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Patanjali Ads Case: इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर अवमानना ​​का मामला 17 अगस्त 2022 को शुरू हुआ। यह केस पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों के दावों के खिलाफ था।

Patanjali Ads Case: सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद, योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ चल रहे अवमानना ​​मामले को बंद कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि अगर भविष्य में कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन हुआ, तो कड़ी सजा दी जाएगी।

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने मंगलवार (13 अगस्त) को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने साफ किया है कि अगर पतंजलि के किसी भी बयान या विज्ञापन से फिर से अवमानना होती है, तो सख्त कदम उठाए जाएंगे।

IMA की याचिका पर शुरू हुआ था अवमानना केस
पतंजलि के खिलाफ यह केस इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर आधारित था, जिसमें पतंजलि पर आरोप लगाया गया था कि उसने एलोपैथी के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन प्रसारित किए थे। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले ही पतंजलि को कड़ी फटकार लगाई थी और माफी मांगने का आदेश दिया था।

जानिए पतंजलि अवमानना मामले की बड़ी बातें

  • अगस्त 2022: IMA की याचिका पर यह मामला शुरू हुआ था, जिसमें पतंजलि के विज्ञापनों में एलोपैथी के खिलाफ गलत दावे किए थे।
  • नवंबर 2023: सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों के बाद, पतंजलि ने आश्वासन दिया कि वह भ्रामक विज्ञापनों से दूर रहेगा।
  • फरवरी 2024: जब भ्रामक विज्ञापन जारी रहे, तो कोर्ट ने पतंजलि और उसके एमडी को अवमानना ​​नोटिस जारी किया।
  • मार्च 2024: सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का आदेश दिया।
  • अप्रैल 2024: बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने कोर्ट में पेश होकर बिना शर्त माफी मांगी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि भविष्य में पतंजलि को किसी भी तरह के भ्रामक विज्ञापनों या एलोपैथी पर टिप्पणी करने बचना चाहिए और अगर फिर से ऐसा कुछ हुआ तो कोर्ट कड़ी कार्रवाई करेगा।

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