Gourav Vallabh Quits Congress: लोकसभा चुनाव के बीच कांग्रेस को लगातार झटके मिल रहे हैं। एक दिन पहले 3 अप्रैल को ओलिंपियन बॉक्सर विजेंदर सिंह ने कांग्रेस से अपना हाथ छुड़ा लिया, और अब सीनियर नेता गौरव वल्लभ ने विदाई ले ली। गौरव वल्लभ अक्सर टीवी पर कांग्रेस का चेहरा होते थे। मजबूती एक प्रखर प्रवक्ता की तरह की कांग्रेस की बात रखते थे। उन्होंने गुरुवार, 4 अप्रैल को पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से अपना इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के महज 4 घंटे बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।
गौरव वल्लभ के साथ बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा भी दिल्ली में राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए। भाजपा की सदस्यता लेने के बाद गौरव वल्लभ ने कहा कि दो-तीन प्रमुख मुद्दे थे जिन्हें मैंने अपने इस्तीफे पत्र में उजागर किया था। मैं सुबह-शाम संपत्ति बनाने वालों को गाली नहीं दे सकता। संपत्ति पैदा करना कोई अपराध नहीं है।
#WATCH | Delhi: Former Congress leader Gourav Vallabh joins BJP, in the presence of BJP General Secretary Vinod Tawde. pic.twitter.com/NAc0kX22vW
— ANI (@ANI) April 4, 2024
गौरव वल्लभ ने कांग्रेस को दिशाहीन बताया
गौरव वल्लभ ने 2 पन्नों की चिट्ठी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखी है। जिसमें उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी जिस दिशाहीन तरीके से आगे बढ़ रही है, उससे मैं सहज महसूस नहीं करता। मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही देश के वेल्थ क्रिएटर्स (धन सृजनकर्ताओं) को गाली दे सकता हूं। मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं।'
कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है,उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा.मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता.इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहाहूं pic.twitter.com/Xp9nFO80I6
— Prof. Gourav Vallabh (@GouravVallabh) April 4, 2024
पढ़िए गौरव वल्लभ की अहम बातें
- भावुक हूं। मन व्यथित है। काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं, बताना चाहता हूं। लेकिन, मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे। फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है, और मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता।
- मैं वित्त का प्रोफेसर हूं। जब मैंने कांग्रेस जॉइन किया तो मुझे राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। पार्टी के विचार और पक्ष मैंने कई मुद्दों पर दमदार तरीके से जनता के सामने रखा। लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं।
- जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया, तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके विचारों की कद्र की जाती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती।
- पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है। जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मजबूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं। इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है। बड़े नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है।
- धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः तस्माधर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्॥ अयोध्या में भगवान श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने जो स्टैंड लिया, उससे क्षुब्ध हूं। मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं। पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया। पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं, और पार्टी का उसपर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है।
- इन दिनों पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है। एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं, यह कार्यशैली जनता के बीच पार्टी को एक खास धर्म विशेष के ही हिमायती होने का भ्रामक संदेश दे रही है। यह कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है।
- आर्थिक मामलों पर वर्तमान समय में कांग्रेस का स्टैंड हमेशा देश के वेल्थ क्रिएटर्स को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है। आज हम उन आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण (एलपीजी) नीतियों के खिलाफ हो गए हैं, जिसको देश में लागू कराने का पूरा श्रेय दुनिया ने हमें में दिया है। देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नजरिया हमेशा नकारात्मक रहा। क्या हमारे देश में बिजनेस करके पैसा कमाना गलत है?
- जब मैंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी, उस वक्त मेरा ध्येय सिर्फ यही था कि आर्थिक मामलों में अपनी योग्यता व क्षमता का देशहित में इस्तेमाल करूंगा। हम सत्ता में भले नहीं हैं, लेकिन अपने मैनीफेस्टो से लेकर अन्य जगहों पर देशहित में पार्टी की आर्थिक नीति-निर्धारण को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते थे। लेकिन, पार्टी स्तर पर यह प्रयास नहीं किया गया। इससे मुझे घुटन महसूस होती है।
- पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता ता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर को गाली दे सकता हूं।
2 बार लड़ा चुनाव, दोनों बार हार मिली
गौरव वल्लभ ने 2023 में राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा था। वे कांग्रेस के टिकट पर उदयपुर सीट पर चुनाव लड़ रहे थे। लेकिन भाजपा उम्मीदवार ने 32,000 से अधिक वोटों के अंतर से आसान जीत हासिल कर ली थी। भाजपा के ताराचंद जैन को वल्लभ के 64,695 की तुलना में 97,466 वोट मिले थे।
इससे पहले वल्लभ 2019 में झारखंड के जमशेदपुर पूर्व से चुनावी मैदान में उतरे थे। जहां उन्होंने 18,000 से अधिक वोट हासिल किए और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास और सरयू रॉय के बाद तीसरे स्थान पर रहे।