Election Commission: लोकसभा चुनाव में महज चंद महीने बचे हैं। चुनाव आयोग ने सोमवार को राजनीतिक दलों से कहा कि वे पोस्टर और पर्चे बांटने या नारेबाजी सहित किसी भी रूप में प्रचार में बच्चों का इस्तेमाल न करें। आयोग ने दलों को गाइलाइन जारी किया है। आयोग ने यह भी कहा कि चुनाव पैनल ने पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह से बच्चों के उपयोग के प्रति अपनी जीरो टॉलरेंस की प्रतिबद्धता जताई है।
अब पढ़िए आयोग के दिशा-निर्देशों की खास बातें
- राजनीतिक दल या नेता प्रचार में बच्चों का इस्तेमान नहीं करेंगे।
- प्रचार के दौरान नेता किसी बच्चे को गोद नहीं लेंगे। गाड़ी में नहीं बिठाएंगे। रैलियों में शामिल नहीं करेंगे।
- किसी बच्चे से रैली या सभाओं में बच्चों से कविता, गाने, भाषण नहीं दिलवाएंगे।
- कोई राजनीतिक नेता का रिश्तेदार बच्चा अपने माता-पिता के साथ जा सकता है। हालांकि वह भी प्रचार में शामिल नहीं होगा।
- यदि किसी ने बच्चों का इस्तेमाल प्रचार में किया तो बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 का कड़ाई से अनुपालन कराया जाएगा।
Political Parties and candidates should refrain from using children in political campaigns and rallies in any manner, says Election Commission of India pic.twitter.com/jFqNmdhR7i
— ANI (@ANI) February 5, 2024
निर्वाचन अधिकारियों और रिटर्निंग अफसरों को सख्त संदेश
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि राजनीतिक दलों से अपेक्षा की जाती है कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने में सक्रिय भागीदारी दिखाएंगे। उन्होंने कहा कि आयोग ने सभी चुनाव अधिकारियों और मशीनरी को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि वे चुनाव-संबंधी कार्य या गतिविधियों के दौरान किसी भी रूप में बच्चों को शामिल करने से बचें। इसे लागू कराने की जिम्मेदारी जिला निर्वाचन अधिकारी और रिटर्निंग अधिकारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी।