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Lok Sabha Election Counting Process: भारत में लोकसभा चुनाव के नतीजे देश की राजनीतिक दिशा तय करते हैं। काउंटिंग की प्रक्रिया बेहद के दौरान कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। आइए जानते हैं कि काउंटिंग प्रक्रिया के बारे में सब कुछ। 

Lok Sabha Election Counting Process: भारत में लोकसभा चुनाव के नतीजे देश की राजनीतिक दिशा तय करते हैं। काउंटिंग की प्रक्रिया बेहद के दौरान कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। यह बेहद जरूरी होता है कि काउंटिंग के दौरान वोटों की गिनती में किसी प्रकार की चूक नहीं हो। काउंटिंग की प्रक्रिया कई चरणों में पूरी की जाती है। साथ ही इसमें कई तरह की सावधानियां बरतनी भी जरूरी होता है। अगर दो कैंडिडेट को समान वोट मिले यानी कि वोटिंग टाई हो जाए तो क्या होता है। आइए जानते हैं कि काउंटिंग प्रक्रिया के बारे में सब कुछ। 

मतगणना केंद्रों पर कैसी होती है सुरक्षा
मतगणना केंद्रों की सुरक्षा पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाता है। सभी काउंटिंग सेंटर्स पर तीन स्तर की सुरक्षा व्यवस्था होती है। पहले स्तर पर स्थानीय पुलिस, दूसरे स्तर पर केंद्रीय बल और तीसरे स्तर पर पर्यवेक्षक तैनात होते हैं। सीसीटीवी कैमरों की मदद से काउंटिंग सेंटस पर लगातार निगरानी रखी जाती है। यूपी जैसे राज्यों में, विजय जुलूस पर भी रोक लगा दी जाती है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके।

क्या है काउटिंग की प्रोसेस? 
1. पोस्टल बैलट की काउंटिंग: चुनाव संचालन नियमावली 1961 के नियम 54ए के तहत, सबसे पहले रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) की टेबल पर पोस्टल बैलट की गिनती की जाती है। केवल उन पोस्टल बैलट की गिनती की जाती है जो निर्धारित समय से पहले आरओ को मिले होते हैं।

2. EVM से वोटों की गिनती: पोस्टल बैलट की गिनती शुरू होने के 30 मिनट बाद EVM से वोटों की गिनती शुरू होती है। काउंटिंग सेंटर्स  पर 14 टेबल होती हैं। हर टेबल पर EVM के वोट गिने जाते हैं। हर राउंड में 14 ईवीएम के वोट गिने जाते हैं। हर राउंड के बाद एजेंट फॉर्म 17-सी पर साइन करते हैं। इसके बाद फॉर्म 17-सी आरओ को सौंप दिया जाता है।

3. वोट काउंटिंग सुपरविजन: काउंटिंग सेंटर में प्रत्येक राउंड के बाद नतीजे ब्लैकबोर्ड पर लिखे जाते हैं। इसके बाद लाउडस्पीकर से घोषणा की जाती है। काउंटिंग हॉल के अंदर मोबाइल फोन ले जाने पर रोक होती है। मीडियाकर्मियों को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं होती है। वीडियो रिकॉर्डिंग केवल ऑफिशियल कैमरों से की जाती है। अन्य कैमरों से रिकॉर्डिंग की इजाजत नहीं होती है।

EVM और VVPAT का इस्तेमाल

  • ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) से वोटों की गिनती एक संरचित प्रक्रिया है। प्रत्येक ईवीएम की कंट्रोल यूनिट (सीयू) से परिणाम जानने से पहले, मतगणना अधिकारी यह सुनिश्चित करते हैं कि उन पर लगी पेपर सील बरकरार है और डाले गए कुल मत फॉर्म 17सी में उल्लिखित मतों से मेल खाते हैं।
  • जब किसी कंट्रोल यूनिट मे रिकॉर्ड नतीजे डिस्प्ले पैनल में प्रदर्शित नहीं होता है, तो संबंधित वीवीपैट (वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) की पर्चियों की गिनती की जाती है। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र और संसदीय क्षेत्र में रैंडमली चुने गए पांच काउंटिंग सेंटर्स की VVPAT पर्चियों का वेरिफिकेशन काउंटिंग होने के बाद पूरी की जाती है। ऐसा करना अनिवार्य होता है। 

