Supreme Court On Jim Corbett National Park: जंगल बाघ की रक्षा करता है और बाघ जंगल की रक्षा करता है। यह बातें बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई, पीके मिश्रा और संदीप मेहता की पीठ ने उत्तराखंड के जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कही। सुप्रीम कोर्ट ने जिम कॉर्बेट में पेड़ों की कटाई और अवैध निर्माण के लिए उत्तराखंड सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कहा कि जनता के भरोसे को कूड़ेदान में फेंक दिया गया है।
पूर्व राज्य मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व प्रभागीय वन अधिकारी किशन चंद की खिंचाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक समिति बनाने को कहा। यह समिति नुकसान को कम करने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की सिफारिश करेगी। साथ ही जिम्मेदार लोगों से लागत वसूल भी करेगी।
वकील गौरव बंसल ने दी थी चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों वाली पीठ पर्यावरण कार्यकर्ता और वकील गौरव बंसल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बंसल ने राष्ट्रीय उद्यान के अंदर पखरू रेंज में टाइगर सफारी और पिंजरे में बंद जानवरों वाले चिड़ियाघर के उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव को चुनौती दी थी। 2019 में कालागढ़ टाइगर रिजर्व के पखरू टाइगर रेंज सफारी के लिए 106 हेक्टेअर क्षेत्र में 163 पेड़ काटने की परमीशन दी गई थी। लेकिन 6093 पेड़ काट डाले गए। इसके बाद यह मामला सुर्खियों में आया था।
Supreme Court remarks that the nexus between politicians and forest officials has resulted in causing heavy damage to the environment for some political and commercial gain. SC asks CBI, which is probing the matter, to submit a status report in three months.
— ANI (@ANI) March 6, 2024
अब सिर्फ बफर जोन में टाइगर सफारी
सुप्रीम कोर्ट ने जिम कार्बेट नेशनल पार्क में मुख्य क्षेत्रों में टाइगर सफारी पर बैन लगाया दिया है। आदेश दिया है कि अब जिम कार्बेट नेशनल पार्क के बफर जोन में टाइगर सफारी की छूट मिलेगी। पीठ ने कहा कि पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन वनाधिकारी किशन चंद ने कानून की घोर अवहेलना की है। यह चौंकाने वाला है कि राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 6,000 पेड़ काटे गए, जहां हर साल हजारों लोग आते थे।
अदालत ने कहा किबाघों के अवैध शिकार में काफी कमी दिखती है, लेकिन जमीनी हकीकत से इनकार नहीं किया जा सकता। अदालत ने देश में टाइगर पार्क के कुशल प्रबंधन के लिए सुझाव देने के लिए तीन सदस्यीय समिति नियुक्त करने का आदेश दिया। इसने पैनल को तीन महीने के भीतर एक रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
सीबीआई को तीन महीने में देनी होगी रिपोर्ट
अदालत ने कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) पहले से ही इस मामले की जांच कर रही है। सीबीआई जांच से केवल यह पता चलेगा कि इसके लिए कौन जिम्मेदार है। हमारा मानना है कि राज्य सरकार जंगल की स्थिति को बहाल करने की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती है। अदालत ने सीबीआई से तीन महीने के भीतर स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। साथ ही पार्क को नुकसान पहुंचाने वालों से वसूली करने का भी निर्देश दिया है।