ISRO Aditya L1 Mission Updates: चंद्रमा पर फतेह करने के बाद आज भारतीय वैज्ञानिकों ने सफलता की एक नई इबारत लिख दी। सूर्य मिशन पर निकला भारतीय अंतरक्षित अनुसंधान संगठन (ISRO) का आदित्य एल 1 मिशन शनिवार शाम चार बजे अपनी मंजिल लैंग्रेज प्वॉइंट-1 पर पहुंच गया। अपनी अंतिम कक्षा में स्थापित होते ही सूर्य को हैलो बोला। यह भारत का पहला सूर्य मिशन है, इसे 2 सितंबर 2023 को लॉन्च किया गया था। आदित्य एल 1 अगले पांच सालों तक लैंग्रेज पॉइंट पर रहेगा। यह सूर्य का अध्यन करेगा। इस उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी है।
यह हमारे वैज्ञानिकों के अथक मेहनत का सबूत: PM Modi
प्रधानममंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखकर इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई दी। PM Modi ने लिखा कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की है। भारत का सोलर ऑर्ब्जवेटरी आदित्य L1 अपनी मंजिल पर पहुंच गया है। यह एक बेहद जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों में से एक है। इसका साकार होना हमारे वैज्ञानिकों के अथक मेहनत का सबूत है। राष्ट्र के साथ मैं भी इस उपलब्धि की सरहाना में शामिल हूं। हम इंसानियत के फायदे के लिए विज्ञान के नए क्षेत्रों में आगे बढ़ना जारी रखेंगे।
India creates yet another landmark. India’s first solar observatory Aditya-L1 reaches it destination. It is a testament to the relentless dedication of our scientists in realising among the most complex and intricate space missions. I join the nation in applauding this…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 6, 2024
इसरो का पोस्ट: इंडिया मैंने इसे कर दिखाया
जैसे ही आदित्य एल-1 ने सूर्य के हैलो ऑरबिट में प्रवेश किया। इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट लिखकर इसकी जानकारी दी। इसमें लिखा- इंडिया मैंने इसे कर दिखाया। मैं अपनी मंजिल पर पहुंच गया हूं। आदित्य एल-1 सूर्य लैंग्रेज प्वाइंट के आसपास हेलो ऑर्बिट में सफलतापूर्वक प्रवेश कर चुका है। इससे पहले जब आदित्या L1 लैंग्रेज पॉइंट के करीब पहुंचा था तो भी इसरो ने इसकी जानकारी एक पोस्ट में दी थी।
𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚, 𝐈 𝐝𝐢𝐝 𝐢𝐭. 𝐈 𝐡𝐚𝐯𝐞 𝐫𝐞𝐚𝐜𝐡𝐞𝐝 𝐭𝐨 𝐦𝐲 𝐝𝐞𝐬𝐭𝐢𝐧𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧!
— ISRO InSight (@ISROSight) January 6, 2024
Aditya-L1 has successfully entered the Halo orbit around the L1 point.#ISRO #AdityaL1Mission #AdityaL1 pic.twitter.com/6gwgz7XZQx
सफलता पर क्या बोले इसरो प्रमुख
आदित्य-एल1 के हैलो ऑर्बिट में दाखिल होने पर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि आदित्य-एल1 को सटीक हैलो ऑर्बिट में स्थापित कर दिया गया है। अभी, हमारी गणना में, यह सही जगह पर है। लेकिन हम अगले कुछ घंटों तक इसकी निगरानी करने जा रहे हैं ताकि यह देखा जा सके कि यह सही जगह पर है या नहीं। फिर अगर यह थोड़ा सा भटकता है, तो हमें थोड़ा सुधार करना पड़ सकता है। हमें ऐसा होने की उम्मीद नहीं है। तस्वीरें पहले ही वेबसाइट पर डाल दी गई हैं।
#WATCH | On ISRO's Solar Mission Aditya-L1 entering Halo Orbit, ISRO Chairman S Somanath says, "Today's event was only placing the Aditya-L1 in the precise Halo orbit. So it was moving towards a high orbit, but we had to do a little bit of corrections... So right now, in our… pic.twitter.com/UgUpWDzIY4
— ANI (@ANI) January 6, 2024
बहुत सारे साइंटिफिक रिजल्ट मिलने की उम्मीद
सोमनाथ ने कहा कि आदित्या एल1 पर पड़ने वाले प्रभावों को मापा जा रहा है। इसके लिए हमारे पास सूर्य से निकलने वाले पार्टिकल का मेजरमेंट है। लो एनर्जी और हाई एनर्जी एक्सरे मेजरमेंट भी है। हमारे पास एक मैग्नेटोमीटर भी है, जो हैलो ऑर्बिट में प्रवेश करने के बाद आदित्य पर पड़ने वाले ग्रैविटेशनल फोर्स के दबाव को मापने में मददगार है। हमें बहुत सारे सांइटिफिक रिजल्ट मिलने की उम्मीद है। अभी आदित्य एल1 में जितना फ्यूल बचा है उससे यह यह कम से कम पांच साल तक काम करेगा।
क्या होता है हैलो आर्बिट?