टाई की स्थिति में क्या लिया जाता है फैसला?
यदि दो उम्मीदवारों को बराबर वोट मिलते हैं, तो चुनाव संचालन नियमावली के अनुसार दो तरीके अपनाए जाते हैं

1. लॉटरी ड्रॉ: यह सबसे आम और निष्पक्ष तरीका है। इस स्थिति में लॉटरी ड्रॉ का इस्तेमाल किया जाता है। लॉट्री पर दोनों उम्मीदवारों के नाम लिखे होते हैं। इन्हें एक साथ रखा जाता है। उसके बाद दोनों अच्छे तरीके से मिक्स कर एक लॉट्री निकाली जाती है। इस लॉट्री पर जिसका नाम होता है उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है। 

2. री इलेक्शन का भी है प्रावधान: कुछ मामलों में अगर नतीजे टाई हो तो दोबारा चुनाव यानी कि री इलेक्शन की घोषणा भी की जा सकती है। हालांकि ऐसा बहुत कम मामलों में ही होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें ज्यादा समय लगता है और ज्यादा और संसाधनों की भी जरूरत होती है।

क्या होता है मतगणना अधिकारियों का काम?
1. ईवीएम की सीयू और फॉर्म 17सी: मतगणना के लिए उपयोग की जाने वाली ईवीएम की कंट्रोल यूनिट (सीयू) के साथ फॉर्म 17सी की जरूरत होती है। मतगणना अधिकारी यह सुनिश्चित करता है कि कंट्रोल यूनिट की सील बिल्कुल सेफ हो और यह टूटी फूटी नहीं हो। काउंटिंग सेंटर्स पर टोटल वोट फॉर्म 17सी में रिकॉर्ड वोटों से मेल खा रहे हों।

2. वीवीपैट पर्चियों की गिनती: सीयू से मतों की गिनती पूरी होने के बाद ही वीवीपैट पर्चियों की गिनती शुरू होती है। यह सुनिश्चित करता है कि यदि किसी तकनीकी समस्या के कारण सीयू परिणाम प्रदर्शित नहीं कर पा रही है, तो वीवीपैट पर्चियों से परिणाम की वेरिफिकेशन की जा सकती है।

3. फॉर्म 20 और फाइनल रिजल्ट शीट: प्रत्येक मतदान केंद्र का फॉर्म 17सी फॉर्म 20 में फाइनल रिजल्ट शीट संकलित करने वाले अधिकारी को भेजा जाता है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक मतदान केंद्र के नतीजों का उचित रिकॉर्ड रखा जाए और किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोका जा सके।

4. रुझान और नतीजों का ऐलान: मतगणना हॉल में प्रत्येक राउंड के बाद उम्मीदवारों को प्राप्त वोटों की संख्या ब्लैकबोर्ड पर लिखी जाती है और लाउडस्पीकर के माध्यम से घोषणा की जाती है। इसे रुझान कहा जाता है। अंतिम परिणाम की घोषणा सभी राउंड की गिनती पूरी होने के बाद ही की जाती है।

रिजेक्टेड वोट्स का री वेरिफिकेशन
जब जीत का अंतर रिजेक्टेड वोटों की संख्या से कम होता है, तो परिणाम घोषित करने से पहले सभी रिजेक्टेट वोट्स का री वेरिफिकेशन जरूरी होता है। इस प्रोसेस के जरिए यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी रिजेक्टेड वोट की वजह से नतीजों में कोई गलती न हो।

सुरक्षा और निगरानी पर दिया जाता है पूरा ध्यान
मतगणना केंद्रों पर सुरक्षा और निगरानी बेहद अहम होती है। सीसीटीवी कैमरों की मदद से पूरे केंद्र की निगरानी की जाती है। काउंटिंग की प्रक्रिया के दौरानकिसी भी प्रकार का संदेह न हो, इसके लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाते हैं। काउटिंग सेंटर के अंदर केवल अधिकृत व्यक्तियों को जाने की इजाजत होती है। इनमें उम्मीदवारों के एजेंट, चुनाव अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी शामिल होते हैं।

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