Jai Bapu Jai Bhim Jai Samvidhan: कांग्रेस शुक्रवार(3 जनवरी) से देशभर में 'जय बापू, जय भीम, जय संविधान' अभियान का आगाज करेगी। कांग्रेस यह अभियान भारतीय संविधान और महात्मा गांधी की विचारधारा को बचाने के संकल्प के साथ शुरू कर रही है। इसका समापन गणतंत्र दिवस पर 26 जनवरी को डॉ. भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली महू में होगा। यह पहल कांग्रेस के हालिया बेलगावी अधिवेशन के 100 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में की गई है। हालांकि, पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के कारण अभियान की तारीख पहले टाल दी गई थी।
क्या है कांग्रेस के इस अभियान का मकसद
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस अभियान के मकसद के बारे में बताते हुए कहा कि यह संविधान को बचाने और महात्मा गांधी की विरासत को बचाने की कोशिश है। देश के हर ब्लॉक, जिले और राज्य में इस दौरान रैलियां होंगी। जरूरत पड़ने पर अभियान 26 जनवरी के बाद भी जारी रहेगा। कांग्रेस इस अभियान के जरिए लोगों को संविधान के प्रति जागरूक करेगी। इसके साथ ही भाजपा की नीतियों के खिलाफ कार्यकर्ताओं को एकजुटत करने की काेशिश करेगी।
'संविधान बचाओ' पद यात्रा 26 जनवरी से
26 जनवरी से कांग्रेस एक साल लंबी 'संविधान बचाओ राष्ट्रीय पद यात्रा' शुरू करेगी। बेलगावी अधिवेशन के दौरान मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने इस यात्रा का ऐलान किया था। कांग्रेस का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा ने पार्टी को नई ऊर्जा दी थी, और यह नई यात्रा उसी दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी। सोनिया गांधी ने चिट्ठी लिखकर कार्यकर्ताओं को इस यात्रा में शामिल होने की अपील की है। सोनिया गांधी ने चिट्ठी में कहा है कि यह यात्रा ऐतिहासिक होने वाली है।
भाजपा ने लगाया देश का गलत नक्शा दिखाने का आरोप
भाजपा ने कांग्रेस पर अपने पोस्टरों में भारत का गलत नक्शा दिखाने का आरोप लगाया है। भाजपा के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने दावा किया कि कांग्रेस ने अपने होर्डिंग्स में कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा दिखाया है। राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने भी कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने पोस्टर्स और होर्डिंग्स में कश्मीर और अक्साई चिन को भारत का हिस्सा नहीं दिखाया। यह पार्टी की असली मंशा को उजागर करता है। कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक एजेंडा बताया है। यह नक्शा बेलगावी अधिवेशन से पहले लगाए गए पोस्टर में नजर आया था।
क्या है कांग्रेस के बेलगावी अधिवेशन का इतिहास
कांग्रेस का बेलगावी अधिवेशन महात्मा गांधी की अध्यक्षता में 1924 में हुआ था। यह देश की आजादी की लड़ाई में एक अहम माइलस्टोन माना जाता है। गांधी जी ने उस समय स्वराज गुट और नो-चेंज गुट के बीच सामंजस्य बनाने की कोशिश की थी। महात्मा गांधी ने अधिवेशन के फिजूल खर्चों पर भी आपत्ति जताई थी। अधिवेशन के लिए गांधी जी ने बांस और घास से बनी झोपड़ी में रहना पसंद किया। उन्होंने सजावट और अन्य खर्चों पर आपत्ति जताई थी। अधिवेशन में खर्च के बाद भी 773 रुपए का लाभ हुआ, जिसे कांग्रेस ने पार्टी कोष में जमा किया। यह अधिवेशन कांग्रेस के लिए न केवल आर्थिक रूप से बल्कि राजनीतिक रूप से भी एक अहम मोड़ साबित हुआ। हालांकि, कांग्रेस ने अब बेलगावी के अधिवेशन स्थल को पर्यटन केंद्र में बदल दिया है, जहां अधिवेशन के दौरान इस्तेमाल किया गया कुआं भी मौजूद है।