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Govind Dev Giri Maharaj on Gyanvapi-Krishna Janmabhoomi Disputes: गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा कि अगर तीन मंदिर मुक्त हो गए तो हमें अन्य मंदिरों की ओर देखने की भी इच्छा नहीं है क्योंकि हमें भविष्य में रहना है, अतीत में नहीं। देश का भविष्य होना चाहिए।

Govind Dev Giri Maharaj on Gyanvapi-Krishna Janmabhoomi Disputes: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि महाराज ने रविवार को पुणे में हिंदुओं के दो बड़े मंदिरों की मुक्ति की वकालत की। उन्होंने काशी में ज्ञानवापी-काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद के शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अगर तीन मंदिर मुक्त हो गए तो हमें अन्य मंदिरों की ओर देखने की भी इच्छा नहीं है क्योंकि हमें भविष्य में रहना है, अतीत में नहीं। देश का भविष्य होना चाहिए। यदि समझदारी के साथ अगर हमें ये तीनों मंदिर (अयोध्या, ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि) शांति से मिल जाएं तो हम बाकी सारी बातें भूल जाएंगे। 

कहीं अशांति फैलाने का प्रयास नहीं होने देंगे
गोविंद देव गिरि ने कहा कि हम मुस्लिम पक्ष को समझाएंगे। इन सभी लोगों के लिए एक बात नहीं बोली जा सकती है। कहीं कहीं समझदार लोग होते हैं। कहीं कहीं समझदार लोग नहीं होते हैं। जहां जहां जिस जिस प्रकार की परिस्थिति है तो उसी के अनुसार काम करेंगे। लोगों को समझाएंगे। कहीं अशांति फैलाने का प्रयास नहीं होने देंगे। 

आक्रांताओं के हमलों के सबसे बड़े दाग
ज्ञानवापी मुद्दे पर स्वामी गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा कि मैं हाथ जोड़कर अपील करता हूं कि मुस्लिमों को ये तीनों मंदिर (अयोध्या, ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि) हिंदुओं को सौंप देना चाहिए। क्योंकि ये आक्रांताओं द्वारा किए गए हमारे ऊपर किए गए हमलों के सबसे बड़े दाग हैं। इसके कारण लोगों को दुख होता है। राष्ट्र समाज के अंत:करण में दुख होता है। अगर वे इस दुख को भाई चारे के साथ खत्म कर देते हैं तो भाईचारा बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

गोविंद देव गिरि ने पीएम मोदी का तुड़वाया था उपवास
आचार्य गोविंद देव गिरि ने 22 जनवरी को अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 11 दिवसीय उपवास तुड़वाया था। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पीएम मोदी ने 11 दिवसीय अनुष्ठान नासिक में पंचवटी से शुरू किया था। पीएम मोदी ने नारियल पानी पीकर 11 दिनों तक उपवास रखा था। गोविंद देव गिरि ने उन्हें चरणामृत पिलाकर उनका अनुष्ठान पूर्ण कराया था। 

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