Gurmeet Ram Rahim Acquittal: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को बड़ी राहत मिली है। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने डेरा मैनेजर रणजीत सिंह हत्याकांड में राम रहीम समेत 5 लोगों को बरी कर दिया है। रणजीत सिंह की 2002 में हत्या कर दी गई थी। सीबीआई अदालत ने 2021 में राम रहीम और चार अन्य को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। 56 वर्षीय डेरा प्रमुख ने इस सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
राम रहीम इस समय रोहतक की सुनारिया जेल में बंद है। उसे अब तक तीन मामलों में सजा हुई है। इनमें रणजीत सिंह हत्याकांड के अलावा पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की हत्या और 2 साध्वियों के यौन शोषण का केस भी शामिल है। पत्रकार की हत्या में राम रहीम को उम्र कैद और यौन शोषण के 2 केसो में 10-10 साल की कैद हुई थी। ऐसे में रणजीत हत्याकांड में बरी होने के बावजूद राम रहीम जेल से बाहर नहीं आ पाएगा।
#WATCH | Chandigarh: Dera Sacha Sauda chief Gurmeet Ram Rahim Singh, 4 others acquitted in 2002 Ranjit Singh murder case
— ANI (@ANI) May 28, 2024
Jatinder Khurana, lawyer of Gurmeet Ram Rahim, says, "...The Honorable Punjab and Haryana High Court has changed the order of the lower court and all five… pic.twitter.com/ftVdnYPsat
10 जुलाई 2002 को गोली मारकर हत्या
कुरुक्षेत्र के रहने वाले रणजीत सिंह की 10 जुलाई 2002 को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। शुरुआती जांच में पुलिस ने राम रहीम को क्लीनचिट दे दिया था। इससे आहत रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह ने जनवरी 2003 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी।
19 साल बाद सजा, तीन साल बाद बरी
साल 2003 में जांच सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई ने 2006 में राम रहीम के ड्राइवर खट्टा सिंह का बयान लिया। जिसके बाधार पर राम रहीम का नाम इस केस में शामिल किया था। इस मामले में 2007 में कोर्ट ने आरोपियों पर आरोप तय किए थे। 19 साल के बाद अक्टूबर 2021 में डेरा मुखी समेत 5 आरोपियों को अदालत द्वारा दोषी करार दिया गया। जिसके बाद सीबीआई ने इन्हें उम्रकैद की सजा दे दी। सजा मिलने के तीन साल बाद राम रहीम हाईकोर्ट से बरी हो गया।
गुमनाम चिट्ठी से लगे थे यौन शोषण के आरोप
डेरा सच्चा सौदा का मुख्यालय हरियाणा के सिरसा में है। गुरमीत राम रहीम के खिलाफ यौन उत्पीड़न के चौंकाने वाले आरोप सामने आने के बाद यह सुर्खियों में आया था और सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की थी। यौन शोषण का मामला गुमनाज चिट्ठियों से सामने आया था। जांच शुरू होने के एक दशक बाद 2014 में डेरा प्रमुख ने दावा किया कि वह नपुंसक हैं, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। दोषी ठहराए जाने के बाद समर्थकों की भारी भीड़ और पुलिस के बीच हुई झड़प हुई थी।