PM Narendra Modi meets LK Advani: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को एनडीए संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद भारत रत्न लालकृष्ण आडवाणी से मिले। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत रत्न आडवाणी को फूलों को गुलदस्ता भेंट कर एनडीए सरकार की जीत की बधाई दी। इसके बाद पीएम मोदी बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जाेशी से भी मिलने पहुंचे और उनका भी आशीर्वाद लिया।
लालकृष्ण आडवाणी को मिला था भारत रत्न
चुनाव से पहले लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया था। इसकी जानकारी खुद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर दी थी। पीएम मोदी ने लिखा था कि लालकृष्ण आडवाणी हमारे समय के सबसे सम्मानित नेताओं में से एक हैं और भारत के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।
मोदी आडवाणी को मानते हैं अपना गुरु
प्रधानमंत्री मोदी ने आडवाणी को अपना गुरु मानते हुए कई मौकों पर उनका जिक्र किया है। आडवाणी ने बीजेपी को आज जहां तक पहुंचाया है, उसमें उनका योगदान अहम है। साथ ही, नरेंद्र मोदी के सफर में भी उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान जब मोदी पर संकट आया, तब आडवाणी उनके लिए ढाल बनकर खड़े हो गए थे।
#WATCH | BJP MP Rajnath Singh proposes the name of Narendra Modi as the Leader of the BJP Parliamentary Party, Leader of the NDA Parliamentary Party and Leader of the Lok Sabha. pic.twitter.com/FbfsFmQESG
— ANI (@ANI) June 7, 2024
जब मोदी की ‘ढाल’ बने आडवाणी
2002 में गुजरात में दंगे हुए, तब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी। दंगों के बाद प्रधानमंत्री वाजपेयी ने मोदी को ‘राजधर्म’ पालन करने की सलाह दी थी। वाजपेयी, मोदी का इस्तीफा चाहते थे, लेकिन आडवाणी इसके खिलाफ थे। आडवाणी ने अपनी आत्मकथा "माई कंट्री माई लाइफ" में इस वाकये का जिक्र किया है।
#WATCH | PM Narendra Modi meets veteran BJP leader Murli Manohar Joshi at the latter's residence, in Delhi pic.twitter.com/7yuTbEZB54
— ANI (@ANI) June 7, 2024
मोदी को गुजरात भेजने का फैसला
1984 के चुनाव में बीजेपी की हार के बाद नरेंद्र मोदी को आरएसएस से बीजेपी में भेजा गया था। इस फैसले के पीछे भी लालकृष्ण आडवाणी का हाथ था। उन्होंने ही मोदी को गुजरात में काम करने भेजा और बाद में मोदी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बने।
आडवाणी के ‘सारथी’ बने मोदी
1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के दौरान नरेंद्र मोदी आडवाणी के साथ थे। आडवाणी की रथयात्रा की पूरी कमान मोदी के हाथ में थी। उस दौर की तमाम तस्वीरों में नरेंद्र मोदी, आडवाणी के साथ दिखाई देते हैं।
आडवाणी का साफ-सुथरा दामन
लालकृष्ण आडवाणी ने 50 से अधिक वर्षों की सक्रिय राजनीति की है, लेकिन उनके दामन पर कोई दाग नहीं है। 1996 में हवाला कांड में उनका नाम आया तो उन्होंने तुरंत इस्तीफा दे दिया और कहा कि जब तक वह इस आरोप से मुक्त नहीं हो जाते, तब तक चुनाव नहीं लड़ेंगे। बाद में, 1996 के चुनाव के बाद आडवाणी इस मामले से बरी हो गए।