SC Hearing Waqf Law: नए वक्फ कानून' के विरोध में हिंसा हो रही है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के कहने पर देशभर में मुसलमान 11 अप्रैल से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। धार्मिक संस्थानों, सांसदों और राजनीतिक दलों ने कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की हैं। SC की बेंच ने 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। दायर याचिकाओं पर बुधवार (16 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। आइए जानते हैं दोनों पक्षों की क्या हैं दलीलें।
जानिए पूरा मामला
लोकसभा और राज्यसभा में लंबी बहस के बाद 4 अप्रैल को संसद से वक्फ संशोधन विधेयक पारित (Waqf Act) हुआ। 5 अप्रैल को वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। सरकार ने 8 अप्रैल से अधिनियम के लागू होने की अधिसूचना जारी की। तब से वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। बंगाल के मुर्शिदाबाद सहित कई जिलों में हिंसा हुई।
इन्होंने पक्ष और विपक्ष में दर्ज की याचिका
कांग्रेस, JDU, आम आदमी पार्टी, DMK और सीपीआई के नेताओं, धार्मिक संगठन, जमीयत उलेमा हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ कानून को चुनौती दी है। वक्फ कानून के खिलाफ 70 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की। बीजेपी शासित मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, असम, महाराष्ट्र और उत्तराखंड सहित 7 राज्यों ने वक्फ कानून के समर्थन में याचिकाएं दायर की हैं। इन राज्यों ने याचिका देकर तर्क दिया है कि वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता बरकरार रखी जानी चाहिए।
इनकी याचिकाओं पर होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली के AAP विधायक अमानतुल्ला खान, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज कुमार झा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज यानी बुधवार को सुनवाई करेगा। देश के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच दोपहर 2 बजे नए वक्फ कानून पर सुनवाई करेगी।
कानून को रद्द करने की मांग
सुप्रीम कोर्ट में दायर कुछ याचिकाओं में वक्फ कानून को असंवैधानिक बताया है। कानून को रद्द करने की मांग की है। कुछ याचिकाओं में इसके क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग करते हुए कानूर को मनमाना और मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण भी बताया है। आप विधायक अमानतुल्ला खान ने तर्क दिया है कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा-संशोधन अधिनियम मुसलमानों के खिलाफ शत्रुतापूर्ण भेदभाव है। संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है।
जानिए सरकार ने क्या कहा
सरकार का कहना है कि वक्फ विधेयक संपत्ति और उसके प्रबंधन के बारे में है, न कि धर्म के बारे में। सरकार ने कहा कि वक्फ कानून को लोगों के एक बड़े वर्ग की सलाह-मशविरा के बाद ही तैयार किया है। इसको गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भी समर्थन मिला है। सरकार ने कहा कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हैं और उसकी इनकम से गरीब मुसलमानों या महिलाओं और बच्चों को कोई मदद नहीं मिलती है, संशोधित कानून इसे ठीक कर देगा।