PTI Report on Rape Cases: देशभर में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। अगस्त 9 को कोलकाता में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के रेप और मर्डर के बाद विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। इस बीच, मीडिया एजेंसी PTI द्वारा जारी देश भर में बीते दो महीनों में दर्ज हुए रेप के मामलों को लेकर रिपोर्ट जारी की गई है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, जुलाई 1 से अगस्त 31 तक देशभर में 149 रेप के मामले दर्ज किए गए हैं।
नाबालिग लड़कियों के साथ सबसे अधिक रेप
PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 2 महीनों में देशभर में 149 रेप के मामले सामने आए हैं। इनमें से 93 मामले 13 से 18 साल की लड़कियों के साथ हुए हैं। इस रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि यौन हिंसा का शिकार होने वाली सबसे कम उम्र की बच्ची सिर्फ 18 महीने की थी। यह चिंता की बात है कि ज्यादातर मामलों में पीड़ित नाबालिग लड़कियां हैं, जिनकी सुरक्षा को लेकर अब और गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता है।
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ज्यादातर मामलों में आरोपी रिश्तेदार
रिपोर्ट से यह चौंकाने वाली बात भी सामने आई है कि 62% मामलों में आरोपी पीड़िता के जानने वाले या रिश्तेदार थे। यह दिखाता है कि घर और परिवार के अंदर भी लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर खतरे हैं। यह पैटर्न राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा उपायों की कमी और सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता को उजागर करता है। महाराष्ट्र के ठाणे, उत्तर प्रदेश के बलिया और दिल्ली से सबसे अधिक रेप के मामले सामने आए हैं।
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पश्चिम बंगाल में पास हुआ एंटी-रेप बिल
महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, पश्चिम बंगाल विधानसभा ने 3 सितंबर को एंटी-रेप बिल पास किया है। इस नए कानून के तहत, रेप मामलों की जांच 21 दिनों के भीतर पूरी की जानी होगी। इसके अलावा, यदि पीड़िता कोमा में जाती है या उसकी मौत हो जाती है, तो दोषी को 10 दिनों के भीतर फांसी की सजा दी जाएगी। यह कानून न्यायिक प्रक्रिया को तेज और सख्त बनाने का प्रयास करता है।
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अपराजिता महिला और बाल बिल 2024
इस कानून को 'अपराजिता महिला और बाल बिल 2024' नाम दिया गया है। अब यह बिल राज्यपाल को भेजा जाएगा, और वहां से राष्ट्रपति के पास जाएगा। दोनों जगह से स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जाएगा। इस बिल को महिला सुरक्षा को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। भाजपा ने भी इस बिल का समर्थन किया है, जिससे इसे राजनीतिक दलों की व्यापक समर्थन मिला है।
महिला सुरक्षा के लिए और कड़े कानून की मांग
देशभर में हो रही रेप की घटनाओं और उनके पीछे रिश्तेदारों के शामिल होने के मामलों के बाद महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए और भी सख्त कानून की मांग जोर पकड़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि PTI की रिपोर्ट और हाल के आंकड़े इस ओर इशारा करते हैं कि केवल कानून बनाना काफी नहीं है, बल्कि उनके सख्त कार्यान्वयन और समाज में जागरूकता बढ़ाने की भी जरूरत है।