Operation Sadbhav: भारत ने रविवार को वियतनाम, लाओस और म्यांमार की मदद के लिए 'ऑपरेशन सद्भाव' शुरू किया। यह देश तूफान यागी से प्रभावित हुए हैं, जिसने अब तक 200 से अधिक लोगों की जान ले ली है। ये देश भारी बाढ़ की चपेट में हैं, जब से एक हफ्ते पहले तूफान ने इन क्षेत्रों में लैंडफॉल किया है।
वियतनाम, लाओस और म्यांमार में तबाही
तूफान यागी ने सबसे पहले फिलीपींस में लैंडफॉल किया, जहां इसने एक दर्जन से अधिक लोगों की जान ले ली। इसके बाद यह दक्षिण चीन होते हुए वियतनाम, थाईलैंड, म्यांमार और लाओस तक पहुंचा। ये देश अब बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर रहे हैं।
वियतनाम को 35 टन राहत सामग्री भेजी
भारत ने वियतनाम को 35 टन और लाओस को 10 टन राहत सामग्री भेजी है। भारतीय वायुसेना का C-17 परिवहन विमान लाओस के लिए राहत सामग्री लेकर गया, जबकि वियतनाम में मदद भेजने के लिए और अधिक सामग्री तैयार की जा रही है। भारत की ओर से दी जा रही मानवीय मदद (India's humanitarian assistance) इन देशों के लिए एक बड़ी राहत साबित हो रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने जताई संवेदना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह को तुरंत अपनी संवेदना और समर्थन व्यक्त किया। इसके साथ ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी वियतनाम के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से बात की और उनकी मदद का आश्वासन दिया। भारत का यह कदम इन देशों के साथ उसकी गहरी साझेदारी को दर्शाता है।
म्यांमार में नौसेना की तैयारी
भारतीय नौसेना ने म्यांमार के यांगून में त्वरित मानवीय सहायता (HADR) भेजने की तैयारी की है। पूर्वी नौसेना कमान ने तेजी से राहत सामग्री को तैयार कर युद्धपोतों पर लोड किया। इसमें पानी, राशन और दवाइयां शामिल हैं। म्यांमार में हालात गंभीर होते जा रहे हैं, इसलिए भारत की यह पहल महत्वपूर्ण साबित हो रही है।
वियतनाम में अब तक 226 लोगों की मौत
वियतनाम में भूस्खलन और बाढ़ के कारण अब तक 226 लोगों की मौत हो चुकी है। म्यांमार में भी मौत का आंकड़ा 74 पहुंच गया है, जबकि 89 लोग अब भी लापता हैं। बाढ़ और भूस्खलन के कारण हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं, जिनमें से अधिकांश म्यांमार के नागरिक हैं, जो पहले से ही चल रहे संघर्ष से प्रभावित थे।
मौसम विभाग ने जारी की है चेतावनी
वियतनाम, लाओस और म्यांमार की सरकारों ने अपने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश का अनुमान जताया है। बचाव दल और आपातकालीन सेवाएँ हाई अलर्ट पर हैं। इस तबाही ने एक बार फिर जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई की आवश्यकता को उजागर किया है।