What is halo orbit: हैलो ऑर्बिट सूर्य के चारों ओर की एक खास ऑर्बिट है। अंतरिक्ष यान या खगोलीय पिंड इस कक्षा में घूमते हैं। यह ऑर्बिट लैंग्रेज पॉइंट के पास है। लैंग्रेज पाॅइंट अंतरिक्ष में कुछ विशेष स्थानों को कहा जाता है। यह सोलर सिस्टम के दो बड़े प्लेनेट्स जैसे की सूर्य और पृथ्वी या जुपिटर के बीच स्थित हो सकता है। यह स्पेस के एक खास क्षेत्र में होता है जिसे रीजन ऑफ अट्रैक्शन (ROA) कहा जाता है। यह दो ग्रहों और खगोलीय पिंडों के बीच एक ऐसी जगह है जहां पर दोनों का गुरत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) काफी कम होता है। सोलर सिस्टम में पांच लैंग्रेज पॉइंट हैं। ये L1 से L5 तक हैं। सूर्य और पृथ्वी के बीच लैंग्रेज पॉइंट L1 है। यह सूर्य और पृथ्वी के सेंटर को जोड़ने वाली लाइन पर है। यह एक ऐसा पॉइंट है जहां पर दोनों ग्रहों का ग्रैविटेशनल फोर्स बैलेंस हो जाता है।
126 दिन में पूरी की 30 लाख किलोमीटर की यात्रा
आदित्य एल 1 ने अपनी 126 दिन की यात्रा में लगभग 3.7 मिलियन किलोमीटर यानी कि 30 लाख किलाेमीटर से ज्यादा की दूरी तय की है। क्योंकि यह अपनी कर्मभूमि तक पहुंचने के लिए एक घुमावदार मार्ग से गुजरा है। इसरो का कहना है कि आदित्य बिलकुल स्वस्थ है और रिजल्ट देना भी शुरू कर दिया है। आदित्य ने सूर्य की पूरी डिस्क की खूबसूरत तस्वीरें भेजी हैं।
आदित्य एल 1 का वजन 1,475 किलोग्राम
लैंग्रेज पॉइंट 1 की दूरी पृथ्वी से करीब 15 लाख किमी है। आदित्य का घर भी यही है। आदित्य एल 1 का वजन 1,475 किलोग्राम है। यह उपग्रह हमारे सौर मंडल के तारे को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा। साथ ही अंतरिक्ष के मौसम को समझने में मदद मिलेगी। बेंगलुरु के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में आदित्य-एल 1 उपग्रह के परियोजना निदेशक निगार शाजी ने कहा कि यह सौर तूफानों के लिए पूर्वानुमान और अलर्ट सिस्टम की तरह काम करेगा। सौर तूफान सूर्य पर एक बड़े पैमाने पर चुंबकीय विस्फोट है, जो पूरे सौर मंडल को प्रभावित कर सकता है।
𝐈𝐧𝐝𝐢𝐚, 𝐈 𝐝𝐢𝐝 𝐢𝐭. 𝐈 𝐡𝐚𝐯𝐞 𝐫𝐞𝐚𝐜𝐡𝐞𝐝 𝐭𝐨 𝐦𝐲 𝐝𝐞𝐬𝐭𝐢𝐧𝐚𝐭𝐢𝐨𝐧!
— ISRO InSight (@ISROSight) January 6, 2024
Aditya-L1 has successfully entered the Halo orbit around the L1 point.#ISRO #AdityaL1Mission #AdityaL1 pic.twitter.com/6gwgz7XZQx
आदित्य एल 1 में सात पेलोड
- विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC)
- सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप (SUET)
- सोलर लो एनर्जी एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (SOLEXS)
- हाई एनर्जी एल 1 ऑर्बिटिंग एक्सरे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS)
- आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX)
- प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA)
- एडवांस थ्री डाइमेंशनल हाई रिजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर (ATHRDM)
अंतरिक्ष का रक्षक बनेगा आदित्य एल 1
इससे पहले इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि आदित्य एल 1 अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंचने के बाद थ्रस्टर्स की मदद से हैलो ऑर्बिट में स्थापित किया गया। आदित्य-एल1 लगातार सूर्य को देखेगा। यह पृथ्वी के लगातार संपर्क में रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत के पास अंतरिक्ष में 50 से अधिक उपग्रहों सहित 50,000 करोड़ रुपए से अधिक की संपत्ति है, जिन्हें सूर्य के प्रभाव से संरक्षित करने की आवश्यकता है। आदित्य एल1 उपग्रह एक तरह से अंतरिक्ष आधारित रक्षक के रूप में कार्य करेगा, जो सौर ज्वालाओं और आने वाले सौर तूफानों पर नजर रखेगा।
कभी नहीं सोएगा आदित्य
जब सूर्य से एक बड़ी सौर ज्वाला निकलती है, तो यह उपग्रहों के इलेक्ट्रॉनिक्स को जलाकर रखा कर सकती है। उनकी सुरक्षा के लिए, अंतरिक्ष इंजीनियर इलेक्ट्रॉनिक्स को बंद कर देते हैं। उन्हें तब तक सुरक्षित शटडाउन स्थिति में रखते हैं जब तक कि अत्यधिक चार्ज वाला तूफान गुजर न जाए। अशोक विश्वविद्यालय के खगोल वैज्ञानिक प्रोफेसर सोमक रायचौधरी ने कहा कि आदित्य-एल1 एक बुद्धिमान उपग्रह है। यह कभी नहीं सोएगा और पृथ्वी के निकटतम तारे की गतिविधियों पर नजर रखेगा और चेतावनी देगा कि सूर्य का प्रकोप हम पर कब पड़ेगा।