Dibrugarh Jail Superintendent Nipen das Arrested: असम में डिब्रूगढ़ सेंट्रल जेल के अधीक्षक निपेन दास को खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी 'वारिस पंजाब दे' खालिस्तानी समूह के कैदियों के कब्जे से स्मार्टफोन, स्पाईकैम सहित इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की जब्ती के मामले में की गई। जेल अधीक्षक निपेन दास के खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है। डिब्रूगढ़ जेल में अमृतपाल और उसके 9 साथी बंद हैं। सभी पर एनएसए लगा है।
तलाशी में मिले थे ये गैजेट्स
डिब्रूगढ़ के पुलिस अधीक्षक राकेश रेड्डी ने बताया कि कुछ दिन पहले जेल के अंदर तलाशी ली गई थी। तब हमें मोबाइल फोन, कीपैड के साथ रिमोट, कीबोर्ड, एक स्पाई-कैमरा पेन, पेनड्राइव, एक ब्लूटूथ हेडफोन और स्पीकर जैसे डिवाइस मिले थे। उस मामले के आधार पर हमने एक जांच शुरू की है और हमने कुछ तकनीकी डेटा भी एकत्र किया है। हमने पाया कि जेल अधिकारियों, विशेष रूप से अधीक्षक और अन्य लोगों के बीच सांठगांठ है। इस कारण से हमने मामला दर्ज किया है। आज जेल अधीक्षक निपेन दास को गिरफ्तार कर लिया गया।
#WATCH | Assam: On the arrest of Nipen Das, Superintendent of Central Dibrugarh Jail, SP Dibrugarh Rakesh Reddy says, "A few days ago, a search was conducted inside the jail, where we found mobile phones, remote with keypad, and other devices inside the jail premises. Based on… https://t.co/d1DmZnVFXI pic.twitter.com/mfjyjpKAO7
— ANI (@ANI) March 8, 2024
एनएसए के तहत हुई कार्रवाई
पुलिस महानिदेशक जीपी सिंह ने कहा कि डिब्रूगढ़ जेल में बंद खालिस्तानी समर्थकों पर एनएसए के तहत कार्रवाई की गई है। एनएसए सेल में होने वाली अनधिकृत गतिविधियों के बारे में जानकारी मिलने पर एनएसए ब्लॉक के सार्वजनिक क्षेत्र में अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा, ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई और कदम उठाए जा रहे हैं।
अमृतपाल और उसके चाचा समेत 10 कैदी
खालिस्तानी समर्थक संगठन के दस सदस्य, जो डिब्रूगढ़ जेल में बंद हैं, उनमें शीर्ष नेता अमृतपाल सिंह और उनके एक चाचा भी शामिल हैं। पिछले साल 19 मार्च से डिब्रूगढ़ की जेल में बंद हैं, जब उन्हें संगठन पर कार्रवाई के बाद पंजाब के विभिन्न हिस्सों से एनएसए के तहत गिरफ्तार किया गया था। पंजाब से कट्टरपंथी संगठन के सदस्यों को वहां लाए जाने के बाद जेल में बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाए गए और सभी ख़राब कैमरे या तो बदल दिए गए या उनकी मरम्मत कर दी गई।
डिब्रूगढ़ जेल पूर्वोत्तर की सबसे पुरानी और सबसे उच्च सुरक्षा वाली जेलों में से एक है। इसका निर्माण 1859-60 में हुआ था।