Supreme Court Historic decision: एक ऐतिहासिक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्त्रीधन पर महिला का पूरा अधिकार है। यह किसी भी महिला की विशेष संपत्ति है। ऐसी संपत्ति पर महिला के पति या ससुराल वालों का हक नहीं बनता। यह मामला केरल की एक महिला से जुड़ा था। महिला ने आरोप लगाया कि उसके पति और सास ने उसकी शादी के समय स्त्रीधन के रूप में मिले सोने के गहनों का दुरुपयोग किया। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पति को निर्देश दिया कि महिला के खाेए हुए गहने के बदले 25 लाख रुपए का मुआवजा दे।
फैमिली कोर्ट ने महिला के पक्ष में सुनाया फैसला
महिला के स्त्रीधन से जुड़ा यह विवाद फैमिली कोर्ट तक पहुंच गया। फैमिली कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया। महिला के पति और ससुराल पक्ष को स्त्रीधन के गलत इस्तेमाल की बात को जायजा ठहराया। साथ ही पति और ससुराल पक्ष को महिला को मुआवजा देने का निर्देश दिया। हालांकि, केरल हाईकोर्ट ने फैसले को पलट दिया। जिसके बाद महिला ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक लाइव कोर्ट रूम सेशन में स्त्रीधन पर महिलाओं के अधिकार से जुड़े मामले पर सुनवाई की।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया क्या हाेता है स्त्रीधन?
बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि स्त्रीधन में एक महिला को शादी से पहले, शादी के दौरान या बाद में मिली सभी संपत्तियां शामिल हैं। इस स्त्रीधन में माता-पिता, ससुराल वालों, रिश्तेदारों और दोस्तों से मिले उपहार भी शामिल हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि स्त्रीधन साझा संपत्ति नहीं है। किसी भी महिला के स्त्रीधन को पति या उसके परिवार के सदस्यों ना तो कंट्रोल कर सकते हैं और ना ही उनके द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट को लगाई फटकार
काेर्ट ने कहा कि केरल हाईकोर्ट वैवाहिक संबंधों में आपसी विश्वास को पहचानने में विफल रहा। कोर्ट ने महिला के दावों का समर्थन करने वाले महत्वपूर्ण सबूतों को नजरअंदाज किया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पहले ही काफी देर हो चुकी है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत पति को महिला को 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला का पति या उसके ससुराल के लोग बुरी नियत से स्त्रीधन का उपयोग करते हैं या उसे कंट्रोल करने की कोशिश करते हैं तो उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 406 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है।
शादी की तस्वीरें में नजर आ रहे थे गहने
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कोई आपराधिक मामला नहीं थ। ऐसा नहीं था कि क्राइम सीन से सोना गायब हुआ है और उसका पता लगाया जाना है। महिला अपने मायके से गहने लेकर आई थी। इसे लेकर कोई विवाद ही नहीं है। उसने अपनी शादी में यह गहने पहने थे। शादी की तस्वीरों में महिला यह गहने पहने नजर आ रही है। महिला अपने साथ सोने के सिक्के लेकर आई थी जो साल 2009 में 8.90 लाख रुपए के थे। ऐसे में बिना बात के देरी करना और सिर्फ फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखना अन्याय होगा। समय बीत चुका है, जीवन यापन की लागत बढ़ी है, इन बातों को ध्यान में रखते हुए, भारत के संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मिली शक्ति का प्रयोग करते हुए कोर्ट याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपए देने का निर्देश देता है।