ISRO GSLV F-14 INSAT-3DS Mission: चंद्रयान-3 और आदित्य एल-1 की सफलता के बाद इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) एक और सफलता छूने को बेताब है। इसरो अब अपना नवीन और हाइटेक मौसम उपग्रह इनसैट-3डीएस (INSAT-3DS Mission) को 17 फरवरी, शनिवार को लॉन्च करेगा। इसे जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) रॉकेट के चचेरे भाई जीएसएलवी एफ-14 के जरिए अंतरिक्ष में शाम 5.35 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से भेजा जाएगा।
इनसैट-3डीएस देश का सबसे आधुनिक मौसम और डिजास्टर वार्निंग सैटेलाइट है। इसका मुख्य उद्देश्य जल, थल, मौसम और इमरजेंसी सिग्नल सिस्टम की जानकारी मुहैया कराना है। इसके अलावा यह राहत-बचाव के काम में भी मदद करेगा।
We are just 2️⃣ days away from the launch of #GSLVF14 carrying the INSAT-3DS satellite for the Ministry of Earth Sciences!! 🚀
— ISRO Spaceflight (@ISROSpaceflight) February 15, 2024
This will be #ISRO's second launch in 2024 and the 9th last flight of the GSLV rocket!
Check out this infographic to learn more about this mission 👇 pic.twitter.com/c6Ck0NymyX
वजन 2,274 किलोग्राम, लागत 480 करोड़ रुपये
INSAT-3DS सैटेलाइट का वजन 2,274 किलोग्राम है। इसे लगभग 480 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है। इसरो ने कहा कि यह पूरी तरह से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा बनवाया गया है। इनसैट 3 सीरीज के सैटेलाइट में 6 अलग-अलग प्रकार के जियोस्टेशनरी सैटेलाइट्स हैं। यह सातवीं सैटेलाइट है। इनसैट सीरीज के पहले के सभी सैटेलाइट्स को साल 2000 से 2004 के बीच लॉन्च किया गया था। जिससे संचार, टीवी ब्रॉडकास्ट और मौसम संबंधी जानकारी मिल रही थीं। इन सैटेलाइट्स में 3ए, 3डी और 3डी प्राइम सैटेलाइट के पास मौसम संबंधी आधुनिक यंत्र लगे हैं।
वैज्ञानिक का दावा- सटीक अनुमान से मृत्युदर कम हुई
इसरो के अधिकारियों ने कहा कि इनसैट 3 सीरीज के नए सैटेलाइट को मौसम संबंधी पूर्वानुमान, आपदा चेतावनी, भूमि और महासागर की निगरानी के लिए डिजाइन किया गया है। इससे आपदा में लोगों के जीवन को बचाने में मदद मिलेगी। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉक्टर एम रविचंद्रन ने कहा कि भारतीय मौसम सैटेलाइट एक गेम चेंजर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 1970 के दशक के दौरान बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न चक्रवातों के कारण लगभग 3 लाख लोगों की मृत्यु हुई। लेकिन यह सबकुछ तब हुआ, जब भारतीय मौसम उपग्रह अस्तित्व में नहीं थे। अब भारत अपने उपग्रहों का इस्तेमाल कर रहा है। चक्रवात का पूर्वानुमान लगाया जाता है। यह इतना सटीक है कि मरने वालों की संख्या घटकर दो अंकों में या कभी-कभी तो बिल्कुल भी नहीं रह गई है।
भारत के पास वर्तमान में तीन मौसम सैटेलाइट हैं। इनमें INSAT-3D, INSAT-3DR, और OceanSat शामिल हैं। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के उपग्रह मौसम विज्ञान प्रभाग के परियोजना निदेशक डॉ अशीम कुमार मित्रा ने कहा कि इनसैट 3 डी 2013 से काम कर रहा है। अब इसका जीवन खत्म होने वाला है। इसलिए नए सैटेलाइट की जरूरत थी।
कैसे पड़ा नॉटी बॉय नाम?
इनसैट 3डी को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा। इस रॉकेट को इसरो एक पूर्व अध्यक्ष ने नॉटी बॉय नाम दिया था। चूंकि रॉकेट ने अपनी 15 उड़ानों में से 6 में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया। इसकी विफलता दर 40 प्रतिशत है। जीएसएलवी का आखिरी प्रक्षेपण 29 मई, 2023 को सफल रहा था, लेकिन उससे पहले 12 अगस्त, 2021 को हुआ प्रक्षेपण असफल रहा था।
इसकी तुलना में, जीएसएलवी के भारी चचेरे भाई, लॉन्च वाहन मार्क -3 या 'बाहुबली रॉकेट' ने सात उड़ानें पूरी की हैं और शत-प्रतिशत सफलता का रिकॉर्ड बनाया है। इसरो के वर्कहॉर्स रॉकेट, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) की सफलता दर भी 95 प्रतिशत है, जिसमें 60 प्रक्षेपणों में केवल तीन विफलताएं हैं।
जीएसएलवी एक तीन चरणों वाला रॉकेट है जो 51.7 मीटर लंबा है। यानी 182 मीटर लंबे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की लंबाई का लगभग एक चौथाई। इसका वजन 420 टन है। रॉकेट भारत निर्मित क्रायोजेनिक इंजन का उपयोग करता है और इसरो कुछ और प्रक्षेपणों के बाद इसे रिटायर करने की योजना बना रहा है।