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Monsoon 2025: मौसम वैज्ञानिकों ने 2025 में 105% यानी 87 सेंटीमीटर बारिश का अनुमान जताया है। लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) 868.6 मिलीमीटर यानी 86.86 सेंटीमीटर होगी। इससे खेती किसानी अच्छी होगी।

Monsoon 2025: भारत में इस साल अच्छी बारिश (Rain) के आसार हैं। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मंगलवार (15 अप्रैल) को बताया, जून 2025 से सितंबर 2025 तक मानसून (Monsoon) बेहतर रहेगा। इस दौरान 104 से 110 फीसदी बारिश होने की उम्मीद है। अच्छी बारिश से किसानों को जबरदस्त फायदा होगा। उनकी फसलें बेहतर होने की उम्मीद है।  

मौसम वैज्ञानिकों ने 2025 में 105% यानी 87 सेंटीमीटर बारिश होने का अनुमान जताया है। 4 माह के मानसून सीजन में यह लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) 868.6 मिलीमीटर यानी 86.86 सेंटीमीटर होता है। यानी पूरे मानसून सीजन में 86.86 सेंटीमीटर बारिश होनी चाहिए।

पूर्वोत्तर और तमिलनाडु को छोड़कर 
मौसम विभाग के मुताबिक, जून से सितंबर तक अखिल भारतीय औसत वर्षा के सामान्य से अधिक (33%) और सामान्य (30%) होने की उच्च संभावना है। पूर्वोत्तर, पूर्वी भारत और तमिलनाडु को छोड़कर भारत के अधिकांश भागों में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। कुछ राज्यों में सामान्य से कम वर्षा होगी। 

ला नीना का प्रभाव कम होगा 
मौसम वैज्ञानिकों ने बताया, जैसे-जैसे हम मानसून सीजन के करीब पहुंचेंगे, ला नीना संकेत का प्रभाव कम होने की संभावना है। इससे हम सामान्य से अधिक बारिश की उम्मीद कर सकते हैं।  

केरल के रास्ते मानसून का आगाज
मानसून 1 जून के आसपास केरल के रास्ते आता है और 4 महीने यानी सितंबर तक बारिश होती है। कुछ राज्यों में मानूसन 15 से 25 जून के आसपास होती है। जबकि, मानसून की वापसी राजस्थान के रास्ते होती है।  

2023 और 2021 सटीक रहे अनुमान 
2019 से 2023 तक पिछले 5 साल में स्काईमेट का अनुमान सिर्फ एक बार सही साबित हुआ। 2023 में स्काईमेट ने 94 फीसदी बारिश का अनुमान लगाया था और 94 फीसदी ही बारिश हुई। इस वर्ष IMD का अनुमान 2% अधिक यानी 96 फीसदी था। 2021 में IMD ने 98% का अनुमान लगाया और बारिश 99% हुई। लेकिन 2019, 2020 और 2022 में स्काईमेट और IMD दोनों के पूर्वानुमान फेल हुए। 

वर्ष IMD का पूर्वानुमान स्कॉईमेट का पूर्वानुमान रिकॉर्ड की गई बारिश 
2023 96% 94% 94%
2022 100% 98% 106%
2021 98% 94% 99%
2020 109% 110% 100%
2019 110% 93% 100%

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अल नीनो क्या है?
अल नीनो एक जलवायु पैटर्न है। जिसमें समुद्र का तापमान 3 से 4 डिग्री बढ़ जाता है। 10 साल में दो बार इसका प्रभाव देखने को मिलता है। अल नीनो से ज्यादा बारिश वाले क्षेत्र में कम और कम बारिश वाले क्षेत्र में अधिक बारिश होती है। भारत में अल नीनो के चलते मानसून अक्सर कमजोर होता है। कई बार सूखे की स्थिति बन जाती है। 

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