President Murmu on Women Safety: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि समाज पीड़ित महिलाओं का साथ नहीं देता, जिससे उनकी स्थिति और भी दयनीय हो जाती है। हाल ही में कोलकाता के एक अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर की बलात्कार और हत्या की घटना और मलयालम फिल्म इंडस्ट्री के चर्चित कलाकारों पर यौन उत्पीड़न के दर्जनों मामलों ने देशभर में आक्रोश पैदा कर दिया है। राष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारे सामाजिक जीवन का दुखद पहलू है।
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अपराधियों की बेखौफी पर उठाए सवाल
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि यह बेहद दुखद है कि अपराधी अपराध करने के बाद भी बेखौफ घूमते रहते हैं। वहीं, जो लोग उनके अपराधों के शिकार होते हैं, वे खुद को अपराधी जैसा महसूस करते हैं और डर में जीते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं की स्थिति तो और भी खराब है, क्योंकि समाज भी उन्हें अकेला छोड़ देता है। यह बात उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 75 साल पूरे होने पर आयोजित नेशनल ज्यूडिशियरी कांफ्रेंस के क्लोजिंग सेशन में कही।
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President Droupadi Murmu graced the valedictory session of the two-day National Conference of District Judiciary, organised by the Supreme Court of India, in New Delhi. The President said that there are many challenges before our judiciary which will require coordinated efforts… pic.twitter.com/xeD5jUIcNc
— President of India (@rashtrapatibhvn) September 1, 2024
ज्यूडिशियरी के सामने हैं कई चुनौतियां
राष्ट्रपति ने कहा कि न्यायिक प्रणाली को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, और सभी हितधारकों को मिलकर इन चुनौतियों को पार करना होगा। उन्होंने जोर दिया कि समय पर न्यायिक प्रशासन, बेहतर बुनियादी ढांचे, सुविधाओं, प्रशिक्षण और मानव संसाधन की उपलब्धता में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी इन सभी क्षेत्रों में बहुत कुछ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि सभी सुधार के आयामों में तेजी से प्रगति होनी चाहिए।
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महिलाओं की भागीदारी में सुधार
राष्ट्रपति मुर्मू ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि हाल के वर्षों में चयन समितियों में महिलाओं की संख्या में वृद्धि हुई है। इस बढ़ोतरी के कारण चयन समितियों में महिलाओं की संख्या में 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है, जिससे महिलाओं की न्यायिक प्रणाली में भागीदारी बढ़ी है। इस कदम से ज्यूडिशियरी में महिलाओं की आवाज को और मजबूत किया जा सकता है।
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मामलों की निपटारे में देरी पर जताई चिंता
राष्ट्रपति और केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अदालतों में मामलों की लंबी देरी पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि "तारीख पर तारीख" की संस्कृति को तोड़ने के लिए समाधान निकालना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी मामलों की पेंडेंसी को कम करने के लिए केस मैनेजमेंट के माध्यम से एक कार्य योजना तैयार करने की बात कही। इस दो दिवसीय सम्मेलन में 800 से अधिक न्यायिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
सुप्रीम कोर्ट का दो दिवसीय सम्मेलन
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त और 1 सितंबर को जिला न्यायपालिका के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट के जज, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के महासचिव और उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल सहित 800 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। राष्ट्रपति मुर्मू और केंद्रीय विधि मंत्री मेघवाल ने न्यायिक प्रणाली को सुधारने और लंबित मामलों को कम करने पर जोर दिया।
सुप्रीम कोर्ट के नए झंडे का अनावरण किया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट की 75वीं वर्षगांठ पर नए झंडे और प्रतीक चिन्ह का अनावरण किया। इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी मौजूद थे। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की न्यायिक प्रणाली का सतर्क प्रहरी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का 75 वर्षों के योगदान को अमूल्य है। इंडियन ज्यूडिशियल सिस्टम ने सुप्रीम कोर्ट के कारण बहुत सम्मानजनक स्थान हासिल किया है।
सुप्रीम कोर्ट के कार्यक्रमों की तारीफ की
राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट के 75वें स्थापना वर्ष पर आयोजित कार्यक्रमों की तारीफ की। राष्ट्रपति ने कहा कि इन कार्यक्रमों ने लोगों के न्यायिक प्रणाली में विश्वास और जुड़ाव को बढ़ाया है। उन्होंने जजों से आग्रह किया कि वे धर्म, सत्य और न्याय का सम्मान करें, क्योंकि देश के प्रत्येक नागरिक की नजर में जज भगवान की तरह होते हैं। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के कई जज मौजूद थे।
'जिला स्तर पर कोर्ट की भूमिक बेहद अहम'
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि जिला स्तर पर कोर्ट की भूमिका बेहद अहम होती है। करोड़ों नागरिकों के मन में ज्यूडिशियरी की छवि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से तय होती है। इसलिए जिला न्यायालयों के माध्यम से संवेदनशीलता, शीघ्रता और कम लागत में न्याय देना हमारी ज्यूडिशियल सिस्टम की सफलता का आधार है। उन्होंने ज्यूडिशियल सिस्टम के सुधारों की भी सराहना की, लेकिन साथ ही कहा कि अभी भी कई क्षेत्रों में सुधार की जरूरत है।