Modi Cabinet Meeting: प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में बुधवार (9 अप्रैल) को हुई कैबिनेट बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इस दौरान पंजाब और हरियाणा को कनेक्ट करने वाले 6-लेन एक्सेस नियंत्रित जीरकपुर बाईपास के निर्माण को मंजूरी दी है। साथ ही तिरुपति-पाकला-कटपडी रेललाइन के दोहरीकरण को भी हरी झंडी दे दी। इन परियोजनाओं से न सिर्फ आवागमन में सुविधा होगी, बल्कि रोजगार और व्यापार-व्यवसाय को भी गति मिलेगी।
जीरकपुर बाईपास को मंजूरी
मोदी कैबिनेटने पंजाब और हरियाणा में 1878.31 करोड़ की लागत वाले 19.2 किलोमीटर लंबे 6-लेन एक्सेस नियंत्रित जीरकपुर बाईपास के निर्माण को मंजूरी दी है। जो एनएच-7 (जीरकपुर-पटियाला) के जंक्शन से शुरू होकर एनएच-5 (जीरकपुर-परवाणू) के जंक्शन पर समाप्त होगा। 19.2 किलोमीटर लंबे बायपास से जीरकपुर के बीच पंचकूला में ट्रैफिक दबाव और चंडीगढ़-पंचकूला, मोहाली में जाम से राहत मिलेगी।
तिरुपति-पाकला-कटपडी रेललाइन दोहरीकरण
मोदी कैबिनेट ने आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में तिरुपति-पाकला-कटपडी सिंगल रेललाइन सेक्शन (104 किमी) के दोहरीकरण को मंजूरी दी है। इसकी लागत 1332 करोड़ रुपए है। इस मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से 400 गांवों और 14 लाख आबादी और तिरुमाला वेंकटेश्वर मंदिर आने वाले हजारों तीर्थयात्रियों सीधा फायदा होगा। रोजगार और व्यापार व्यवसाय को गति मिलेगी।
मुरादाबाद में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट
मोदी कैबिनेट ने 900 करोड़ से अधिक की सीवरेज परियोजनाओं को मंजूरी दी है। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में रामगंगा नदी को प्रदूषण मुक्त करने के उद्देश्य से इंटरसेप्शन, डायवर्जन, एसटीपी सहित अन्य कार्य के डीपीआर को मंजूरी दी है। इस प्रोजेक्ट के तहत जोन-3 में 15 एमएलडी और जोन-4 में 65 एमएलडी की क्षमता वाले सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाएंगे। साथ ही 5 बड़े नालों को इंटरसेप्ट और डायवर्ट किया जाएगा।
PMKSY की उप योजना को मंजूरी
मोदी कैबिनेट ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत 1600 करोड़ रुपए से कमान क्षेत्र विकास और जल प्रबंधन (एम-सीएडीडब्ल्यूएम) के आधुनिकीकरण को मंजूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य सिंचाई जल आपूर्ति नेटवर्क का आधुनिकीकरण करना है। ताकि, मौजूदा नहरों या अन्य स्रोतों से सिंचाई जल की आपूर्ति की जा सके।
सिंचाई परिसंपत्तियों के प्रबंधन के लिए जल उपयोगकर्ता सोसायटी (डब्ल्यूयूएस) को सिंचाई प्रबंधन हस्तांतरण (आईएमटी) द्वारा परियोजनाओं को टिकाऊ बनाया जाएगा। जल उपयोगकर्ता समितियों को पांच साल के लिए एफपीओ या पीएसीएस जैसी मौजूदा आर्थिक संस्थाओं से जोड़ने के लिए सहायता दी जाएगी। युवाओं को खेती की ओर आकर्षित किया जाएगा, ताकि वे सिंचाई की आधुनिक पद्धति अपना सकें।