है। वॉशरूम या कपड़े बदलने के लिए भी कोई स्थान नहीं है। नाइट ड्यूटी के दौरान अक्सर सेमिनार हॉल या सोनोग्राफी रूम का इस्तेमाल करना पड़ता है।

3) एंट्री स्क्रीनिंग और दलालों की सक्रियता
एक डॉक्टर ने “अनधिकृत प्रवेश” को प्रमुख समस्या बताते हुए कहा कि अक्सर एक मरीज के साथ 11-12 रिश्तेदार अस्पताल आते हैं। केवल ID कार्ड वाले लोगों को ही वार्ड में जाने की अनुमति होनी चाहिए। SSKM के वुडबर्न वार्ड में VIPs और राजनेताओं के लिए सख्त सुरक्षा होती है। रात के समय अस्पताल में बाहरी व्यक्तियों की कोई स्क्रीनिंग नहीं होती है। एक महिला हाउसकीपिंग स्टाफ ने कहा कि 15-20 लोग एक मरीज के साथ इमरजेंसी डिपार्टमेंट में घुस जाते हैं। यहां कई बार लोग शराब पीते भी देखे गए। एक प्रदर्शनकारी पीजी डॉक्टर ने आरोप लगाया कि अस्पताल में कई कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से कई दलालों के रैकेट में शामिल हैं। अधिकारियों का कंट्रोन न के बराबर है और हर वार्ड में उनकी पहुंच है।

4) सुरक्षा और प्रकाश की कमी
डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल में 24 घंटे पर्याप्त पुलिस बल की मौजूदगी होनी चाहिए। डॉक्टर निहाल साहा ने कहा कि रात के वक्त फ्लोर पर कोई सुरक्षा नहीं होती है। अस्पताल में मेन गेट पर प्राइवेट सिक्योरिटी एजेंसी के गार्ड होते हैं, लेकिन जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि निजी गार्ड रात 9 बजे के बाद गेट पर नहीं मिलते हैं। अस्पताल 26 एकड़ में फैला है और नाइट शिफ्ट में महिला कर्मचारियों को अंधेरे इलाकों में सुरक्षा की चिंताओं का सामना करना पड़ता है। परिसर के कई हिस्से घुप्प अंधेरे में रहते हैं।

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