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PAI report-2022-23: पंचायती राज मंत्रालय ने गरीबी उन्मूलन, आजीविका, स्वास्थ्य, शिक्षा और जल उपलब्धता सहित 9 मानकों के अनुसार, पंचायत उन्नति सूचकांक की बेसलाइन रिपोर्ट जारी की है। इसमें 62 फीसदी पंचायतों का प्रदर्शन निराशाजनक है।

PAI report-2022-23: पंचायती राज मंत्रालय ने ग्राम पंचातयों के समग्र विकास और उनकी प्रगति का आंकलन कर पंचायत उन्नति सूचकांक (PAI) तैयार किया है। पहली बार जारी  PAI की बेसलाइन रिपोर्ट में 62 फीसदी पंचायतों का प्रदर्शन निराशाजनक है। तेलंगाना और गुजरात की 699 पंचायतें सेकेंड श्रेणी में हैं, लेकिन A प्लस श्रेणी में देश की एक भी पंचायत शामिल नहीं हो पाई। मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पंचायतों की प्रगति चिंताजनक है। 

9 मानकों के अनुरूप है PAI रिपोर्ट 
पंचायती राज मंत्रालय द्वारा जारी पंचायत उन्नति सूचकांक (पीएआई) रिपोर्ट 9 मानकों के अनुरूप है। इनमें गरीबी मुक्त और बेहतर आजीविका, स्वस्थ पंचायत, बाल-अनुकूल पंचायत, जल उपलब्धता, स्वच्छता और हरियाली, आत्मनिर्भरता, न्यायसंगत और सामाजिक रूप से सुसंगत, सुशासन और महिला अनुकूल पंचायत को आधार माना गया है। यह विषय वैश्विक लक्ष्यों को ग्रामीण वास्तविकताओं के साथ जोड़ते हैं। साथ ही स्थानीय सरकारों को समग्र विकास के लिए नीति निर्धारित में मदद करते हैं।

गुजरात अव्वल, तेलंगाना दूसरे नंबर पर
पंचायत उन्नति सूचकांक में 346 पंचायतों के साथ गुजरात अव्वल है। जबकि, तेलंगाना दूसरे नंबर पर है। तेलंगाना की 270 पंचायतों को ए ग्रेड मिली है। बेहतर प्रदर्शन में भी गुजरात अव्वल है। यहां 13781 पंचायतें बेहतर श्रेणी में रखी गई हैं। इसी तरह महाराष्ट्र में 12,242, तेलंगाना में 10099, मध्य प्रदेश में 7,912 और उत्तर प्रदेश की 6593 पंचायतों का प्रदर्शन बेहतर है। बिहार, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की ज्यादातर पंचायतें आकांक्षी श्रेणी में शामिल हैं। 

5,896 पंचायतों का प्रदर्शन 40 फीसदी से कम 
2022-23 के पंचायत उन्नति सूचकांक आंकड़ों से पता चलता है कि 2,55,699 पंचायतों में से 2,16,285 ने मान्य डेटा प्रस्तुत किए। इनमें महज 699 यानी 0.3% ही अग्रणी पंचायतें रूप में जगह बना पाई हैं। इनमें से ज्यादातर गुजरात और तेलंगाना की पंचायतें हैं। 77,298 (35.8%) का प्रदर्शन बेहतर रहा, लेकिन 1,32,392 यानी 61.2% पंचायतों का प्रदर्शन निराशाजनक है। इन्हें आकांक्षी पंचायतों की श्रेणी में रखा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, 5,896 यानी 2.7% पंचायतों का प्रदर्शन 40 फीसदी भी नीचे है। इनके बिगनर्स श्रेणी में रखा गया है। 90 फीसदी से ज्यादा अंक प्राप्त करने वाली पंचायत एक भी नहीं हैं। 

MP-UP और छत्तीसगढ़ में एक भी पंचायत फ्रंटरनर नहीं
पीएआई स्कोर में 90 से अधिक अंक वाली पंचायतें अचीवर श्रेणी में आती हैं, लेकिन इस श्रेणी में देश की एक भी पंचायत नहीं है। 75 से 90 के बीच अंक वाली 699 पंचायतें हैं, जिन्हें अग्रणी-फ्रंटरनर कहा गया है। 60 से 75 के बीच वाली पंचायतों को परफॉर्मर, 40 से 60 से बीच आकांक्षी और 40 से कम अंक वाली पंचायतों को बिगनर्स पंचायत कहा गया है। हैरान करने वाली बात यह है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड की एक भी पंचायत फ्रंटरनर नहीं बन पाई। 

क्लिक करें: यहां देखें टॉप 25 परफार्मर ग्राम पंचायतों की सूची  

पंचायत उन्नति सूचकांक क्या है? 
पंचायत उन्नति सूचकांक (पीएआई) एक समग्र सूचकांक है। इसे 435 संकेतकों (331 अनिवार्य और 104 वैकल्पिक) के आधार पर संकलित किया गया है। इसमें राष्ट्रीय संकेतक फ्रेमवर्क (एनआईएफ) और एलएसडीजी (सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण) के 9 विषयों में 566 अद्वितीय डेटा अंक शामिल हैं। पीएआई, भागीदारी और विकास के जरिए सतत विकास लक्ष्‍य-2030 एजेंडे प्राप्त करने की भारत की प्रतिबद्धता दर्शाता है।

पंचायत उन्नति सूचकांक के फायदे 
पंचायत उन्नति सूचकांक (पीएआई) बहु-डोमेन और बहु-क्षेत्रीय सूचकांक है। जो पंचायतों के समग्र विकास, प्रदर्शन और प्रगति के आकलन में उपयोगी है। इसमें स्थानीय लोगों के कल्‍याण और विकास की स्थिति का आकलन करते हैं। पीएआई के अंक पंचायतों की प्रगति को दर्शाते हैं। साथ ही स्वस्थ प्रतिस्पर्धा बढ़ाता है। पीएआई के आंकड़े साक्ष्य-आधारित योजनाओं के अनुरूप होते हैं।  इससे पंचायतें विकास के अंतर की पहचान कर संसाधनों को प्रभावी उपयोग कर सकती हैं। नीति निर्माताओं को भी प्रगति का आकलन करने और इस अनुसार अपनी नीतियां संशोधित करने में मदद मिलती है। 
 

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