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Supreme Court Bans Patanjali ads: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलिआयुर्वेद के झूठे और भ्रामक विज्ञापनों को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि क्या सरकार इस मामले पर आंखें मूंद कर बैठी है। साथ ही बीमारी और मेडिकल कंडिशन को लेकर दिखाए जाने वाले पतंजलि के सभी विज्ञापनों पर रोक लगा दी।

Supreme Court Bans Patanjali ads: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को योग गुरु बाबा रामदेव को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने बाबा रामदेव की स्वामित्व वाली पतंजलि आयुर्वेद के भ्रामक और झूठे विज्ञापनों को लेकर केंद्र से कहा कि क्या सरकार आंखें मूंद कर बैठी है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। इसके साथ ही कोर्ट ने कंपनी के ऐसे किसी भी उत्पाद के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगा दिया, जो बीमारी या दूसरे मेडिकल कंडिशन से जुड़े हों।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया अवमानना का नोटिस
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा था कि आचार्य की अगुवाई वाली पतंजलि आयुर्वेद भ्रामक विज्ञापनों का प्रचार-प्रसार कर रही है। कोर्ट ने पंतजलि आयुर्वेद और आचार्य बालकृष्ण को विभिन्न मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भ्रामक विज्ञापनों को प्रचारित-प्रसारित करवाने के लिए कोर्ट की अवमानना का नोटिस भी जारी किया। कंपनी को इस नोटिस का जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का समय दिया गया है।

कोर्ट पहले भी जारी कर चुका है इससे जुड़ा ऑर्डर
बता दें पतंजलि आयुर्वेद का  का स्वामित्व बाबा रामदेव के निकट सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के पास है। कंपनी के ज्यादातर विज्ञापनों में बाबा रामदेव नजर आते हैं। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस ए अमानुल्ला की सदस्यता वाली बेंच ने कहा कि कोर्ट की ओर से पहले भी इस संबंध में आदेश जारी किया गया था। कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए पतंजलि आयुर्वेद ने अपने विज्ञापनों को रिलीज करना जारी रखा। 

बीते साल भी कोर्ट ने पतंजलि को लगाई थी फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने बीते साल नवम्बर में भी पतंजलि आयुर्वेद को इस मुद्दे पर फटकार लगाई थी। तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ( CJI ) एनवी रमना की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि गुरु स्वामी रामदेव बाबा को क्या हो गया है? हम उनका सम्मान करते हैं क्योंकि उन्होंने योग को लोकप्रिय बनाया। हम सभी को योग करना चाहिए। लेकिन, उन्हें दूसरे सिस्टम की आलोचना नहीं करनी चाहिए। वह ऐसे विज्ञापन बना रहे हैं जिसमें डॉक्टर्स को ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे वे हत्यारे हैं। इसके साथ कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील को भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए समाधान ढूंढने का निर्देश दिया था।

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