Bhima Koregaon Case: भीमा कोरेगांव हिंसा की आरोपी और एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में कार्यकर्ता शोमा कांति सेन को शुक्रवार को जमानत मिल गई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कुछ शर्तें भी रखी हैं। महाराष्ट्र नहीं छोड़ेंगी, पासपोर्ट जमा करना होगा और अपने रहने की जगह के बारे में एनआईए को बताना होगा।
अदालत ने यह भी कहा कि शोमा को अपना मोबाइल नंबर एनआईए अधिकारी को देना होगा। कभी मोबाइल स्विच ऑफ नहीं करेंगी। मतलब नंबर चालू रखना होगा और मोबाइल हमेशा चार्ज रखना होगा। मोबाइल का जीपीएस भी चालू रहना चाहिए। जीपीएस एनआईए अधिकारी के मोबाइल से लिंक रहेगा, ताकि लोकेशन ट्रेस की जा सके। अगर शर्तों को नहीं माना गया तो जमानत अभियोजन पक्ष जमानत रद्द करने की मांग कर सकता है।
Supreme Court allows the release of Sen on bail on certain conditions including - she shall not leave Maharashtra, she shall surrender her passport, she shall inform NIA about her residence, she shall inform NIA officer about her mobile number and maintain that number remains…
— ANI (@ANI) April 5, 2024
2018 में हुई थी गिरफ्तारी
प्रोफेसर शोमा कांति सेन साढ़े 5 साल बाद जेल से बाहर आएंगी। नागपुर की कार्यकर्ता सेन कथित माओवादी संबंधों के लिए अभी न्यायिक हिरासत में हैं। 6 जून, 2018 को सेन के साथ को पुणे सिटी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। साथ ही दिल्ली से कार्यकर्ता रोना विल्सन, मुंबई से सुधीर धावले, नागपुर स्थित वकील सुरेंद्र गाडलिंग और पूर्व प्रधान मंत्री ग्रामीण विकास (पीएमआरडी) साथी महेश राउत को भी नागपुर से गिरफ्तार किया था।
शोमा सेन के खिलाफ यूएपीए एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। जांच एजेंसी का आरोप है कि शोमा का सीपीआई माओवादी से संबंध है।
16 लोगों की हुई थी गिरफ्तारी
पुणे पुलिस के अनुसार, भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को हिंसा भड़की थी। इसके लिए एल्गार परिषद जिम्मेदार है। इसी संगठन ने हिंसा के एक दिन पहले पुणे के शनिवारवाड़ा में एक बैठक बुलाई थी। हिंसा के पीछे एक बड़ी नक्सल साजिश थी। घटना के 2 साल बाद जनवरी 2020 में पूरे मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई थी। 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। अभी भी कई आरोपी जेल में बंद हैं। कुछ को जमानत मिली है। जबकि झारखंड के फादर स्टेन स्वामी की जमानत मिलने से पहले इलाज के दौरान मौत हो चुकी है।