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Electoral Bonds: तमिलनाडु के लॉटरी और ऑनलाइन गेमिंग किंग सैंटियागो मार्टिन की कंपनी फ्यूचर गेमिंग ने देश की राजनीतिक पार्टियों को सबसे ज्यादा पैसा डोनेशन दिया है।

Electoral Bonds: चुनाव आयोग ने रविवार को चुनावी बॉन्ड स्कीम से जुड़े ताजा आंकड़ों का खुलासा किया। इसमें कई चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं। नई डिटेल के मुताबिक, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अगुआई वाली डीएमके को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए कुल 656.5 करोड़ रुपए चंदा मिला। इसमें से सैंटियागो मार्टिन (Lottery King Santiago Martin) की लॉटरी बेचने वाली फर्म फ्यूचर गेमिंग कंपनी द्वारा खरीदे गए बॉऩ्ड भी शामिल हैं। तमिलनाडु की सत्तारूढ़ पार्टी को मार्टिन की कंपनी से गुमनाम दान के तौर पर 509 करोड़ रुपए मिले हैं।

मार्टिन की कंपनी ने DMK पर लुटाया पैसा
हैरान करने वाली बात ये है कि डीएमके पर बेहिसाब पैसा लुटाने वाली मार्टिन की कंपनी ने अपनी आय का 77% हिस्सा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए स्टालिन की पार्टी को दान कर दिया। जो लॉटरी किंग और तमिलनाडु सरकार के बीच किसी सांठगांठ की ओर इशारा करता है। मीडिया रिपोर्ट्स में कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। बता दें कि फ्यूचर गेमिंग कंपनी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच भी चल रही है। हालांकि, सैंटियागो मार्टिन के मालिकाना हक वाली फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने 2019 से 2024 के बीच सबसे ज्यादा 1368 करोड़ रुपए का दान दिया है।  

इन कंपनियों ने भी की डीएमके को फंडिंग
बता दें कि डीएमके उन कुछ राजनीतिक दलों में शामिल है, जिन्होंने अपने डोनर्स की जानकारी का खुलासा किया है। मेघा इंजीनियरिंग ने एमके स्टालिन की पार्टी को 105 करोड़ रुपए, इंडिया सीमेंट्स ने 14 करोड़ रुपए और सन टीवी ने 100 करोड़ रुपए का चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए डीएमके को दिया।

कौन हैं सैंटियागो मार्टिन?
सैंटियागो मार्टिन के धर्मार्थ ट्रस्ट की वेबसाइट के अनुसार, सैंटियागो मार्टिन इस वक्त 59 साल के हैं। उन्होंने अपना करियर म्यांमार के यांगून में एक मजदूर के रूप में शुरू किया था। 1988 में वह भारत लौट आए और तमिलनाडु में लॉटरी व्यवसाय शुरू किया। बाद में उन्होंने पूर्वोत्तर में जाने से पहले कर्नाटक और केरल में कारोबार का विस्तार किया। इसके बाद उन्होंने अपना कारोबार भूटान और नेपाल में भी बढ़ाया। 

सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को लगाई थी फटकार
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ओर से मिले इलेक्टोरल बॉन्ड डेटा को चुनाव आयोग ने 14 मार्च को अपनी डेटा वेबसाइट पर अपलोड किया था। लेकिन इसमें कई जानकारियां अधूरी थीं। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पूरा डेटा साझा नहीं करने के लिए एसबीआई को कड़ी फटकार लगाई थी। दूसरी ओर, चुनाव आयोग ने भी सीलबंद कवर में सुप्रीम कोर्ट को डेटा सौंपा था, जिसे बाद में कोर्ट ने सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।

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