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The Kandahar Hijack: विदेश मंत्री एस जयशंकर की यह टिप्पणी तब आई जब शुक्रवार को वह जिनेवा में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत कर रहे थे। इस दौरान उनसे वेब सीरीज 'IC-814: द कंधार हाइजैक' पर सवाल पूछा गया।

IC-814: The Kandahar Hijack: भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार (13 सितंबर) को जिनेवा में भारतीय समुदाय के साथ बातचीत के दौरान 1984 में हुई हाइजैकिंग से जुड़ा व्यक्तिगत खुलासा किया। उन्होंने बताया कि इस घटना के दौरान उनके पिता भी हाइजैक किए गए विमान में सवार थे और इस स्थिति में उन्हें परिवार के सदस्य और सरकारी अधिकारी दोनों की सोच का अनुभव मिला।

वेब सीरीज 'IC-814: द कंधार हाइजैक' पर पूछा गया सवाल
जयशंकर ने आगे कहा कि उस समय वह एक युवा अधिकारी थे और हाइजैक की स्थिति से निपटने वाली टीम का हिस्सा थे। साथ ही उन्होंने परिवार के सदस्य के रूप में सरकार पर दबाव डालने वाले समूह में भी हिस्सा लिया। जब उनसे हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई वेब सीरीज 'IC-814: द कंधार हाइजैक' के बारे में पूछा गया, जिसमें हाइजैकिंग की स्थिति में सरकार और नौकरशाही को नकारात्मक दृष्टिकोण में पेश किया गया है, तो उन्होंने इसे लेकर अपनी राय साझा की।

हाइजैकिंग से निपटने वाली टीम में युवा अधिकारी थे जयशंकर
जयशंकर ने साफ किया कि उन्होंने वेब सीरीज नहीं देखी है, लेकिन अपने पर्सनल एक्सपीरियंस के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि 1984 में एक हाइजैकिंग हुई थी। मैं उस समय एक युवा अधिकारी था और इस घटना से निपटने वाली टीम का हिस्सा था। मैंने अपनी मां को फोन किया और कहा कि मैं घर नहीं आ सकता हूं, क्योंकि एक हाइजैकिंग हो गई है। इसके बाद पता चला कि मेरे पिता भी उस हाइजैक किए गए विमान में थे।

अक्सर फिल्मकार सरकार को अच्छा नहीं दिखाते: विदेश मंत्री
जयशंकर ने कहा, "मेरे पास इस घटना के दोनों पक्षों का एक अनूठा दृष्टिकोण था। एक तरफ मैं हाइजैक की स्थिति से निपटने वाली टीम का हिस्सा था और दूसरी ओर, मैं होसटेज के परिवार का सदस्य भी था, जो सरकार पर दबाव डाल रहे थे।" उन्होंने हल्के फुल्के अंदाज में कहा कि "अक्सर फिल्मकार सरकार को अच्छा नहीं दिखाते क्योंकि नायक को अच्छा दिखाना होता है। अगर ऐसा नहीं होता, तो कोई फिल्म नहीं देखेगा और यह स्वीकार करना होगा।"

1984 में खलिस्तानियों ने पठानकोट से हाइजैक किया था प्लेन 
बता दें कि 5 जुलाई 1984 को इंडियन एयरलाइंस की एक फ्लाइट को पठानकोट से हाइजैक कर लिया गया और इसे दुबई ले जाया गया। 36 घंटे से ज्यादा समय के बाद 12 खलिस्तानी समर्थक हाइजैकर्स ने आत्मसमर्पण किया और सभी 68 यात्रियों और चालक दल के 6 सदस्यों को सुरक्षित रूप से रिहा कर दिया।

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