Kanchanjunga Express Accident: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी के पास भीषण रेल हादसे में 8 लोगों की मौत हो गई, जबकि 50 से ज्यादा जख्मी हैं। हादसा दार्जिलिंग जिले में हुआ। यहां सोमवार सुबह 8.55 बजे एक मालगाड़ी ने असम के सिलचर से कोलकाता के सियालदह जा रही कंजनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से जोरदार टक्कर मार दी। टक्कर इतनी भीषण थी कि एक्सप्रेस ट्रेन के 4 डिब्बे पटरी से उतर गए, कई डिब्बे प्रभावित हुए। जबकि दो कोच बुरी तरह से चकनाचूर हो गए। भारतीय रेलवे ने शुरुआती जांच के बाद हादसे का कारण मानवीय त्रूटि बताया है।
मालगाड़ी के पायलट समेत 3 रेलकर्मियों की मौत
रेलवे बोर्ड चेयरमैन और सीईओ जया वर्मा सिन्हा ने मीडिया को बताया कि इस हादसे में 8 लोगों की मौत हुई, कई यात्री घायल हुए हैं। शुरुआती तौर पर रेल हादसे में ड्राइवर की मानवीय भूल सामने आई है। यह साफतौर पर सिग्नल तोड़ने का मामला है। इस टक्कर में मालगाड़ी के इंजन में सवार लोको पायलट, असिस्टेंट लोको पायलट और कंचनजंगा एक्सप्रेस के पिछले डिब्बे में सवार गार्ड की मौत हो गई। हमें कवच के प्रसार की जरूरत है, पश्चिम बंगाल के लिए योजना बनाई गई है।
West Bengal train accident | "8 deaths, 25 injured in this accident. Prima facie suggests human error as the cause. The first indications suggest that this is a case of signal disregard. Kavach needs to proliferated, planned for West Bengal," says Jaya Varma Sinha, Chairman & CEO… pic.twitter.com/uUnP92wErs
— ANI (@ANI) June 17, 2024
यह रूट ऑटोमैटिक सिग्नल डिविजन का हिस्सा
बता दें कि दार्जिलिंग के लोकप्रिय हिल स्टेशन तक जाने के लिए टूरिस्ट अक्सर कंचनजंगा एक्सप्रेस में सफर करते हैं। यह रेल रूट चिकन कॉरिडोर नैरो स्ट्रिप को पार करता है, जो पूर्वोत्तर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है। यह रूट एक ऑटोमैटिक सिग्नल डिविजन है और पैरेलल लाइन के चलते काफी बिजी रहता है। यानी कि आसपास अन्य ट्रेनों के होने की संभावना ज्यादा रहती है।
इस वजह से कम हुआ नुकसान?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कंजनजंगा एक्सप्रेस में सबसे पीछे दो पार्सल वैन और एक गार्ड कोच लगा था, जिससे माना रहा है कि टक्कर का प्रभाव काफी कम हो गया। नहीं तो मरने वालों की संख्या बढ़ सकती थी। गनीमत रही कि इस बिजी रूट पर टक्कर के वक्त कोई और गाड़ी नहीं गुजर रही थी।
पुराने कोच और कवच के बिना दौड़ रही थी ट्रेन
उल्लेखनीय है कि भारतीय रेलवे सभी ट्रेनों को नए एलएचबी कोचों के साथ अपग्रेड कर रहा है, लेकिन कंचनजंगा एक्सप्रेस इंटीग्रल कोच फैक्ट्री द्वारा बनाए गए पुराने कोचों के साथ चल रही है। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, एंटी कोलाइजन (टक्कर रोधी प्रणाली) कवच सिस्टम इस रूट से गुरजने वाली ट्रेनों में अभी इस्तेमाल नहीं हुआ है। रेलवे ने कवच के प्रसार को लेकर असम और पश्चिम बंगाल के लिए योजना बनाने की बात कही है।
जानिए क्या है कवच सिस्टम?
- कवच "शून्य दुर्घटना" के टारगेट वाली प्रणाली है। इसे आरडीएसओ ने डेवलप किया है, जो कि एक टक्कर-रोधी प्रणाली है। यह तकनीक सेफ्टी इंटीग्रिटी लेवल 4 (एसआईएल-4) प्रमाणित है। हाईएस्ट परफॉर्मेंस लेवल यानी 10 हजार सालों में कवच द्वारा केवल एक त्रुटि की संभावना है।
- कवच सिस्टम हाई फ्रीक्वेंसी रेडियो कम्युनिकेशन का यूज करता है और टकराव को रोकने के लिए आंदोलन के लगातार अपडेशन के सिद्धांत पर काम करता है। अगर इसे जरा भी आभास होता है कि कोई दुर्घटना होने वाली है, तो यह ऑटोमैटिकली उन रूट्स पर ट्रेन के ब्रेक एक्टिवेट कर देता है।
- 50 लाख प्रति किमी पर यह अन्य देशों में इस्तेमाल हो रही ऐसी तकनीक की लागत से भी काफी कम हैं। यह सिस्टम अब तक 1,500 किलोमीटर ट्रैक पर लगाई जा चुकी है और इस साल 3,000 किलोमीटर ट्रैक को कवच से लैस कर दिया जाएगा। भारत के रेलवे नेटवर्क की लंबाई 1 लाख किमी से अधिक है।