Pune Porsche Accident News Update: महाराष्ट्र के पुणे में 19 मई को हुए पोर्श स्पोर्ट्स कार हादसे में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। पुलिस ने अब इस मामले में फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के हेड यानी HOD समेत 2 डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है। इन पर नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल को कूड़ेदान में फेंकने का आरोप है। ब्लड सैंपल में हेराफेरी करने से ही आरोपी में शराब की पुष्टि नहीं हुई थी। जबकि वह हादसे के वक्त शराब के नशे में था।
#WATCH | Pune car accident case | Pune Police Commissioner Amitesh Kumar says "Sections 120 (B), 467 Forgery and 201, 213, 214 Destruction of evidence have been added in this matter. We received the forensic report yesterday and it has been revealed that the sample collected at… pic.twitter.com/UdurvDuVyu
— ANI (@ANI) May 27, 2024
19 मई की सुबह 11 बजे नाबालिग को मेडिकल टेस्ट के लिए ससून अस्पताल ले जाया गया था। इस दौरान उसके ब्लड सैंपल को ऐसे ब्लड सैंपल के साथ बदल दिया गया, जिसने शराब का सेवन नहीं किया था। इससे शराब की पुष्टि नहीं हुई। पुलिस अधिकारियों को शक हुआ तो दोबारा ब्लड सैंपल लिया गया। इसमें शराब की पुष्टि हुई थी। इससे साबित हो गया कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों ने नाबालिग को बचाने के लिए ब्लड सैंपल में हेराफेरी कर दी थी।
Pune car accident case | Two Doctors of Sassoon General Hospital in Pune have been arrested on the charge of manipulation of blood sample: Pune Police Commissioner Amitesh Kumar
— ANI (@ANI) May 27, 2024
पिता और दादा पहले से गिरफ्तार
इस मामले में पुलिस ने आरोपी के पिता विशाल अग्रवाल और दादा सुरेंद्र अग्रवाल को गिरफ्तार किया है। दादा सुरेंद्र अग्रवाल ने ही नाबालिग पोते को पोर्श कार जन्मदिन पर गिफ्ट की थी। सुरेंद्र को पुलिस नाबालिग को बचाने और ड्राइवर को फंसाने के आरोप में शनिवार, 25 मई को पकड़ा गया था। कोर्ट ने उसे 3 दिन की कस्टडी में भेजा है। पिता विशाल अग्रवाल को पुलिस ने 21 मई को गिरफ्तार किया था।
क्या है पूरा मामला?
पुणे के कल्याणी नगर में 19 मई को रिएल इस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों अश्विनी कोष्टा और अनीश अवधिया को कुचल दिया था। दोनों की मौके पर मौत हो गई थी। दोनों मध्य प्रदेश के रहने वाले थे। इस घटना के 15 घंटे के भीतर किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपी नाबालिग को जमानत दे दिया था। शर्त लगाई थी कि दुर्घटना पर 300 शब्दों में निबंध लिखना होगा। 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के साथ काम करना होगा।
बोर्ड द्वारा जमानत दिए जाने से लोगों में गुस्सा फैल गया। पुलिस ने आरोपी पर बालिग की तरह मुकदमा चलाए जाने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की। इस बीच किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपी की जमानत याचिका में संशोधन किया और उसे बाल सुधार गृह भेज दिया।