Ministry Of External Affairs: विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुरुवार को साप्ताहिक मीडिया बीफ्रिंग के लिए पहुंचे। इस दौरान उन्हें कच्चातीवू से जुड़े कई सवालों का सामना करना पड़ा। हालांकि, वह इन मुद्दों को टालते नजर आए। जायसवाल ने ताइवान में आए भूकंप के लापता हुए भारतीयों के बारे में जानकारी दी। जायसवाल ने कहा कि दोनों भारतीय मिल गए हैं और पूरी तरह से सुरक्षित हैं। पहले हम उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे थे, हालांकि, अब उनसे संपर्क साध लिया गया है।
कच्चातीवू द्वीप मामले पर क्या कहा?
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कच्चातीवू द्वीप से जुड़े मुद्दे पर कहा कि इस मामले में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मीडिया के सामने सारी बातें रख दी हैं। सारी स्थिति स्पष्ट हे चुकी है। इससे पहले विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से दो सवाल पूछे गए थे। पहला यह कि कच्चातीवू मामले में सरकार ने बीते 10 साल में क्या कदम उठाए हैं और दूसरा यह कि क्या इस मुद्दे को श्रीलंका सरकार के सामने उठाया गया है।
विदेश मंत्री ने कच्चातीवू मुद्दे पर दी थी जानकारी
हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कच्चातीवू द्वीप को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। इसमें एस जयशंकर ने कहा था कि भारत और श्रीलंका के बीच हुए दो समझौतों के तहत कच्चातीवू द्वीप पूरी तरह से श्रीलंका को सौंप दिया गया। इनमें से एक समझाैता साल 1974 में तो दूसरा समझौता 1976 में किया गया था। पहले समझौते में देश के मछुआरों को सुरक्षित रखा गया था, हालांकि, दूसरे समझौते में यह अधिकार भी छीन लिया गया। उस समय देश में इंदिरा गांधी की सरकार थी।
कैसे चर्चा में आया कच्चातीवू द्वीप का मामला
जब से तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नमलाई की कच्चातीवू से जुड़ी आरटीआई याचिका का जवाब मिला है, यह मुद्दा चर्चा में है। कच्चातीवू से जुड़े कुछ सवालों कांग्रेस और तमिलनाडु सत्तारूढ़ द्रमुक मुनेत्र कषगम (द्रमुक) से भी जुड़ा है। इस मामले में उठाए गए कदमों के बारे में पता चला है। पूर्व पीएम जवारहलाल नेहरू के समय से ही इस समझौते की सुगबुगुहाट शुरू हुई और इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भारत और श्रीलंका के बीच समझौता पूरी तरह से हो गया।