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LK Advani hospitalized:पूर्व उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी को बुधवार शाम को तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। फिलहाल उनकी हालत स्थिर है।

LK Advani hospitalized:पूर्व उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी को बुधवार शाम को तबीयत बिगड़ने पर दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। परिवार के सूत्रों के मुताबिक, यह एक नियमित चेकअप हो सकता है। फिलहाल, उन्हें यूरोलॉजी विभाग के डॉक्टरों की देखरेख में रखा गया है। डॉक्टरों ने उनकी हालत को स्थिर बताया है।

आडवाणी को इसी साल मिला है भारत रत्न 
इस साल 31 मार्च को एलके आडवाणी को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनके घर जाकर उन्हें यह सम्मान दिया। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू भी मौजूद थे। यह सम्मान उनकी राजनीतिक और सामाजिक सेवा के लिए दिया गया था।

भाजपा के संस्थापक सदस्य है आडवाणी
एलके आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में हुआ था। वे 2002 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उपप्रधानमंत्री रहे। इससे पहले, वे 1998 से 2004 तक एनडीए सरकार में गृह मंत्री भी रहे। आडवाणी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। उनके नेतृत्व में भाजपा ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं।

राम मंदिर को लेकर 1987 में निकाली रथ यात्रा
1987 में आडवाणी ने सोमनाथ से समस्तीपुर तक रथ यात्रा निकाली थी, जिसकी जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी को सौंपी गई थी। राम मंदिर आंदोलन के लिए उन्होंने 25 सितंबर 1990 को सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली। इस यात्रा ने राम मंदिर आंदोलन को देशभर में नई ऊर्जा दी। इस यात्रा के बाद भाजपा की देश भर में लोकप्रियता बढ़ गई। आडवाणी देश में हिंदुत्व का चेहरा बनकर उभरे। 

राम जन्मभूमि आंदोलन के अहम चेहरा
आडवाणी ने मंडल आयोग के जवाब में राम जन्मभूमि आंदोलन को देश भर में फैलाया। 1991 के चुनावों में भाजपा मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी। उन्होंने देशभर में अपनी पहचान एक हिंदू नेता के रूप में बनाई। उनकी रथ यात्रा ने भाजपा को 1984 में दो सीटों से 1991 में 120 सीटों तक पहुंचाया। उनके नेतृत्व ने पार्टी को नई दिशा दी। आडवाणी को किसी समय हिंदुत्व 

भाजपा की युवा नेताओं की सेना तैयार की
एलके आडवाणी ने जनसंघ को भाजपा में बदलने की यात्रा में अहम भूमिका निभाई। मौजूदा पीढ़ी के 90% भाजपा नेता आडवाणी की तैयार की हुई पीढ़ी में आते हैं। उन्होंने पार्टी में संगठनात्मक संरचना को मजबूत किया। आडवाणी ने भाजपा ने युवा नेताओं को आगे बढ़ाया। उनकी रणनीतिक सोच और नेतृत्व क्षमता ने पार्टी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

लगभग बेदाग रहा राजनीतिक जीवन
आडवाणी का राजनीतिक जीवन 50 से अधिक वर्षों का रहा और यह लगभग बेदाग रहा। 1996 में हवाला कांड में नाम आने पर उन्होंने इस्तीफा दे दिया और कहा कि वे तभी चुनाव लड़ेंगे जब वे निर्दोष साबित होंगे। 1996 में वे निर्दोष साबित हुए। उनके इस निर्णय ने उनकी पारदर्शिता और नैतिकता को साबित किया।

RSS से की थी शुरुआत
1941 में 14 साल की उम्र में आडवाणी ने RSS में शामिल होकर राजस्थान प्रचारक के रूप में काम किया। 1951 में वे श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा स्थापित भारतीय जनसंघ के सदस्य बने और विभिन्न भूमिकाओं में कार्य किया। वे दिल्ली इकाई के अध्यक्ष और महासचिव भी रहे। 1980 में उन्होंने भाजपा में अहम भूमिका निभाई और पार्टी को संगठित किया।

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