Supreme Court Verdict On Jammu Kashmir Article 370 Updates: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article 370) को रद्द करने की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। अनुच्छेद 370 हटाने का फैसला बरकरार रहेगा। सरकार के हर फैसले को चुनौती नहीं दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्शन कमीशन को राज्य में 30 सितंबर तक चुनाव कराने का निर्देश दिया है।
जानिए CJI ने क्या-क्या कहा?
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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला पढ़ना शुरू किया। उन्होंने कहा कि इस मामले में जजों ने तीन फैसले लिखे हैं। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की घोषणा अवैध थी या वैध, अब यह प्रासंगिक नहीं है।
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शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्य की ओर से संघ द्वारा लिया गया हर निर्णय चुनौती के अधीन नहीं है। इससे अराजकता और अनिश्चितता पैदा होगी और राज्य का प्रशासन ठप हो जाएगा।
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की यह दलील कि केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य में अपरिवर्तनीय परिणाम वाली कार्रवाई नहीं कर सकती, स्वीकार्य नहीं है।
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अदालत ने जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसले देने से इंकार कर दिया। क्योंकि इसे याचिकाकर्ताओं ने विशेष रूप से चुनौती नहीं दी थी।
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सीजेआई ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संविधान में संप्रभुता का उल्लेख नहीं है। हालांकि भारत के संविधान की प्रस्तावना में इसका जिक्र है। भारतीय संविधान आने पर अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर पर लागू हुआ। राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण अनुच्छेद 370 एक अंतरिम व्यवस्था थी।
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सीजेआई ने कहा कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, जैसा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है। अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त होने की अधिसूचना जारी करने की राष्ट्रपति की शक्ति जम्मू-कश्मीर संविधान सभा के भंग होने के बाद भी बनी रहती है।
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अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के संघ के साथ संवैधानिक एकीकरण के लिए था और यह विघटन के लिए नहीं था और राष्ट्रपति घोषणा कर सकते हैं कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो गया है।
Supreme Court upholds abrogation of Article 370 in Jammu & Kashmir constitutionally valid, asks Election Commission of India to conduct elections to the Legislative Assembly of Jammu and Kashmir by 30 September 2024 pic.twitter.com/ucpOwGTvm9
— ANI (@ANI) December 11, 2023
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सीजेआई ने कहा कि संविधान के सभी प्रावधानों को जम्मू-कश्मीर में 370(1)(डी) पर लागू किया जा सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अनुच्छेद 370(1)(डी) का उपयोग करके संविधान के सभी प्रावधानों को लागू करने के लिए राज्य सरकार की सहमति की आवश्यकता नहीं थी। इसलिए, भारत के राष्ट्रपति द्वारा केंद्र सरकार की सहमति लेना दुर्भावनापूर्ण नहीं था।
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सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अनुच्छेद 370(3) के तहत राष्ट्रपति द्वारा अगस्त 2019 का आदेश जारी करने की शक्ति का प्रयोग करने में कोई गड़बड़ी नहीं है। इस प्रकार, हम राष्ट्रपति की शक्ति के प्रयोग को वैध मानते हैं।
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सीजेआई ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू और कश्मीर की विधान सभा के चुनाव कराने के लिए भारत के चुनाव आयोग द्वारा कदम उठाए जाएंगे।
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सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया, भारत के चुनाव आयोग से 30 सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव कराने को कहा।
कोई नेता नजरबंद नहीं, बोले एलजी
- अनुच्छेद 370 को निरस्त करने पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले जम्मू-कश्मीर के नेताओं को नजरबंद करने की खबरों पर एलजी मनोज सिन्हा ने कहा कि यह पूरी तरह से निराधार है। किसी को न तो नजरबंद किया गया है और न ही गिरफ्तार किया गया है।
- एलजी के सामने सवाल उठाया गया था कि महबूबा मुफ्ती को राजनीतिक कारणों से अवैध तरीके से नजरबंद कर दिया गया है।
- जम्मू-कश्मीर अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता मुजफ्फर अहमद ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि फैसला देश के संविधान के अनुसार होगा।
- नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि फैसला जम्मू-कश्मीर के लोगों के पक्ष में होगा। हम शांति के पक्ष में हैं।
#WATCH | On reports of J&K leaders put under house arrest ahead of SC verdict on abrogation of Art 370, LG Manoj Sinha says, "This is totally baseless. No one has been put under house arrest or arrested due to political reasons in J&K. It is an attempt to spread rumours." pic.twitter.com/CHvRh28Pu1
— ANI (@ANI) December 11, 2023
- याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील मुजफ्फर इकबाल कहते हैं कि हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ न्याय करेगा। सुप्रीम कोर्ट हमारे पक्ष में फैसला करेगा।
- डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के नेता आरएस चिब कहते हैं कि यह एक ऐतिहासिक फैसला होने जा रहा है।
बेंच में शामिल ये जस्टिस
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ फैसला सुनाएगी। पीठ में चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं।
याचिकाकर्ताओं ने दिया ये तर्क
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया है कि अनुच्छेद 370 को केंद्र द्वारा एकतरफा खत्म नहीं किया जा सकता है, क्योंकि 1957 में संविधान सभा भंग होने के बाद इसकी शक्तियां जम्मू-कश्मीर विधानमंडल में निहित थीं।
अनुच्छेद 370 को रद्द करने की सिफारिश कौन कर सकता है?
शीर्ष अदालत ने सवाल किया है कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने की सिफारिश कौन कर सकता है? नियमों के तहत, अनुच्छेद 370 को खत्म करने के लिए संविधान सभा से मंजूरी की आवश्यकता होती है, जिसे संविधान ने अस्थायी रखा है। कोर्ट ने यह भी पूछा है कि संविधान सभा भंग होने के बाद यह अनुच्छेद स्थायी कैसे हो गया?
केंद्र ने दिया ये तर्क
केंद्र ने तर्क दिया है कि उसके निर्णय कानूनी ढांचे के भीतर लिए गए थे। इसने यह भी तर्क दिया है कि जम्मू-कश्मीर को मुख्यधारा में लाने से आतंकवाद कम हुआ है और समान अवसर उपलब्ध हुए हैं। सरकार ने तर्क दिया है कि पिछले चार वर्षों में, इसने पूर्ववर्ती राज्य को विकास के तीव्र पथ पर ले जाने में मदद की है।
#WATCH | J&K: Security heightened in Srinagar ahead of the Supreme Court's verdict on the batch of petitions challenging the abrogation of Article 370 in Jammu and Kashmir.
— ANI (@ANI) December 11, 2023
(Visuals from Gupkar Road in Srinagar) pic.twitter.com/HsNbJOOv3W
उमर अब्बुला बोले- हम शांति भंग नहीं करेंगे
पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी प्रतिकूल फैसले की स्थिति में भी शांति भंग नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि वे अपनी लड़ाई कानूनी तरीके से जारी रखेंगे। महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और कांग्रेस ने उम्मीद जताई है कि अदालत लोगों के पक्ष में होगी।
जब केंद्र ने हटाया आर्टिकल 370, राष्ट्रपति शासन था
पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार गिरने के एक साल से अधिक समय बाद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था। साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था। इसके खिलाफ 23 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गईं। सभी को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। फैसले से पहले कश्मीर घाटी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। बीजेपी ने कहा है कि शीर्ष अदालत के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए।