Tiranga History: भारतीय राष्ट्रीय ध्वज, जिसे 'तिरंगा' कहा जाता है, स्वतंत्रता संग्राम के संघर्ष और भारत की एकता का प्रतीक है। 1947 में इसे अपनाया गया, लेकिन इसका विकास 1906 से कई चरणों में हुआ। यह ध्वज देश की संप्रभुता और लोकतांत्रिक मूल्यों का प्रतीक है। तिरंगा सिर्फ एक ध्वज नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और इतिहास का प्रतिनिधित्व करता है। तिरंगे का इतिहास (Indian Flag History) जानकर हमें अपने देश पर गर्व महसूस होता है।
तिरंगे के 3 रंगों का क्या है महत्व
भारतीय ध्वज में तीन पट्टियां हैं - सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद, और नीचे गहरा हरा। केसरिया रंग ताकत और साहस का प्रतीक है। सफेद रंग शांति और सच्चाई का, जबकि हरा रंग धरती की उर्वरता और विकास का प्रतीक है। सफेद पट्टी के केंद्र में अशोक चक्र है, जो 24 तीलियों वाला एक पहिया है, जो निरंतर प्रगति और परिवर्तन का प्रतीक है।
पहली बार कहां फहराया गया था तिरंगा
1906 में, सबसे पहला भारतीय राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर में फहराया गया। इसमें हरी, पीली और लाल पट्टियां थीं। इसके बाद 1907 में मदाम भीकाजी कामा ने स्टटगार्ट में दूसरा ध्वज प्रस्तुत किया। 1917 में एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने होम रूल आंदोलन के दौरान एक नया झंडा पेश किया। 1921 में पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी को अपने झंडा का डिजाइन दिखाया। इस तिरंग में सफेद, हरी और लाल पट्टियां और बीच में चरखा था। 1931 में तिरंगे का अंतिम रूप तय हुआ। इसके बाद धर्म चक्र को चरखा की जगह शामिल किया गया।
जानें, कितने पढ़े-लिखे थे तिरंगा के डिजाइनर
आंध्र प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने तिरंगा को डिजाइन किया है। पिंगली वेंकैया ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज (Indian National Flag) तिरंगे को तैयार करने में बेहद अहम भूमिका निभाई। पिंगली वेंकैया ने 1921 में महात्मा गांधी को तिरंगे का डिजाइन दिखाया। वेंकैया ने कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से शिक्षा प्राप्त की और गांधीजी के सिद्धांतों से गहरे प्रभावित थे। उन्होंने 1916 में ध्वज डिजाइन पर एक बुकलेट भी पब्लिश की थी। तिरंगे के डिजाइनर (Indian Flag Designer) के तौर पर वेंकैया का नाम भारतीय इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।
जानिए, कैसी रही तिरंगे की यात्रा (Timeline OF Tiranga):
- 1906: पहली बार कोलकाता के पारसी बागान स्क्वायर में तिरंगा फहराया।
- 1931: तिरंगे की डिजाइन में अशोक चक्र को शामिल करने की मंजूरी मिली।
- 22 जुलाई 1947: तिरंगे को ऑफिशियली नेशनल फ्लैग के रूप में अपनाया।
- 15 अगस्त 1947: पहली बार पंडित नेहरू ने लाल किले पर तिरंगा फहराया।
- 29 मई 1953: पहली बार सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया गया ।
- 22 दिसंबर 2002: आम नागरिकों को घरों में तिरंगा फहराने की मंजूरी मिली।
जानिए तिरंगे के बारे में 10 रोचक फैक्ट्स:
- पहला तिरंगा कब फहराया गया: तिरंगे को पहली बार 7 अगस्त 1906 को कोलकाता में लहराया गया था, जिसमें लाल, पीला और हरा रंग शामिल थे।
- कब मिली तिरंगे को ऑफिशियल अप्रूवल: तिरंगा कई बदलावों से गुजरा, मौजूदा तिरंगे को 22 जुलाई 1947 को भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था।
- तिरगे के रंगों का क्या है अर्थ: तिरंगे में भगवा रंग साहस और बलिदान, सफेद रंग सत्य, शांति और पवित्रता, और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है।
- तिरंगे में क्यों होता है अशोक चक्र: तिरंगे के बीच में अशोक चक्र होता है, जिसमें 24 तीलियां होती हैं, जो धर्म के नियमों का प्रतिनिधित्व करती हैं।
- किन चीजों से बनता है तिरंग: तिरंगा हमेशा खादी से बनता है, इसे बनाने के लिए कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ को मान्यता प्राप्त है।
- सबसे ऊंची चोटी पर तिरंगा: 29 मई 1953 को, तिरंगे को एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनजिंग ने माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराया था।
- तिरंगे में रंगों का अनुपात क्या होता है : तिरंगे की चौड़ाई और लंबाई का अनुपात 2:3 होता है, और इसकी तीनों पट्टियां बराबर होती हैं।
- तिरंगा फहराने के नियम: तिरंगे को हमेशा दाहिनी ओर रखना चाहिए जब इसे किसी मंच पर फहराया जाता है, और इसे जमीन पर नहीं छूना चाहिए।
- तिरंगे को लेकर देश में है कौन सा काूनन: फ्लैग कोड, भारत में 'फ्लैग कोड ऑफ इंडिया' कानून है, जिसमें तिरंगे को फहराने के नियम हैं, और उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है।
- तिरंगे के पूरा होने में 41 साल लगे: मौजूदा तिरंगा कई बदलावों से गुजरा है, 1906 में पहली बार इसे पेश किया गया, हालांकि, उस तिरंगे के रंग मौजूदा तिरंगे से अलग थे।