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Malegaon Blast Case: पुरोहित ने दावा किया कि उन्हें 29 अक्टूबर, 2008 को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन एटीएस ने उनकी गिरफ्तारी सार्वजनिक नहीं की। गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें पंचमढ़ी से खंडाला के एक बंगले में जबरदस्ती हिरासत में रखा गया था।

Malegaon Blast Case: 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट केस में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने अपने विकील विरल बाबर के जरिए एनआईए की विशेष अदालत में अपना लिखित बयान सौंपा है। उन्होंने कई सनसनीखेज दावे किए हैं। कहा कि तत्कालीन सरकार के इशारे पर तत्कालीन महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) प्रमुख दिवंगत हेमंत करकरे, रिटायर्ड IPS अधिकारी परम बीर सिंह और अन्य के आदेश के तहत 'मनगढ़ंत' जांच की गई थी। पूछताछ के नाम पर प्रताड़ित किया गया। दाहिना घुटना तोड़ दिया गया। 

प्रसाद पुरोहित ने दावा किया कि एटीएस अधिकारी उन पर आरएसएस-विश्व हिंदू परिषद के सीनियर पदाधिकारियों और गोरखपुर के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लेने का दबाव डाल रहे थे। पुरोहित ने सीआरपीसी की धारा 313 के तहत एक आरोपी के रूप में लिखित बयान अदालत में दिया है। यह धारा एक आरोपी को उसके खिलाफ आरोपों का बचाव करने का अवसर देती है। 

हेमंत करकरे कर रहे थे जांच की अगुवाई
मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को विस्फोट हुआ था। इस मामले में पुरोहित और भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सात आरोपी हैं। इस विस्फोट में छह लोग मारे गए थे और 100 से अधिक घायल हुए थे। हेमंत करकरे मालेगांव विस्फोट जांच की अगुवाई कर रहे थे। हेमंत करकरे की 2008 में 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के दौरान गोली लगने से मौत हो गई थी। 

Malegaon Blast
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29 अक्टूबर, 2008 को गिरफ्तारी का दावा
पुरोहित ने दावा किया कि उन्हें 29 अक्टूबर, 2008 को गिरफ्तार किया गया था। लेकिन एटीएस ने उनकी गिरफ्तारी सार्वजनिक नहीं की। गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें पंचमढ़ी से खंडाला के एक बंगले में जबरदस्ती हिरासत में रखा गया था। जहां करकरे और परमबीर सिंह ने उनसे पूछताछ की थी। 

इंटेलिजेंस नेटवर्क की जानकारी देने का बनाया दबाव
पुरोहित ने दावा किया कि बार-बार उन्हें अपने खुफिया नेटवर्क के बारे में जानकारी देने के लिए मजबूर किया जा रहा था। सिमी, आईएसआई और डॉक्टर जाकिर नाइक की गतिविधियों की मैपिंग में मेरी सहायता करने वाले मेरे इंटेलिजेंस नेटवर्क और सोर्सेज के बारे में पूछा जा रहा था। मैंने उन्हें कोई जानकारी नहीं दी थी, क्योंकि यह इंटेलिजेंस के वसूलों के खिलाफ है। 

उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके हाथ-पैर बांध दिए गए थे और उनके साथ दुश्मन मुल्क के युद्धबंदी से भी बद्तर व्यवहार किया गया। उन्होंने दावा किया कि अधिकारी उनसे आरएसएस और वीएचपी के वरिष्ठ दक्षिणपंथी नेताओं योगी आदित्यनाथ का नाम पूछ रहे थे, जो उस समय उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से सांसद थे। पुरोहित ने दावा किया कि यातना 3 नवंबर, 2008 तक जारी रही।

गाेली मारने की थी प्लानिंग
पुरोहित ने कहा कि उन्हें गोली मारने की प्लानिंग थी। उन्हें बंगला छोड़ने के लिए कहा गया था। बाद में एक एटीएस अधिकारी ने उन्हें सूचित किया कि अगर वह परिसर से बाहर निकले तो उन्हें मार देने के आदेश हैं। बयान में यह भी दावा किया गया है कि एटीएस ने सह-अभियुक्त के घर में विस्फोटक सामग्री, आरडीएक्स भी रखा था। उन्होंने कहा कि एटीएस द्वारा पंचनामा बनाया गया था और गवाहों ने भी अदालत में गवाही दी थी कि झूठे बयान दर्ज करने से पहले उन्हें प्रताड़ित किया गया था। 

सेना के सम्मान को पहुंचाई गई ठेस
पुरोहित ने यह भी दावा किया कि उनका फोन अवैध रूप से टैप किया गया था और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत उन पर और अन्य लोगों पर मुकदमा चलाने की मंजूरी गलत इरादों से दी गई थी। बयान में कहा गया है कि बिना सत्यापन के आरोप पत्र दाखिल करने से सेना की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है और यह आरोपों के प्रति संवेदनशील हो गई है। यह भी दावा किया गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया गया।

पुरोहित को 5 नवंबर, 2008 को औपचारिक रुप से गिरफ्तार दिखाया गया था। फिलहाल सात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है और आरोपियों के बयान खत्म होने के बाद अदालत अंतिम दलीलें सुनेगी। 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव के एक चौराहे पर मोटरसाइकिल में रखे गए बम में विस्फोट हुआ था। 
 

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