Tirupati Laddu Controversy:आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को दावा किया कि तिरुपति मंदिर के प्रसादम लड्डू में घी की जगह मछली का तेल और बीफ टैलो का इस्तेमाल किया गया है। इससे राज्य की राजनीति गरमा गई है। इस मामले ने लाखों भक्तों की भावनाओं को झकझोर दिया है। इस जांच में सामने आए तथ्यों ने संत समाज में गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। आइए जानते हैं कि इस विवाद के पीछे की सच्चाई क्या है? किसने और कैसे की मिलावट, कैसे सामने आया पूरा मामला।
तिरुपति मंदिर के लड्डू में मिला मछली का तेल
तिरुपति बालाजी मंदिर में प्रसादम के रूप में दिए जाने वाले लड्डुओं में मछली का तेल और बीफ टैलो मिलने का मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि यह घी की जगह इन चीजों का इस्तेमाल किया गया था। इससे भक्तों की आस्था को ठेस पहुंची है। इस घी की जांच 9 जुलाई को गुजरात के एनडीडीबी लैब में कराई गई थी, जिसमें यह गड़बड़ी सामने आई है।
नायडू ने साधा पिछली सरकार पर निशाना
नायडू ने पिछली जगन मोहन रेड्डी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस सरकार ने हिंदुओं की आस्था से खिलवाड़ किया है। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार आने के बाद ही यह घोटाला सामने आया और इसे रोका गया। नायडू ने कहा कि उनकी सरकार ने अब कर्नाटक से उच्च गुणवत्ता वाला घी फिर से लाने की व्यवस्था की है।
जांच रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा
जांच में पता चला कि लड्डू में इस्तेमाल किए गए घी में मछली का तेल, पशु वसा और अन्य घटक मिले हैं। जांच रिपोर्ट में बताया गया कि प्रसादम के लिए इस्तेमाल किया गया घी शुद्ध नहीं था और उसमें जानवरों की चर्बी (लार्ड) और अन्य अवांछित तत्व पाए गए। इस रिपोर्ट के बाद राज्य भर में संत समाज और भक्तों में आक्रोश बढ़ गया है।
तिरुपति मंदिर के लड्डू कौन बनाता है?
तिरुपति मंदिर का लड्डू प्रसादम देश भर में प्रसिद्ध है। हर साल करीब 3 करोड़ भक्त यहां आते हैं, और उनके लिए करीब 3.5 लाख लड्डू बनाए जाते हैं। इन लड्डुओं को तैयार करने के लिए 400-500 किलोग्राम घी, 750 किलोग्राम काजू, 500 किलोग्राम किशमिश और 200 किलोग्राम इलायची का उपयोग होता है। हर लड्डू बनाने की लागत लगभग 40 रुपये होती है। यह प्रसादम राज्य सरकार द्वारा गठित तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा तैयार किया जाता है। TTD ही प्रसादम के लिए जरूरी सामग्री की खरीदारी करता है।
नंदिनी घी की आपूर्ति बंद क्यों हुई?
कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले नंदिनी घी को पिछले साल रोका गया था। इस घी का इस्तेमाल तिरुपति के प्रसिद्ध लड्डू बनाने के लिए लगभग 15 सालों से हो रहा था। कीमतों में वृद्धि के कारण KMF ने टेंडर प्रक्रिया में भाग नहीं लिया। कर्नाटक सरकार ने नंदिनी दूध की कीमत में तीन रुपये की वृद्धि की थी, जिससे KMF इस घी को प्रतिस्पर्धी दर पर नहीं दे सका।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला
KMF के अध्यक्ष के.भीमा नाइक ने आरोप लगाया कि नंदिनी घी को बाहर रखने के पीछे जगन मोहन सरकार की भेदभावपूर्ण नीतियां थीं। नाइक ने कहा कि नंदिनी घी की जगह कोई सस्ता घी इस्तेमाल होने से उसकी गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है। इसके बाद, बीजेपी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर तिरुपति मंदिर के मामलों में राजनीतिक दखल देने का आरोप लगाया, जिससे यह मामला और बढ़ गया।
कौन सा घी अब इस्तेमाल हो रहा है?
हालिया विवादों के बीच, KMF ने फिर से तिरुपति देवस्थानम (TTD) को नंदिनी घी की आपूर्ति शुरू कर दी है। यह फैसला तब हुआ जब चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी पार्टी ने जुलाई में आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की। नायडू ने लड्डू की गुणवत्ता में सुधार के लिए नंदिनी घी का इस्तेमाल फिर से शुरू करने का निर्देश दिया। अब नंदिनी घी का इस्तेमाल मंदिर में हो रहा है।
कौन कर रहा था घी की आपूर्ति?
पिछले 50 वर्षों से कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) तिरुपति मंदिर को घी की आपूर्ति करता रहा है। लेकिन जुलाई 2023 में, कम दरों पर आपूर्ति करने से इंकार करने के बाद, पिछली जगन मोहन सरकार ने घी की आपूर्ति का ठेका पांच दूसरी कंपनियों को दिया। नायडू सरकार ने गड़बड़ी सामने आने पर फिर से KMF को घी आपूर्ति का जिम्मा सौंप दिया है।
मामले में बढ़ी राजनीति
इस मामले ने आंध्र प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है। TDP और YSR कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। BJP ने भी इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है और मामले की जांच की मांग की है। नायडू ने दावा किया है कि पिछली सरकार ने हिंदुओं की भावनाओं से खिलवाड़ किया है। हालिया विवाद के बाद, TTD बोर्ड ने एक समिति का गठन किया है जो लड्डू के लिए गुणवत्तापूर्ण घी की खरीद के नियमों और शर्तों पर सुझाव देगी।भविष्य में घी की गुणवत्ता में कोई समझौता न हो और भक्तों को शुद्ध प्रसादम मिले इसलिए सरकार ने यह कदम उठाया है।