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Disengagement satellite image: लेह-लद्दाख के देपसांग और डेमचोक से भारतीय सेना और चीनी सैनिकों के बीच डिसएंगेजमेंट की पहली तस्वीर सामने आ गई है। सैटेलाइट इमेज में सैनिक और साजो सामन घटते नजर आए हैं।

Disengagement satellite image:लेह-लद्दाख के देपसांग और डेमचोक इलाकों में भारत और चीन की सेनाओं ने डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू कर दी है। शुक्रवार को जारी सैटेलाइट इमेज में कई स्थानों पर ढांचों में कमी दिखाई दी, जिससे सीमा पर तनाव कम होने की संभावना जताई जा रही है। यह कदम सर्दियों से पहले लिया गया है, ताकि दोनों देशों के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद को सुलझाने में मदद मिल सके। नए पेट्रोलिंग समझौते के तहत इस डिसएंगेजमेंट की पुष्टि हुई है।

सैटेलाइट इमेज से दिखी ढांचों की कमी
यूएस-आधारित मैक्सर टेक्नोलॉजीज द्वारा जारी सैटेलाइट तस्वीरों में डेपसांग क्षेत्र में कई सैन्य ढांचों के हटने की पुष्टि हुई है। इस क्षेत्र में कई बड़े ढांचे और शेल्टर्स को हटाया गया है, जो पूर्व में सीमा विवाद के दौरान लगाए गए थे। अगस्त में ली गई तस्वीरों में इन जगहों पर बड़े ढांचे नजर आ रहे हैं। वहीं,25 अक्टूबर की तस्वीरों में ये ढांचे नजर नहीं आ रहे हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि डिसएंगेजमेंट शुरू हो चुकी है। दोनों देशों के बीच अगले कुछ दिनों में इस प्रक्रिया के पूरा होने की उम्मीद है।

डेमचोक क्षेत्र में भी हुए बदलाव
देपसांग के अलावा, डेमचोक क्षेत्र में भी बदलाव देखे गए हैं। यहां भी सैन्य ढांचे और वाहनों को हटाया गया है। इस क्षेत्र में भी चीन और भारत के बीच विवाद चल रहा था। तस्वीरों में इलाके में बना एक बड़ा शेल्टर नजर नहीं आ रहा। इस शेल्टर को चीन सेना ने सीमा विवाद के दौरान यहां बनाया गया था। भारत और चीन के बीच इस कदम को सीमा पर स्थिरता बनाए रखने की ओर एक अहम कदम माना जा रहा है।

लंबे समय से विवाद का केंद्र बने थे देपसांग और डेमचोक
2020 में शुरू हुए इस विवाद के बाद से डेपसांग और डेमचोक सीमा पर दोनों देशों के लिए संवेदनशील मुद्दा बन गया था। इससे पहले गालवान घाटी, पेंगोंग झील और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स जैसे क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट हुआ था, लेकिन देपसांग और डेमचोक पर दोनों देशों के बीच लंबे समय से असहमति थी। नए समझौते के बाद अब दोनों पक्ष पुराने पेट्रोलिंग और बकरियां चराने से जुड़ी गतिविधियों पर वापस लौटने के लिए सहमत हुए हैं।

पीएम मोदी और जिनपिंग के बीच हुई बैठक
ब्रिक्स समिट के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी। इस बैठक के बाद दोनों देशों ने अपने-अपने बयान जारी कर सीमा पर शांति बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई। प्रधानमंत्री मोदी ने सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने को प्राथमिकता देने की बात कही। दोनों पक्षों ने यह भी निर्णय लिया है कि भविष्य में डिसएंगेजमेंट प्रक्रिया की निगरानी की जाएगी।

सीमा पर शांति के प्रयास जारी
भारत-चीन सीमा पर डिसएंगेजमेंट की इस प्रक्रिया को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक सकारात्मक कदम है। हालांकि कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बफर जोन बनाने की वजह से पेट्रोलिंग पर भी असर पड़ा है, लेकिन इसे सीमाई क्षेत्रों में शांति और स्थिरता के लिए आवश्यक माना जा रहा है। इस घटनाक्रम ने सीमा पर दोनों देशों के बीच विश्वास और संवेदनशीलता बढ़ाने की संभावना को मजबूत किया है।

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