Katchatheevu island controversy: तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव के नजदीक आते ही बीजेपी ने अपना अभियान तेज कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कच्चातीवू द्वीप के मुद्दे पर एक बार फिर से तमिलनाडु की सत्तारूढ़ द्रमुक मुनेत्र कषगम (DMK) और कांग्रेस पर निशाना साधा। एक न्यूज रिपोर्ट का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कच्चातीवू द्वीप को लेकर सामने आए नए विवरण से डीएमके का दोहरा मापदंड उजागर हो गया है।
डीएमके, कांग्रेस को अपने बेटे-बेटियों की फिक्र
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पोस्ट में लिखा कि डीएमके ने कच्चातीवू के मुद्दे पर बयानबाजी के अलावा कुछ नहीं किया है। इसने तमिलनाडु के हितों की रक्षा नहीं की है। कांग्रेस और डीएमके दोनों ही एक ही परिवार की तरह हैं। वे सिर्फ इस बात की चिंता करते हैं कि उनके बेटे-बेटियां आगे बढ़े। कच्चातीवू पर उनकी संवेदनहीनता से खासकर गरीब मछुआरों को नुकसान हुआ है।
Rhetoric aside, DMK has done NOTHING to safeguard Tamil Nadu’s interests. New details emerging on #Katchatheevu have UNMASKED the DMK’s double standards totally.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 1, 2024
Congress and DMK are family units. They only care that their own sons and daughters rise. They don’t care for anyone…
पहले भी यह मुद्दा उठा चुके हैं पीएम मोदी
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को भी इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरा था। यह पहला मौका नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह मुद्दा उठाया है। इससे पहले बीते साल संसद के मानसून सत्र के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्चातीवू मुद्दे को उठाया था। पीएम मोदी ने कहा था कि तमिलनाडु सरकार अब उन्हें चिट्ठी लिखकर कहती है कि कच्चातीवू द्वीप का श्रीलंका से वापस ले लिया जाए। लेकिन यह हुआ कैसे, इस द्वीप को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के कार्यकाल में श्रीलंका को दे दिया गया था।
In 1961, Nehru was ready to give up the #Katchatheevu island to Sri Lanka.
— P C Mohan (Modi Ka Parivar) (@PCMohanMP) March 31, 2024
In 1974, Indira Gandhi fulfilled Nehru's dream and gave up the island.
Congress has tirelessly sought to undermine India's integrity, intending to fracture our nation. pic.twitter.com/St0d4Qu2dv
इंदिरा गांधी के समय हुआ था कच्चातीवू समझौता
1974 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली भारत सरकार ने श्रीलंका के साथ एक समझौता कर कच्चातीवू द्वीप पर भारत के दावे को खत्म कर दिया। यह कदम बेहद विवादास्पद था। खासकर तमिलनाडु में भारत सरकार के इस कदम की बड़ी आलोचना हुई। इसकी वजह यह है कि इस आईलैंड को पारंपरिक तौर पर भारतीय मछुआरे इस्तेमाल करते रहे हैं। डीएमके के सांसद एरा सेझियन ने संसद में इसकी काफी आलोचना की थी और बिना सही सलाह मशविरा किए इस द्वीप को श्रीलंका को सरेंडर करने की निंदा की थी।
अन्नमलाई ने जुटाई समझौते पर जानकारी
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि एक अंग्रेजी अखबार में छपी रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने श्रीलंका को कच्चातीवू द्वीप सौंपने पर सहमति दी थी। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से इसकी घोषणा की थी। यह मीडिया रिपोर्ट तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के अन्नामलै की ओर से आरटीआई के तहत हासिज जवाबों के आधार पर है। अन्नामलाई ने इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते 1974 में हुए समझौते को लेकर सवालों के जवाब मांगे थे।
कच्चातीवू द्वीप पर नहीं जा सकते भारतीय मछुआरे
बता दें कि कच्चातीवू द्वीप सेंट एंथनी चर्च है। इस द्वीप पर निर्मित यह इकलौता ढांचा है। जून 1974 में हुए समझौते के बाद भारतीय मछुआरे इस सालाना होने वाले सेंट एंथनी त्योहार में भी नहीं जा सकते है। जिस द्वीप पर भारतीय मछुआरे अब अपने जाल तक नहीं सुखा सकते। इस जल क्षेत्र में प्रवेश करने पर मौजूदा समय में भारतीय मछुआरों को श्रीलंका की नौसेना अंतरराष्ट्रीय जल सीमा लांघने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल में डाल देती है।