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Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन भारत का अतिमहत्वाकांक्षी मिशन है। इसे 2025 में लॉन्च किया जाएगा। इसका उद्देश्य इसरो की इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने और भारतीय क्षेत्रीय जल में उतरकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता का प्रदर्शन करना है।

Gaganyaan Mission: गगनयान मिशन को लेकर जिस पल का इंतजार दुनिया को था, वह खत्म हो चुका है। पीएम मोदी ने गगनयान मिशन के जरिए अंतरिक्ष में जाने के लिए चुने गए पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के नामों का खुलासा किया। इनमें ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप, विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं। गगनयान, देश का पहला अंतरिक्ष उड़ान मिशन है। पीएम मोदी ने अंतरिक्ष यात्रियों को पंख देकर उन्हें सम्मानित किया। चारों को बेंगलुरु में अंतरिक्ष में जाने के लिए ट्रेनिंग दी गई है। 

Gaganyaan Mission
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ये चार इंसान नहीं, चार शक्तियां हैं
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि हर कोई हमारे अंतरिक्ष यात्रियों को खड़े होकर उनका अभिनंदन करे। उन्होंने कहा कि आज हम सभी एक ऐतिहासिक सफर के साक्षी बन रहे हैं। देश पहली बार अपने 4 गगनयान यात्रियों से परिचित हुआ है। ये सिर्फ 4 नाम और 4 इंसान नहीं हैं, ये 140 करोड़ अभिलाषा को स्पेस में ले जाने वाली 4 शक्तियां हैं। पीएम ने कहा कि 40 वर्ष के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने वाला है। लेकिन इस बार टाइम भी हमारा है, काउंटडाउन भी हमारा है और रॉकेट भी हमारा है।

अंतरिक्ष यात्री भारत का गौरव
पीएम मोदी ने कहा कि हर देश की विकास यात्रा में कुछ क्षण ऐसे होते हैं जो न केवल वर्तमान को परिभाषित करते हैं, बल्कि उसकी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को भी परिभाषित करते हैं। आज भारत के लिए ऐसा ही एक क्षण है। मुझे खुशी है कि आज मुझे इन अंतरिक्ष यात्रियों से मिलने और उन्हें देश के सामने पेश करने का मौका मिला। मैं पूरे देश की ओर से उन्हें बधाई देना चाहता हूं। आप आज के भारत का गौरव हैं।

गगनयान मिशन में ज्यादातर उपकरण मेड इन इंडिया
पीएम मोदी ने कहा कि गगनयान मिशन में ज्यादातर उपकरण मेड इन इंडिया हैं। यह अद्भुत और कितना बड़ा संयोग है कि जब भारत दुनिया की टॉप 3 इकोनॉमी बनने के लिए उड़ान भर रहा है, उसी समय भारत का गगनयान भी हमारे स्पेस सेक्टर को एक नई बुलंदी पर के जाने वाला है। 

पीएम मोदी ने महिला वैज्ञानिकों के योगदान को भी सराहा। उन्होंने कहा कि चंद्रयान 3 मिशन हो या अन्य मिशन, स्पेस सेक्टर में महिला शक्ति को बहुत महत्व दिया जा रहा है। चंद्रयान हो या गगनयान, महिला वैज्ञानिकों के बिना ऐसे किसी भी मिशन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

21वीं सदी का भारत दुनिया को चौंका रहा
प्रधानमंत्री मोदी ने स्पेस सेक्टर की बुलंदी को लेकर कहा कि 21वीं सदी का भारत दुनिया को अपने सामर्थ्य से चौंका रहा है। पिछले 10 वर्षों में हमने लगभग 400 सेटेलाइट लॉन्च किए हैं, जबकि इससे पहले के 10 वर्षों में मात्र 33 सेटेलाइट लॉन्च किए गए थे। पीएम मोदी ने ऐलान किया कि 2035 तक भारत के पास अंतरिक्ष में अपना अंतरिक्ष स्टेशन होगा। जो हमें अंतरिक्ष के अज्ञात विस्तार का अध्ययन करने में मदद करेगा। अमृत काम की इस अवधि में भारतीय अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में उतरेंगे।

पीएम मोदी पहले प्रधानमंत्री, जो वीएसएसी पहुंचे
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अध्यक्ष एस सोमनाथ के साथ केरल के तिरुवनंतपुरम में विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) का दौरा किया। पीएम मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जो इस सेंटर पर पहुंचे हैं। पीएम मोदी के साथ राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन, राज्य मंत्री मुरलीधरन भी साथ हैं। पीएम मोदी ने गगनयान मिशन की तैयारियों का जायजा लिया। पीएम मोदी ने 2018 में गगनयान मिशन का ऐलान किया था। 

पीएम मोदी ने 1800 करोड़ की तीन परियोजनाओं का किया उद्घाटन
प्रधानमंत्री मोदी ने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) का दौरा करने के अलावा अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए विश्व स्तरीय तकनीकी सुविधाएं प्रदान करने के लिए लगभग 1,800 करोड़ रुपये की तीन अंतरिक्ष बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया।

परियोजनाओं में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा में पीएसएलवी एकीकरण सुविधा (पीआईएफ), महेंद्रगिरि में इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में नई 'सेमी-क्रायोजेनिक्स इंटीग्रेटेड इंजन और स्टेज टेस्ट सुविधा' और वीएसएससी में 'ट्राइसोनिक विंड टनल' शामिल हैं।

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क्या है गगनयान मिशन? 
गगनयान मिशन भारत का अतिमहत्वाकांक्षी मिशन है। इसे 2025 में लॉन्च किया जाएगा। इसका उद्देश्य इसरो की इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने और भारतीय क्षेत्रीय जल में उतरकर उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता का प्रदर्शन करना है। अंतरिक्ष यात्रियासें को 400 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में भेजना है और फिर उन्हें सुरक्षित रूप से वापस लाना है। 

इसरो का कहना है कि यह मिशन सिर्फ एक तकनीकी छलांग नहीं है, बल्कि अंतरिक्ष खोजों में भारत की बढ़ती शक्ति का एक प्रमाण भी है।

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