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दुनिया में मुस्लिम देश के रूप में पहचाने जाने वाले ताजिकिस्तान की सरकार ने कट्टरवाद के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। महिलाओं के हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया गया है।

Hijab Ban in Tajikistan: दुनिया में मुस्लिम देश के रूप में पहचाने जाने वाले ताजिकिस्तान की सरकार ने कट्टरवाद के खिलाफ कड़ा कदम उठाया है। ताजिकिस्तान की सरकार ने महिलाओं के हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया है। अगर इसके बाद भी महिलाओं ने हिजाब पहना तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं पुरुषों के दाढ़ी बढ़ाने पर सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। अगर कोई व्यक्ति दाढ़ी बढ़ाता है तो उसे पकड़कर पुलिस दाढ़ी कटवा देगी।

सरकार ने ऐसा कानून बना दिया है कि बच्चे सार्वजनिक रूप से धार्मिक कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। अगर किसी बच्चे ने विदेश में भी धार्मिक शिक्षा ली तो उसके माता-पिता को सजा भुगतनी पड़ेगी। इसके अलावा सरकार मस्जिदों को बंद करने जा रही है। पिछले 30 सालों से ताजिकिस्तान की सत्ता में काबिज राष्ट्रपति इमोमाली रहमान का कहना है कि धार्मिक पहचान देश के विकास में बाधक बन रही है। इसलिए उनको यह कदम उठाना पड़ रहा है। दूसरी ओर आशंका ऐसी भी है कि इस कदम के बाद से देश के कट्टर धार्मिक सरकार के खिलाफ एकजुट हो सकते हैं।

राष्ट्रपति अपने देश में पश्चिमी जीनवशैली को बढ़ावा देना चाहते हैं इसलिए उन्होंने यह कदम उठाया है। ताजिकिस्तान की सरकार का कहना है कि इस प्रतिबंध का उद्देश्य अपनी राष्ट्रीय सांस्कृतिक मूल्यों की रक्षा करना है। इससे अंधविश्वास और उग्रवाद से लड़ने में मदद मिलेगी।

96 फीसदी आबादी को हिजाब स्वीकार नहीं
2020 की जनगणना के मुताबिक ताजिकिस्तान में 96 फीसदी आबादी मुस्लिम हैं। सरकार इस्लामी जीवन शैली और मुस्लिम पहचान को धर्मनिरपेक्षता के लिए चुनौती मानती है। बता दें कि 1994 से सत्ता में काबिज इमोमाली रहमान ने दाढ़ी बढ़ाने पर भी रोक लगा दी थी। इन प्रतिबंधों का उल्लंघन करने पर सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान किया था।

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दाढ़ी रखी तो पुलिस कटवा देगी
ताजिकिस्तान ने 2007 से स्कूलों और 2009 से सार्वजनिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया था। लेकिन अब कोई महिला देश में कहीं भी हिजाब या कपड़े से सिर नहीं ढक सकती है। वहीं अभी देश में दाढ़ी रखने के खिलाफ कोई कानून नहीं है। इसके बावजूद लोगों की दाढ़ी जबरन काट जाएगी।

कितना जुर्माना लगेगा?
टीआरटी वर्ल्ड की रिपोर्ट के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति ने प्रबंधित कपड़ा पहन लिया तो उस भारी-भरकम जुर्माने देना पड़ेगा। आम लोगों पर 64,772 रुपये, कंपनी को 2.93 लाख और सरकारी अधिकारियों पर चार लाख से 4,28,325 रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।

बेटे ने विदेश में धार्मिक शिक्षा ली तो मां-बाप को सजा 
ताजिकिस्तान का कोई बच्चा अगर विदेश में कहीं धार्मिक शिक्षा लेता है तो उसके मां-बाप के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे बिना अनुमति के मस्जिदों में नहीं जा सकते हैं। यहां ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा पर बच्चों के उत्सवों पर भी प्रतिबंध लगा है।

काले कपड़े बेचने पर लगेगी रोक
ताजिकिस्तान सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है, लेकिन यहां हिजाब और दाढ़ी रखने को विदेशी सांस्कृति माना जाता है। दो साल पहले राजधानी दुशांबे में काले कपड़े बेचने पर प्रतिबंध लगाया गया था। तुर्किये के दैनिक सबा की रिपोर्ट के मुताबिक 18 वर्ष से कम उम्र किशोर शुक्रवार की नमाज में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। 2015 में ताजिकिस्तान की धार्मिक मामलों की राज्य समिति 35 वर्ष से कम उम्र के लोगों के हज यात्रा पर जाने पर प्रतिबंध लगा चुकी है।

कट्टरपंथ बन सकता है बड़ी चुनौती
ताजिकिस्तान की सरकार कट्टरपंथ को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानती है। सरकार का कहना है कि इन उपायों से कट्टरवाद से लड़ने में मदद मिलेगी। पिछले कुछ वर्षों में ताजिक नागरिकों ने खूब ISI ज्वाइन किया है। इसी साल मार्च में मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल पर आतंकी हमले में ताजिक नागरिक के शामिल होने के सुबूत मिले थे। हमले में 140 से अधिक लोगों की मौत हुई थी।

मस्जिदों में रहीं चाय की दुकानें
ताजिकिस्तान की धार्मिक मामलों की समिति ने 2017 में बताया था कि एक साल में देश में 1,938 मस्जिदों को बंद किया गया था। इसके अलावा मस्जिदों को चाय की दुकानों और चिकित्सा केंद्रों में तब्दील किया जा रहा है। 2014 में 200, 2015 में 1000 और 2018 में आईएसआईएस में शामिल होने की खातिर सीरिया और इराक जाने वाले ताजिकों नागरिकों की संख्या लगभग 1,000 थी।

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