India On US' CAA Remarks: भारत ने शुक्रवार को सीएएए पर अमेरिका की टिप्पणी पर आपत्ति जताई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की टिप्पणी, अनुचित, गलत और गुमराह करने वाला है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि सीएए पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय की टिप्पणी भारत के अंदरुनी मामलों में दखल है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत के दौरान यह बात कही।
यह मानवाधिकारों की रक्षा करने वाला
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीएए किसी की भी नागरिकता छीनने के लिए नहीं है। यह स्टेटलेसनेस यानी कि राज्यविहीनता के मुद्दे का समाधान करने के लिए है। यह मानवीय गरिमा को बरकरार रखने और मानवधिकारों की रक्षा करने के लिए लाया गया है। भारत सरकार ने कहा है कि जिन लोगों को भारत की बहुलवादी परंपराओं और बंटवारे के बाद के इतिहास की सीमित समझ है, उन्हें इस मुद्दे पर लेक्चर देने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।
शुभचिंतकों को इस कदम का स्वागत करना चाहिए
विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत के पार्टनर्स और शुभचिंतकों को इस कदम का स्वागत करना चाहिए। बता दें कि शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि भारत में सीएए लागू होने पर हम चिंतित हैं और इस बात पर नजर रख रहे हैं कि इस कानून को किस ढंग से लागू किया जा रहा है। इसी बयान पर अब भारत सरकार ने अपनी प्रतिक्रया दी है। नागरिकता संशोधन काननू को गृह मंत्रालय ने बीते साेमवार को नोटिफाई किया था।
साल 2019 में संसद में पारित हुआ था सीएए
नागरिकता कानून को संसद के दाेनों सदनाें में साल 2019 में ही पारित कर दिया गया था। हालांकि, बीच में कोरोना महामारी आने की वजह से इसे लागू नहीं किया जा सकता। यह कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को तेजी से नागरिकता देने के मकसद से लाया गया है। हालांकि, इसे लेकर कुछ वर्ग यह कहकर सवाल उठा रहा है कि इस कानून में इन तीन देशों के मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान क्यों नहीं है।
सरकार सीएए पर दे चुकी है स्पष्टीकरण
सरकार पहले ही यह स्पष्ट कर चुकी है कि सीएए से भारतीय मुसलमानों की नागरिकता को कोई संकट नहीं होगा। भारतीय मुस्लिमों की नागरिकता नहीं छीनी जाएगी। ना ही भारतीय मुस्लिमों को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए किसी प्रकार का दस्तावेज दिखाने के लिए कहा जाएगा। भारत में मुस्लिम समुदाय के करीब 18 करोड़ लोग रहते हैं और इन सभी को किसी अन्य नागरिक के समान ही अधिकार मिले हुए हैं।
सभी भारतीयों को एक समान अधिकार
विदेश मंत्रालय ने कहा कि संविधान सभी भारतीयों को एक समान अधिकार देता है। अल्पसंख्यकों के साथ किसी भी आधार पर भेदभाव करने का कोई आधार नहीं है। वोट बैंक की राजनीति की वजह से एक ऐसे कानून का विरोध नहीं किया जाना चाहिए जो मुश्किल में फंसे लोगों की मदद के लिए लाया गया है। इससे पहले ग1ह मंत्री अमित शाह ने भी इस कानून को लेकर चिंता जाहिर करने पर कहा था कि इससे भारतीय नागरिकों की नागरिकता पर कोई असर नहीं होगा।
किनकी मदद करेगा सीएए?
सरकार ने कहा कि सीएएए के तहत सिर्फ मुस्लिम बहुल देश बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध और जैन धर्म के लोगों नागरिकता दी जाएगी जो 31 दिसंबर 2014 से पहले धार्मिक उत्पीड़न से तंग आकर इन देशों से भागकर भारत पहुंचे हैं। इसके साथ ही इस कानून में ऐसे लोगों को नागरिकता प्रदान करने के लिए क्वालिफिकेशन पीरियड भी 11 साल से घटाकर पांच साल कर दिया गया है।