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Rohan Gupta Joins BJP: बीजेपी में शामिल होने के बाद पूर्व कांग्रेस नेता रोहन गुप्ता ने कहा कि 60 साल तक इस देश के लोगों ने कांग्रेस को राष्ट्रवाद, सनातन के प्रति सम्मान और औद्योगीकरण के कारण आशीर्वाद दिया। अब पिछले 2 साल से पार्टी अहंकारी लोगों को दे दी गई है। पार्टी मेरे जैसे लोगों का स्वाभिमान बरकरार नहीं रख सकती जिन्होंने 15 साल तक पार्टी की सेवा की है। इसलिए टूटे दिल और साफ शर्ट के साथ, मैं आज भाजपा में शामिल हुआ हूं।

Rohan Gupta Joins BJP: रोहन गुप्ता...एक ऐसा नाम और चेहरा है, जो कभी ज्वलंत मुद्दों पर टीवी डिबेट के दौरान कांग्रेस के बचावकर्ता हुआ करते थे। वे सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधते थे और कड़े सवाल उठाते थे। लेकिन अब समय बदल गया है। वे अब मोदी सरकार की स्थिति स्पष्ट करेंगे और कांग्रेस और उसके नेतृत्व की आलोचना करते नजर आएंगे। वजह रोहन गुप्ता ने गुरुवार, 11 अप्रैल को दिल्ली भाजपा मुख्यालय में भगवा झंडा थाम लिया। 

रोहन ने जयराम रमेश पर किया कटाक्ष
भाजपा महासचिव विनोद तावड़े ने रोहन गुप्ता को पार्टी जॉइन कराई। जॉइनिंग के बाद गुप्ता ने कांग्रेस महासचिव संचार प्रभारी जयराम रमेश पर कटाक्ष करते हुए कहा कि एक संचार प्रभारी हैं जिनके नाम में 'राम' है, उन्होंने हमें चुप रहने के लिए कहा था जब सनातन (धर्म) का अपमान किया जा रहा था। देश के नाम का इस्तेमाल कर एक गठबंधन बनाया गया था, लेकिन इसमें 'देश विरोधी ताकतें' शामिल हैं। रोहन गुप्ता ने सवाल उठाते हुए पूछा कि ऐसी क्या मजबूरी थी कि जिस अरविंद केजरीवाल पर खालिस्तानियों से जुड़े होने का आरोप है, आज वे उनका समर्थन कर रहे हैं?

22 मार्च हो रोहन गुप्ता ने दिया था इस्तीफा
रोहन गुप्ता ने 22 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। दावा किया था कि पार्टी के संचार विभाग के एक वरिष्ठ नेता द्वारा चरित्र हनन और अपमान किया गया। इस कारण वे पार्टी छोड़ रहे हैं। उन्होंने चिट्ठी भी लिखी थी। जिसमें कहा था कि उसी नेता ने अपने अहंकारी और अशिष्ट व्यवहार से पार्टी को भी नुकसान पहुंचाया है। अपनी चरम वामपंथी मानसिकता के कारण उन्होंने सनातन धर्म के अपमान पर पार्टी की चुप्पी रखी, जिससे मुझे व्यक्तिगत रूप से दुख हुआ। यहां पढ़िए पूरी खबर

रोहन से पहले गौरव ने छोड़ा कांग्रेस का हाथ
रोहन गुप्ता पहले प्रवक्ता नहीं, जो भाजपा में शामिल हुए हैं। 4 अप्रैल को गौरव वल्लभ ने भाजपा का दामन थाम लिया था। गौरव ने भाजपा प्रवक्ता संबित प्रवक्ता 'ट्रिलियन में कितने जीरो होते हैं' से पूछा तो उनका वीडियो वायरल हो गया था। उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखी चिट्ठी में कहा था कि मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता हूं। इसलिए, मैं पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं।

कभी ये चेहरे होते थे कांग्रेस की मजबूत आवाज
गौरव वल्लभ से पहले राजनीतिक गलियारे में गूंजने वाली प्रमुख कांग्रेस आवाजों में जयवीर शेरगिल, शहजाद पूनावाला और रीता बहुगुणा जोशी शामिल हैं। कांग्रेस के साथ एक दशक बिताने और मीडिया पैनलिस्ट के रूप में अपनी स्थिति स्पष्ट करने के बाद जय शेरगिल 2022 में भाजपा में शामिल हो गए थे।

एक अन्य प्रमुख चेहरे शहजाद पूनावाला ने 2017 में तब सुर्खियां बटोरीं, जब उन्होंने कांग्रेस के संगठनात्मक चुनावों को दिखावा कहा। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें प्रवक्ता नियुक्त किया गया। 2021 में उन्हें राष्ट्रीय राजधानी के लिए भाजपा की सोशल मीडिया विंग का प्रभारी भी बनाया गया था।

 Congress Spokesperson
प्रियंका चतुर्वेदी, रीता बहुगुणा जोशी और जयवीर शेरगिल।

रीता बहुगुणा ने राहुल के नेतृत्व पर उठाया था सवाल
रीता बहुगुणा जोशी ने अपने कांग्रेस कार्यकाल में एक प्रवक्ता, राज्य मंत्री और यूपी कांग्रेस प्रमुख के रूप में भी काम किया। लेकिन 2016 में कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं। इसके तुरंत बाद कांग्रेस ने 2017 के उत्तर प्रदेश चुनावों के लिए शीला दीक्षित को अपने मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश किया। इसी क्रम में एक और बड़ा बड़ा नाम प्रियंका चतुवेर्दी का था, जो 2019 में उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना में शामिल हो गईं। 

कांग्रेस छोड़ने वाले अधिकांश प्रवक्ताओं ने नेतृत्व पर सवाल उठाया और अपनी विदाई के लिए वंशवाद को जिम्मेदार ठहराया। जयवीर शेरगिल ने कहा था कि उन्होंने एक साल तक गांधी परिवार से मिलने की कोशिश की। उन्हें ऐसे लोगों के सामने झुकने के लिए मजबूर किया गया, जो शीर्ष नेतृत्व के करीबी थे। पूनावाला ने कहा कि उन्हें वंशवाद के खिलाफ बोलने के लिए मजबूर किया गया। इससे पहले उन्होंने राहुल गांधी को कांग्रेस के लिए उनके दृष्टिकोण पर एक टीवी बहस की चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि हमारा मूल्यांकन योग्यता के आधार पर किया जा सकता है, उपनाम के आधार पर नहीं।

रीता बहुगुणा जोशी ने कहा था कि सोनिया गांधी ने वरिष्ठ नेताओं को सुना और उन्हें खुली छूट दी, लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में ऐसा नहीं हुआ। प्रियंका चतुवेर्दी ने तब पद छोड़ दिया जब पार्टी ने उन कुछ नेताओं को बहाल कर दिया, जिन पर उन्होंने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा था कि उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें दूसरे स्तर पर जाने का मौका देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

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