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ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मंदिर विवाद में एएसआई की रिपोर्ट सामने आने के बाद शुक्रवार को यहां पहली बार जुम्मे की नमाज पढ़ी गई। नमाज के दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ी ना हो इस बात का ध्यान रखा गया। इस बीच विवादित ढांचे के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई।

Gyanvapi Mosque Security measures: भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) विभाग ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मंदिर को लेकर जारी रिपोर्ट में कहा है कि मस्जिद के मौजूदा ढांचे के नीचे भव्य हिंदू मंदिर था। रिपोर्ट सामने आने के बाद शुक्रवार को पहली बार यहां पर जुम्मे की नमाज पढ़ी गई। नमाज के दौरान किसी प्रकार की गड़बड़ी न हो इसके लिए पूरी सावाधानी बरती गई। मस्जिद के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई। मीडिया कर्मियों को भी विवादित ढांचे से दूर रखा गया। इस बात का खास ध्यान रखा गया कि कोई गलत सूचना ना फैले। 

हिंदू पक्ष ने दायर की थी याचिका
बता दें कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को लेकर हिंदू पक्ष ने याचिका दायर की थी। हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के नीचे मंदिर का ढांचा है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एएसआई को मंदिर का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया था। इसके बाद मंदिर के कई हिस्सों का वैज्ञानिक अध्ययन करने के बाद रिपोर्ट तैयार की गई थी। एक दिन पहले वाराणसी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने एएसआई से हिंदू और मुस्लिम पक्ष को रिपोर्ट की सर्टिफाइड कॉपी सौंपने के लिए कहा था। गुरुवार देर शाम हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों को सार्वजनिक  किया। 

मस्जिद के वजूखाने से मिली शिवलिंग जैसी आकृति
पहली बार कोर्ट के आदेश पर मई 2022 में एएसआई ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण का काम शुरू किया था। इस दौरान वजूखाने में एक गोलाकार काले पत्थर की आकृति नजर आई थी। मुस्लिम पक्ष ने इसे फवारा बताया था। वहीं, हिंदू पक्ष ने दावा किया था कि यह एक शिवलिंग है। इसके बाद इस वजूखाने को सील कर दिया गया था। हालांकि इस साल जनवरी में हिंदू पक्ष की एक महिला ने वजूखाने की सफाई के लिए याचिका दायर की। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने वजूखाने की सफाई की इजाजत दे दी थी। 

बीते साल खारिज हुई थी मुस्लिम पक्ष की पांच याचिकाएं
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच स्वामित्व विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीते साल 19 दिसंबर को मुस्लिम पक्ष की 5 याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इनमें दो याचिकाएं मेरिट से जुड़ी थीं, जबकि तीन एएएसआई सर्वे के खिलाफ थीं। हाईकोर्ट ने वाराणसी अदालत से 1991 में दायर इन दीवानी मुकदमों में से एक की सुनवाई छह महीने के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया था। यह केस वाराणसी कोर्ट में दायर है। पांचों याचिकाओं पर फैसला  जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने दिया।

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